हर्षा भोगले का कॉलम: रनों का पीछा करते हुए ये होनी चाहिए बल्लेबाज की रणनीति
By हर्षा भोगले | Published: April 8, 2019 04:50 PM2019-04-08T16:50:53+5:302019-04-08T16:50:53+5:30
Harsha Bhogle Column: जैसे-जैसे इस खेल का प्रारूप उभरता और बढ़ता रहा, औसत के साथ स्ट्राइक रेट की अहमियत बढ़ने लगी।
कई सालों से बेहतरीन बल्लेबाज होने का पैमाना खिलाड़ी की औसत को माना जाता रहा। इससे आपको इस बात का सही-सही अनुमान लगाने में मदद मिलती रही कि कोई बल्लेबाज कितना अच्छा है। मगर जैसे-जैसे इस खेल का प्रारूप उभरता और बढ़ता रहा, औसत के साथ स्ट्राइक रेट की अहमियत बढ़ने लगी।
अगर किसी बल्लेबाज का स्ट्राइक रेट प्रति ओवर रनों की दरकार के लिहाज से कम है तो जितना वह अधिक वह बल्लेबाजी करेगा, उतना ही उसकी टीम के हारने के अवसर ज्यादा होंगे। ऐसे में उसकी बल्लेबाजी औसत तो अच्छी दिख सकती है लेकिन मैच का नतीजा नहीं।
चेन्नई सुपरिकंग्स के खिलाफ किंग्स इलेवन पंजाब ने जिस तरह रनों का पीछा किया, वह इसका सबसे सटीक उदाहरण है। सीएसके ने 160 रन बनाए, जिसका मतलब हुआ कि पंजाब के बल्लेबाजों को 133 की स्ट्राइक रेट से रन बनाने की जरूरत थी।
कई बार पारी की शुरुआत में स्ट्राइक रेट का कम होना समझा जा सकता है। वह इसलिए क्योंकि तब आप हालात का आकलन कर रहे होते हैं, आपको नई गेंद से विपक्षी टीम के तेज गेंदबाजों का सामना करना होता है। मगर जैसे-जैसे बल्लेबाज पिच पर अधिक समय बिताता है और अधिक गेंदें खेल लेता है, तो स्ट्राइक रेट बढ़नी ही चाहिए।
केएल राहुल और सरफराज खान जब क्रीज पर थे तब टीम 2 ओवर में 7 रन के स्कोर तक 2 विकेट खो चुकी थी। टीम को विकेटों का पतझड़ रोकने की जरूरत थी। ऐसे में दोनों का सतर्कता से बल्लेबाजी करना समझा जा सकता है। मगर जब ये दोनों बल्लेबाज आउट हुए तब इन्होंने 106 गेंदों पर 122 रन बनाए थे। मतलब 115 की स्ट्राइक रेट।
यहां औसत अच्छी है। दोनों के बीच लंबी साझेदारी भी हुईं लेकिन तब भी टीम को हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने बाकी बल्लेबाजों के करने के लिए बहुत अधिक काम छोड़ दिया जो टी-20 क्रिकेट की एक और विडंबना से रूबरू कराता है।
वो ये कि अगर आप लक्ष्य हासिल करने के हिसाब से रन गति नहीं बढ़ा पा रहे हैं और डगआउट में अन्य बल्लेबाज बैठे हुए हैं तो आउट हो जाना खराब विकल्प नहीं है। बल्कि टीम के लिए यही सबसे अच्छी बात साबित हो सकती है। किसी टीम में अच्छे खिलाड़ियों का होना बहुत अच्छी बात है, लेकिन उनका उपयोग न कर पाना मूर्खतापूर्ण है। सर्वश्रेष्ठ टीमें और खिलाड़ी इसके बीच का संतुलन तलाशने में सफल रहते हैं।