अयाज मेमन का कॉलम: धोनी के भविष्य पर पसोपेश की स्थिति खत्म हो

By अयाज मेमन | Published: October 27, 2019 07:33 AM2019-10-27T07:33:29+5:302019-10-27T07:33:29+5:30

विश्व कप के बाद एक भी मैच न खेल पाने के कारण धोनी का चयन मुश्किल है। लेकिन क्या इससे सत्र के शेष सत्र की उम्मीदें खत्म हो सकती हैं?

Ayaz Memon Column on MS Dhoni future | अयाज मेमन का कॉलम: धोनी के भविष्य पर पसोपेश की स्थिति खत्म हो

अयाज मेमन का कॉलम: धोनी के भविष्य पर पसोपेश की स्थिति खत्म हो

Highlightsआईसीसी वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में टीम इंडिया के हार के बाद से ही धोनी क्रिकेट मैदान से दूर हैं।चयनकर्ता धोनी के मामले को सुलझाने के साथ-साथ आगामी टी-20 विश्व के लिए टीम गठन की दिशा में आगे बढ़ना चाह रहे हैं। 

पिछले कुछ दिनों में एमएस धोनी के भविष्य को लेकर भारतीय क्रिकेट के आकाओं से मिश्रित प्रतिक्रिया आई है। बांग्लादेश के खिलाफ सीमित ओवरों की सीरीज के लिए टीम के चुने जाने के बाद मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने धोनी के नाम पर विचार न किए जाने पर पूछे गए सवाल के जवाब में 'आगे बढ़ने' की बात कही। हालांकि बीसीसीआई के नए अध्यक्ष सौरव गांगुली पहले ही धोनी का समर्थन करते हुए दिग्गज खिलाड़ियों के सम्मान की बात कही।

इस बीच, शनिवार को कोच रवि शास्त्री ने एक साक्षात्कार में धोनी के आलोचकों पर कड़ा प्रहार किया। जहां प्रसाद ने धोनी के भविष्य पर चयनकर्ताओं की मंशा जाहिर की, वहीं गांगुली और शास्त्री ने पूर्व भारतीय कप्तान के लिए अभी पूर्ण रूप से दरवाजे बंद नहीं किए हैं। इससे भ्रम की स्थिति बन गई है। कायदे से चयन समिति के पास स्वतंत्र रूप से टीम चयन का अधिकार होता है। लेकिन बीसीसीआई अध्यक्ष जरूरत पड़ने पर टीम चयन में हस्तक्षेप कर सकते हैं।

इतिहास साक्षी है कि इस तरह अनेक उदाहरण देखे जा सकते हैं। यदि टीम प्रबंधन, कोच, कप्तान और उपकप्तान धोनी के पक्ष में आते हैं तो क्या चयन समिति अपनी बात पर अड़ी रह सकती है? ऐसे में यदि कोच (शास्त्री), कप्तान (कोहली) और उपकप्तान (रोहित शर्मा) आगामी टी-20 विश्व कप के लिए धोनी का समर्थन करते हैं तो प्रसाद एंड कंपनी मुश्किल स्थिति में पड़ सकती है।

मुझे उन चयनकर्ताओं के प्रति सहानुभूति है जो धोनी के मामले को सुलझाने के साथ-साथ आगामी टी-20 विश्व के लिए टीम गठन की दिशा में आगे बढ़ना चाह रहे हैं। भविष्य को देखते हुए प्रसाद की पहल विवेकपूर्ण हो सकती है और धोनी के भविष्य को लेकर विरोधाभास के चलते संदेहास्पद स्थिति बन गई है।

विश्व कप के बाद एक भी मैच न खेल पाने के कारण धोनी का चयन मुश्किल है। लेकिन क्या इससे सत्र के शेष सत्र की उम्मीदें खत्म हो सकती हैं? क्योंकि इसके बाद टी-20 विश्व कप की तैयारियां शुरू हो चुकी होंगी। धोनी मामले में गांगुली और शास्त्री की राय चयनकर्ताओं से बिल्कुल भिन्न है। खास तौर से शास्त्री काफी कड़ा रुख अख्तियार कर चुके हैं। इससे ऋषभ पंत (टी-20 टीम में चुने गए सैमसन) के प्रति विश्वसनीयता जरूर प्रभावित हुई है।

धोनी के लिए सबसे बड़ी बाधा उनकी उम्र है। वह 39 वर्ष के होने जा रहे हैं। हाल की रिपोर्ट्स को देखते हुए वह विश्व कप से बाहर हो चुके हैं। लेकिन फिटनेस उनकी सबसे बड़ी ताकत है और वह तमाम अटकलों पर भारी पड़ सकती है। ऐसे कई उदाहरण बताए जा सकते हैं जिन्होंने 30 साल से अधिक आयु में भी टी-20 में शानदार प्रदर्शन किया है। हालांकि यही वजह है कि वे घरेलू क्रिकेट से दूर हैं। लेकिन फिटनेस के साथ लय हासिल करने में उन्हें ज्यादा वक्त भी नहीं लगेगा।

केवल सवाल होता है इसे उचित समय पर साबित करने का। युवा खिलाड़ी पर दांव लगा सकते हैं। जहां तक वेटरन खिलाड़ी की बात है, उससे निश्चितता बेहद जरूरी है। अब सवाल यह है कि धोनी इस विषय को कैसे सुलझाते हैं? टीम में धोनी का चयन उनके फॉर्म और फिटनेस के आधार पर ही किया जाना चाहिए। यदि वह फिट नहीं होंगे तो उन्हें समय दिया जाना चाहिए। यदि फिर भी वह ऐसा करने में विफल रहते हैं तो उनके नाम पर विचार नहीं किया जाना चाहिए।

इसे संन्यास की घोषणा से नहीं जोड़ा जा सकता। मेरा मानना है कि धोनी अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में अपने मन और शरीर की जरूर सुनते हैं। वह घरेलू क्रिकेट के कुछ मैच जरूर खेलेंगे। आईपीएल तो अवश्य खेलेंगे। लेकिन भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए उनका बल्ला कितना चलेगा यह देखना अधिक दिलचस्प होगा।

Web Title: Ayaz Memon Column on MS Dhoni future

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