अयाज मेमन का कॉलमः भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे मूल्यवान खिलाड़ी रविचंद्रन अश्विन

By अयाज मेमन | Published: March 9, 2021 05:50 PM2021-03-09T17:50:05+5:302021-03-09T19:35:12+5:30

indian england cricket series: भारतीय टीम पहली बार हो रहे विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल को न्यूजीलैंड के खिलाफ 18 से 22 जून तक साउथम्पटन के एजियस बाउल स्टेडियम में खेलेगी.

indian england cricket series Ravichandran Ashwin most valuable player team Ayaz Memon's column | अयाज मेमन का कॉलमः भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे मूल्यवान खिलाड़ी रविचंद्रन अश्विन

दूसरे टेस्ट में शतक से अश्विन का स्टेटस बतौर हरफनमौला ऊंचा हुआ है. (file photo)

Highlightsभारतीय टीम ने हाल ही में इंग्लैंड को टेस्ट सीरीज में 3-1 से हराकर विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल का टिकट कटाया है.लाल गेंद के क्रिकेट में रोहित ने अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप प्रदर्शन किया.अंग्रेज बल्लेबाजों को उन्होंने फिरकी से जैसे बांधकर रख दिया था.

indian england cricket series: इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में हार की पीड़ा से उबकर टीम इंडिया ने शानदार प्रदर्शन किया और चार मैचों की सीरीज 3-1 से जीत ली. सीरीज ही नहीं जीती बल्कि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में भी अपना स्थान सुनिश्चित किया.

भारत का प्रदर्शन निर्विवाद रूप से खिलाडि़यों के सामूहिक प्रयासों का परिणम है लेकिन एक खिलाड़ी ऐसा है जिसे उसके प्रदर्शन के कारण क्रिकेट जगत उसे भारत का सबसे मूल्यवान खिलाड़ी मानने लगा है और वह है रविचंद्रन अश्विन. उन्होंने अपनी फिरकी से अंग्रेज बल्लेबाजों को बांधे रखा और शानदार सैकड़ा भी जड़ा.

पेश है क्रिकेट एक्सपर्ट एयाज मेमन का भारतीय खिलाडि़यों के प्रदर्शन का रिपोर्ट कार्ड.

रोहित शर्मा (8.5/10 ): दोनों टीमों में सबसे शानदार बल्लेबाज लगे. दूसरे टेस्ट में एक खराब पिच पर उनके बनाए गए 166 रन बेहतरीन प्रयास था. इसी तरह दिन-रात्रि टेस्ट में उनके बनाए 61 रन भी बेशकीमती थे. लाल गेंद के क्रिकेट में रोहित ने अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप प्रदर्शन किया.

आर. अश्विन (9.5/10): भारत के सबसे मूल्यवान खिलाड़ी. अंग्रेज बल्लेबाजों को उन्होंने फिरकी से जैसे बांधकर रख दिया था. लगता है बल्लेबाज की सोच का अनुमान वह पहले ही लगा लेते हैं और उसी के अनुरूप गेंद करते हैं. दूसरे टेस्ट में शतक से अश्विन का स्टेटस बतौर हरफनमौला ऊंचा हुआ है.

अक्षर पटेल (9/10): तीन मुकाबलों में कुल 27 विकेट. चार बार पांच विकेट. टेस्ट क्रिकेट में यह स्वप्निल पदार्पण है. इस तरह की पिचों पर गेंद की गति और सटिकता अक्षर की ताकत है. इससे बल्लेबाज को वह गलतियां करने के लिए मजबूर करते हैं. गेंदबाजी के साथ ही बल्लेबाजी में भी प्रभाव छोड़ा.

ऋषभ पंत (9/10): ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में अगर कुछ अच्छा रहा तो वह है ऋषभ पंत का प्रदर्शन. हालातों के अनुरूप वे खेले जो उनकी परिपक्वता की निशानी है. इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टेस्ट मैच की मुश्किल पिच पर मैच में उनका शतक रक्षा तथा आक्रमण का मिश्रण था. अपने शानदार प्रदर्शन से आलोचकों के मुंह बंद कर दिए.

चेतेश्वर पुजारा (5/10): प्रतिष्ठा के अनुरूप नहीं खेल सके और छह पारियों में एक अर्धशतक समेत केवल 133 रन ही बना पाए. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार प्रदर्शन के बाद पुजारा का प्रदर्शन कमजोर रहा. बाएं हाथ के स्पिनर लीच ने उन्हें काफी परेशान किया.

