अयाज मेमन का कॉलम: कोरोना वायरस की वजह से खेल और खिलाड़ियों का ट्रैक पर लौटना होगा अधिक चुनौतीपूर्ण
By अयाज मेमन | Published: March 29, 2020 11:54 AM2020-03-29T11:54:37+5:302020-03-29T11:54:37+5:30
अधिसंख्य खिलाडि़यों को इस मानसिक तनाव से उबरने में बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. कोविड-19 से काफी बड़ा नुकसान हो चुका है, इस समय केवल यही दुआएं की जा सकती हैं
आखिरकार आईओसी (अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक परिषद) और जापान सरकार न इस वर्ष जुलाई में होने वाले टोकियो ओलंपिक खेलों को 2021 तक स्थगित कर दिया. पिछले कुछ सप्ताह कोविड-19 की महामारी के चलते स्थगित हो रहे बड़े खेल आयोजनों के बाद आईओसी और जापान सरकार ने बदतर होती स्थितियों को देखते हुए ओलंपिक को स्थगित करने का फैसला ले लिया. कोरोना वायरस से बढ़ते प्रभाव के बाद ओलंपिक खेलों को स्थगित करने की मांग जोर पकड़ रही थी.
आईसीसी सदस्य, खेल महासंघों और दिग्गज खिलाडि़यों की मांग को देखते हुए मेजबानों इस नतीजे पर पहुंचना पड़ा. हालांकि इस वैश्विक बीमारी के चलते खिलाडि़यों की तैयारियां भी बुरी तरह प्रभावित हुई थीं. हालांकि यह फैसला आसान भी नहीं था. इससे मेजबानों को आर्थिक रूप से गहरा झटका पहुंचा है. बीसवीं सदी में केवल दो विश्वयुद्धों को छोड़ दिया जाए तो ओलंपिक खेलों के आयोजनो में कोई रुकावट नहीं आई.
वर्ष 1980 में तत्कालीन संयुक्त सोवियत संघ द्वारा अफगानिस्तान पर हमले के बाद अमेरिका ने मास्को ओलंपिक का बहिष्कार किया था. इसके बाद संयुक्त सोवियत संघ ने भी 1984 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक का बहिष्कार किया था. लेकिन इससे खेलों के आयोजन पर कोई असर नहीं पड़ा. वर्ष 1988 के बाद आईओसी ने सभी सदस्य देशों के सहयोग से ओलंपिक आंदोलन को बिना किसी रुकावट जारी रखा. ओलंपिक एक ऐसा मंच रहा जहां सभी देशों ने विवादों को भुलाकर बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. टोकियो ओलंपिक भी इसी स्वस्थ परंपरा की एक अनूठी मिसाल बनने जा रही थी. अच्छी खबर यह है कि ओलंपिक खेलों को रद्द नहीं, एक वर्ष के लिए स्थगित करने का फैसला किया गया है. अब सभी निगाहें स्थितियां सामान्य होने पर टिक गई हैं.
सभी खेलों की स्पर्धाओं के स्थगित कार्यक्रम को आगे बढ़ाना आसान नहीं है. महासंघों के सामने वित्तीय संकट के अलावा अनेक चुनौतियां होंगी. फिर भी उम्मीद है कि ओलंपिक खेलों की नई तारीखों की घोषणा जल्द ही की जाएगी. मुख्तलिफ खेल स्पर्धाएं प्रभावित होने के साथ-साथ इससे जुड़े प्रशिक्षकों, खेल विज्ञान विशेषज्ञों, सहयोगी स्टाफ आदि पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं. साथ ही खिलाडि़यों और हितधारकों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. यदि इस वर्ष ग्रैंड स्लैम का आयोजन नहीं होता है तो फेडरर और सेरेना विलियम्स के लिए बड़े मंच पर देखना कठिन हो जाएगा. ओलंपिक के नहीं होने पर एमसी मैरीकोम को अपनी लय बनाए रखने में मुश्किल होगी.
इसी तरह आईपीएल के रद्द होने से धोनी का टी-20 विश्व कप खेलना मुश्किल होगा. यह समस्या केवल पुराने और स्थापित खिलाडि़यों तक ही जुड़ी नहीं है. उन युवा खिलाडि़यों को भारी निराशा हाथ लगेगी जिनका करियर दांव पर लगा है. अधिसंख्य खिलाडि़यों को इस मानसिक तनाव से उबरने में बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. कोविड-19 से काफी बड़ा नुकसान हो चुका है. इस समय केवल यही दुआएं की जा सकती हैं कि इस महामारी का प्रभाव कुछ माह तक ही रहे.