अयाज मेमन का कॉलम: जीत की तीव्र इच्छा बनी टीम इंडिया की पहचान, न्यूजीलैंड के खिलाफ किया व्हाइट वॉश

By अयाज मेमन | Published: February 3, 2020 09:18 AM2020-02-03T09:18:09+5:302020-02-03T09:27:42+5:30

जीतने की तीव्र इच्छा भारतीय टीम की एक पहचान बन चुकी है। विदेशी सरजमी पर प्रदर्शन में सुधार निश्चित तौर पर बड़ा लाभ है भारत वाकई अभेद्य टीम बन रही है।

Ayaz Memon's column on Indian Team victory against New Zealand in T20 Series | अयाज मेमन का कॉलम: जीत की तीव्र इच्छा बनी टीम इंडिया की पहचान, न्यूजीलैंड के खिलाफ किया व्हाइट वॉश

अयाज मेमन का कॉलम: जीत की तीव्र इच्छा बनी टीम इंडिया की पहचान, न्यूजीलैंड के खिलाफ किया व्हाइट वॉश

Highlightsटी-20 सीरीज में न्यूजीलैंड का 5-0 से व्हाइट वॉश इसलिए अहम है, क्योंकि भारत ने हर बार वापसी की।न्यूजीलैंड के खिलाफ 50-50 ओवरों के विश्वकप सेमीफाइनल में हार का यह खूबसूरत बदला रहा।

टी-20 सीरीज में न्यूजीलैंड का 5-0 से व्हाइट वॉश इसलिए अहम है, क्योंकि भारत ने हर बार वापसी की, जबकि मेजबान टीम विजयी लग रही थी। हालांकि संतरे और सेब का कभी मिलाप नहीं हो सकता, लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ 50-50 ओवरों के विश्वकप सेमीफाइनल में हार का यह खूबसूरत बदला रहा।

विराट कोहली की टीम ने कभी हार नहीं मानने की प्रवृत्ति दिखाई जब लग रहा था कि भारत मैच हार रहा है। यह प्रवृत्ति तब भी दिखी जब कोहली ने स्वयं तथा अन्य दो महत्वपूर्ण खिलाड़ियों को आराम दिया था। जीतने की तीव्र इच्छा इस टीम की एक पहचान बन चुकी है। विदेशी सरजमी पर प्रदर्शन में सुधार निश्चित तौर पर बड़ा लाभ है भारत वाकई अभेद्य टीम बन रही है।

सीरीज जब शुरु हुई थी तो आईसीसी रैंकिंग में टीमों के बीच चुनने के लिए कुछ नहीं था, लेकिन पांचवें मुकाबले के अंत के साथ ही भारत तथा न्यूजीलैंड के बीच भारी फर्क दिखाई दे रहा है। भारतीय टीम की अगर बात करें तो वह अपने बड़े खिलाड़ियों पर निर्भर नहीं लगती।

केएल राहुल, रोहित शर्मा और जसप्रीत बुमराह जब प्रदर्शन नहीं कर सके तो अन्य खिलाड़ियों ने प्रदर्शन कर दिखाया। मोहम्मद शमी ने तीसरे और शार्दुल ठाकुर ने चौथे मैच में शानदार गेंदबाजी की और मुकाबले सुपर ओवर में खिंच ले गए। जडेजा, सैनी, चहल को जहां भी मौका मिला, उन्होंने निरंतरता दिखाई।

अय्यर और पाण्डेय भी उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन किया, लेकिन निराशा मिली संजू सैमसन से जो मौके को भुना नहीं सके। राहुल विकेटकीपिंग का जिम्मा संभाल रहे थे तब ऋषभ पंत और सैमसन को इसका अवसर नहीं मिल सका। युवाओं के लिए संदेश स्पष्ट है। वे अगर अवसरों को भुना नहीं पाएंगे तो अपना नुकसान कर बैठेंगे।

चाहे जो भी कहे, कीवी अप्रत्याशित रूप से कमजोर दिलवाले साबित हुए। दो मुकाबलों का परिणाम सुपर ओवर में आया और दोनों में जीत के करीब पहुंचकर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। रविवार का मैच कम रोमांचक रहा, लेकिन टीम ने जीत का एक और मौका गंवाया। जब मेजबान गेंदबाजों ने भारत को 163 पर रोका तो केन विलियम्सन की गैरमौजूदगी में टीम को जीत का मौका था।

रोहित और राहुल ने दिखाया दिया था कि विकेट पर रन बनाना कठिन नहीं था। टीम का आगाज अच्छा नहीं रहा, लेकिन सीफर्ट और टेलर ने मिलकर शिवा दुबे की गेंदों पर 34 रन बनाकर स्थितियों को अपने पक्ष में कर लिया, लेकिन इसके बावजूद न्यूजीलैंड की पारी लड़खड़ाई और उसे हार का स्वाद चखना पड़ा।

विश्व कप (50-50 ओवर) के खिताबी मुकाबले में इंग्लैंड के हाथों रोमांचक अंदाज में हारने के बाद कीवियों की जुझारू टीम के रूप मेंं छवि बनी थी, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज और भारत के हाथों टी-20 सीरीज में शर्मनाक हार से टीम को गहरा झटका लगा है। जब तक विलियम्स टीम में टीम भावना नहीं जगाते हैं भारत के खिलाफ वन-डे और टेस्ट सीरीज में मेजबानों की वापसी मुश्किल ही होगी।

Web Title: Ayaz Memon's column on Indian Team victory against New Zealand in T20 Series

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