वाशिंगटन सुंदर (8/10 ): 21 साल के इस युवा बल्लेबाज के मिजाज तारीफ के काबिल थे. चार पारियों में सुंदर ने 181 रन जुटाए. अंतिम टेस्ट में वे दुर्भाग्यशाली रहे और अपने पहले शतक से चूक गए. हालांकि उन्हें गेंदबाजी करने के ज्यादा मौके नहीं मिले लेकिन अपने कौशल को एक हरफनमौला खिलाड़ी के रूप में विकसित करने की उन्हें जरूरत है.

विराट कोहली (7/10): कप्तान ने जो स्वयं के मानक स्थापित किए हैं उसकी तुलना में उनका प्रदर्शन काफी कमजोर रहा और वे 172 रन ही बना सके. हालांकि दो अर्धशतक उनके नाम पर हैं. नवंबर 2019 में विराट ने बांग्लादेश के खिलाफ शतक जड़ा था. उसके बाद खेल के किसी भी प्रारूप में वह शतकीय पारी नहीं खेल सके हैं, जो आश्चर्यजनक हैं लेकिन टीम का नेतृत्व उन्होंने बेहतरी से किया है. पहले टेस्ट में करारी हार के बावजूद उनके नेतृत्व में टीम शानदार वापसी करने में सफल रही. भारत के वह सर्वाधिक सफल कप्तान भी बन गए.

अजिंक्य रहाणे (5/10): खराब सीरीज रही, 6 पारियों में 112 रन ही बना पाए. दूसरे टेस्ट में 67 रन की पारी को छोड़कर ऑफ कलर नजर आए. स्लिप में सटीक कैच लपककर क्षेत्ररक्षण में प्रभाव छोड़ा.

शुभमन गिल (5/10): ऑस्ट्रेलिया की उछलती पिचों पर छाप छोड़ने के बाद घरेलू धीमी विकेटों पर समय के साथ तालमेल नहीं बिठा पाए. खासतौर से एंडरसन की स्विंग से काफी परेशान रहे. अनुभव के साथ निखार आएगा. शॉर्टलेग पर बढि़या क्षेत्ररक्षक.

ईशांत शर्मा (7/10): तेज पिचों पर स्विंग, रिवर्स स्विंग और निरंतरता के दम पर प्रतिद्वंद्वी बल्लेबाजों को लगातार परेशान रखा. लाल गेंद के रूप में 300 से ज्यादा विकेट झटकने का कारनामा कर दिखाया. एक भारतीय गेंदबाज के लिए अनूठी उपलब्धि रही.

मोहम्मद सिराज (7/10): ईशांत की तरह बहुत ज्यादा विकेट तो नहीं झटक पाए लेकिन जब भी गेंदबाजी के मोर्चे पर आए तो विरोधी बल्लेबाज पर प्रभाव छोड़ा. गेंदबाजी के दौरान स्विंग अथवा शॉर्ट पिच गेंदों को स्किड कराना लाजवाब रहा.

जसप्रीत बुमराह (6/10): धीमी पिचों पर पिछले कुछ वर्षों में विकेटों के लिहाज से कोई खास उपलब्धि हासिल नहीं कर पाए. लेकिन दो टेस्ट मुकाबलो में सटीक और किफायती गेंदबाजी कर विरोधी बल्लेबाजों के बल्ले पर अंकुश लगाए रखा.

कुलदीप यादव (4.5/10): दिन-रात के टेस्ट अक्षर और अश्विन के सहयोगी के रूप में मौका मिला. दो सफलताएं अर्जित कर अपनी उपयोगिता साबित की लेकिन टीम की जरूरत को देखते हुए अंतिम टेस्ट में अंतिम एकादश का हिस्सा नहीं बन पाए.

शहबाज नदीम (2/10): पहले टेस्ट में अक्षर के चोटिल होने पर कुलदीप की जगह खेलने का मौका दिया गया. लेकिन काफी खर्चीले साबित हुए और 4 विकेट के लिए दोनों पारियों में मिलाकर कुल 233 रन खर्च किए. फलस्वरूप इंग्लैंड ने खूब रन बटोरते हुए शानदार जीत दर्ज की. इसके बाद टीम में जगह बनाने में नाकाम रहे.

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