आईसीसी विश्व कप 2019: भारत का दावा कितना मजबूत?
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 19, 2019 08:30 AM2019-04-19T08:30:04+5:302019-04-19T08:30:04+5:30
सत्रहवीं लोकसभा के चुनावों के धूमधाम के बावजूद भारत की विश्व कप क्रिकेट टीम सुर्खियों में है. देश में क्रिकेट ही एक ऐसा खेल है, जिसकी चर्चा पूरे 365 दिन होती रहती है.
सत्रहवीं लोकसभा के चुनावों के धूमधाम के बावजूद भारत की विश्व कप क्रिकेट टीम सुर्खियों में है. देश में क्रिकेट ही एक ऐसा खेल है, जिसकी चर्चा पूरे 365 दिन होती रहती है. बात चाहे द्विपक्षीय सीरीज की हो या विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट की. आगामी 30 मई से इंग्लैंड की मेजबानी में खेले जा रहे क्रिकेट के इस महाकुंभ में विराट कोहली की अगुवाई में भारत को खिताब का दावेदार बताया गया है.
एक भारतीय होने के नाते यह खुशी की बात है और जब 1983 में ‘अंडरडॉग्ज’ मानी जा रही कपिल देव की भारतीय टीम इतिहास रच सकती है तो कोहली एंड कंपनी का दावा तो बनता ही है. लेकिन, क्रिकेट के मैदान पर महज दावेदारी पेश करने से सफलता नहीं मिलती. दावेदारी को प्रत्यक्ष मैदान पर शानदार प्रदर्शन साथ प्रस्तुत करना होता है. टीम चयन एक ऐसा मुद्दा है जिस पर सभी को संतुष्ट कर पाना कठिन है. हालांकि इस टीम में ज्यादातर ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके शामिल होने पर किसी को आपत्ति नहीं हो सकती है.
कुछ ही ऐसे खिलाड़ी थे जिनके बीच चयन को लेकर कड़ा संघर्ष देखने को मिला. टीम का मजबूत पक्ष उसका टॉप ऑर्डर है. ओपनिंग में शिखर धवन और रोहित शर्मा की जोड़ी के अलावा कप्तान विराट कोहली प्रतिद्वंद्वी टीमों के लिए परेशानी का सबब बने रहेंगे. लंबे समय से टीम इंडिया की सफलता में इन तीनों का योगदान सबसे अहम रहा है. असल मुद्दा इसके बाद के क्रम को लेकर है. चौथे क्रम को लेकर चर्चा निरंतर होती रही. अंत में अनुभवी अंबाती रायुडू की जगह युवा विजय शंकर को तरजीह दी गई. महज नौ वन-डे मैचों के संक्षिप्त करियर के आधार पर विजय शंकर का त्रिआयामी (थ्री डी) पक्ष मजबूत साबित हुआ.
पिछले एक साल में चौथे क्रम पर 14 मुकाबलों में 42.18 के औसत से 464 रन बनाने वाले अंबाती रायुडू इसलिए बाहर किए गए क्योंकि वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अंतिम सीरीज में पूरी तरह विफल रहे. वहीं, दूसरी ओर उस सीरीज से बाहर किए गए दिनेश कार्तिक अनुभव के चलते ही टीम में अपनी जगह बना पाए. कभी अनुभव अहम हो जाता है तो कभी ‘त्रिआयामी’ पक्ष. चिंता इस बात की है कि इस चक्कर में टीम का मध्य क्रम कमजोर न पड़ जाए. असल में मध्य क्रम में अजिंक्य रहाणो जैसे अनुभवी और तकनीकी बल्लेबाज की जरूरत थी जो टीम को लड़खड़ाने से बचा सकते थे.
लेकिन, 2018 फरवरी से उन्हें वन-डे से बाहर कर ‘टेस्ट क्रिकेटर’ बना दिया गया. पांचवें, छठे और सातवें क्रम पर धोनी, केदार जाधव और हार्दिक पंड्या को उतारा जा सकता है. तेज गेंदबाजी में जसप्रीत बुमराह की अगुवाई में मोहम्मद शमी और भुवनेश्वर कुमार के साथ ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या मोर्चा संभालेंगे. कुलदीप यादव, युजवेंद्र चहल और रविंद्र जडेजा की फिरकी तिकड़ी से भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है.