बॉल टैम्परिंग को लीगल कर दो, दिक्कत क्या है?
By विनीत कुमार | Published: March 26, 2018 06:04 PM2018-03-26T18:04:30+5:302018-03-26T18:07:40+5:30
2006 में ओवल में इंग्लैंड के खिलाफ पाकिस्तान पर बॉल टैम्परिंग का आरोप और इंजमाम का पूरी टीम के साथ वॉक-आउट कर जाना याद है?
दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच जारी सीरीज शुरू से विवादों में है लेकिन केपटाउन में खेले गए तीसरे टेस्ट ने इसमें मसालेदार तड़का लगा दिया। ऑस्ट्रेलियाई टीम पहले भी कई बार स्लेजिंग तो कभी दूसरे खिलाड़ियों से बेवजह उलझने के कारण चर्चाओं में रही है। हालांकि, इन सारी परिस्थितियों में एक संशय वाली स्थिति बनी रहती थी। वो ये कि वो सकता है कि ऑस्ट्रेलियाई वैसे नहीं जैसा हम सोचते हैं, लेकिन केपटाउन के न्यूलैंड्स मैदान पर जो कुछ हुआ उसने उसे पूरी तरह से एक्सपोज कर दिया।
स्मिथ को मालूम चल गया कि अब छिपाने की सारी कोशिशे बेकार हैं, इसलिए उन्हें लगा कि गलती मान लो, बच जाओगे। आगे क्या होगा ये तो समय बतायेगा लेकिन पूरी घटना ने कई सवाल भी छोड़ दिए हैं। क्या दिक्कत है अगर बॉल टैम्परिंग को लीगल कर दें? बॉल टैम्परिंग को आईसीसी का कानूनी जामा पहनाने में क्या दिक्कत है? बॉल टैम्परिंग कहीं हौव्वा तो नहीं? बॉल से थोड़ी छेड़छाड़ कर भी दी तो क्या बिगड़ जाएगा?
ये बहस नई तो नहीं!
करीब दो साल पहले दक्षिण अफ्रीकी दिग्गज बैरी रिचर्ड्स ने बॉल टैम्परिंग को लीगल करने की बात कही थी। हालांकि, इसे लेकर आईसीसी और दूसरे क्रिकेट जानकारों में यह बहस चलती रहती है कि कुछ नियमों के साथ टैम्परिंग को वैध किया जाए। वैसे भी, ये सारी कवायद कोई गेंदबाज इसलिए करता है कि उसे स्विंग में मदद मिले। क्रिकेट के मैदान पर अक्सर गेंदबाज थूक, सन क्रीम, हेयर जेल या पसीना लगाकर गेंद के एक सिरे की चमक बढ़ने की कोशिश करते रहते हैं। अब सवाल है कि क्या कुछ छूट के साथ इसे वैध किया जा सकता है? मैदान से बाहर की चीजों को छोड़ दें तो क्या नाखून या दांतों को टैम्परिंग के लिए इस्तेमाल करनी की छूट मिलनी चाहिए?
वैसे भी बॉल टैम्परिंग का बेहतर फायदा स्विंग गेंदबाज उठा सकते हैं। साथ ही हम क्रिकेट पर केवल बैट्समैन का खेल हो जाने की तोहमत भी तो लगाते हैं। कुछ छूट गेंदबाजों को तो मिल ही सकती है। हमारे पास कोई आंकड़ा तो है नहीं कि टैम्परिंग हुई और विपक्षी टीम पलक झपकते ढेर हो गई। ताजा उदाहरण ही ले लीजिए। ऑस्ट्रेलियाई पकड़े गए, गेंद बदली भी नहीं गई और बेचारे हार भी गए।
और तो और बॉल टैम्परिंग के आरोप गिनने लगें तो कई वाक्ये तो ऐसे मिलेंगे जहां कोई फैसला लेना अंपायरों के लिए बेहद मुश्किल रहा और फिर विवाद भी हुआ। 2006 में ओवल में इंग्लैंड के खिलाफ पाकिस्तान पर बॉल टैम्परिंग का आरोप और इंजमाम का पूरी टीम के साथ वॉक-आउट कर जाना इसका सटीक उदाहरण है। उस घटना के इतने साल गुजर जाने के बाद आज भी यह नहीं कहा जा सकता कि बॉल टैम्परिंग हुई या नहीं। लब्बोलुआब ये कि इस टैम्परिंग वाले प्रयोग को भी कर के देखते हैं थोड़े दिन, क्या पता रोमांच और बढ़ जाए क्रिकेट का।