अयाज मेमन का कॉलम: वसीम जाफर पर लगाए गए आरोप दुखद, बोर्ड करे जांच
By अयाज मेमन | Published: February 14, 2021 09:35 AM2021-02-14T09:35:25+5:302021-02-14T14:26:18+5:30
वसीम जाफर के उत्तराखंड क्रिकेट टीम के कोच पद से इस्तीफा देने के बाद विवाद खड़ा हो गया है।
कोविड महामारी के बीच क्रिकेट का रोमांच बढ़ने लगा है. निश्चित रूप से इस खेल के चहेतों के लिए अच्छी खबर है. लेकिन पिछले सप्ताह उत्तराखंड क्रिकेट में जो हुआ, उससे बेहद ठेस पहुंची. बीसीसीआई और भारतीय समाज के लिए यह खतरे की घंटी है. उत्तराखंड क्रिकेट के पदाधिकारियों ने टीम के कोच और मैंटोर वसीम जाफर पर सांप्रदायिक होने का आरोप लगाया. इससे जाफर को करीब से जानने वालों को गहरा सदमा पहुंचा.
जाहिर है जाफर पर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं. अब तक का उनका क्रिकेट जीवन बेदाग रहा है. टेस्ट क्रिकेट में देश की नुमाइंदगी करने वाला यह अनुभवी खिलाड़ी पिछले दो दशक से राष्ट्रीय क्रिकेट में छाया हुआ है. उन्होंने मुंबई और विदर्भ का सफलतापूर्वक नेतृत्व भी किया. बतौर बल्लेबाज, कप्तान, कोच और मैंटोर के रूप में उनका व्यक्तित्व, संयमी और कुछ कर गुजरने की इच्छाशक्ति सुर्खियों में रही है. यही वजह है कि इस घटना के बाद उनके समर्थन में बड़ा तबका खड़ा है. यह फेहरिस्त काफी लंबी है जिनमें अनिल कुंबले, इरफान पठान, मनोज तिवारी, अमोल मुजुमदार और मोहम्मद कैफ जैसे दिग्गजों का समावेश है. कुछ ने तो चर्चित खिलाड़ी जाफर के समर्थन में क्यों नहीं उतरे, इसके बारे में पूछताछ की. हालांकि इसका जवाब नहीं दिया जा सकता लेकिन इतना जरूर कह सकता हूं कि अनेक लोगों ने दु:ख जरूर जताया.
यह विवाद जाफर के इस्तीफे के बाद शुरू हुआ. अपने इस्तीफे में वह सारी परेशानी बता चुके हैं. बगैर उनकी जानकारी के उत्तराखंड के पदाधिकारियों ने खिलाडि़यों का चयन किया. कुंबले भी इस पर रोशनी डाल चुके हैं. यही वजह है कि पिछले तीन सत्र में टीम ने अपने कोच बदले. व्यक्तिगत हित और सत्ता लोलुपता के चलते कोच टिक नहीं पा रहे हैं. अपनी ऑनलाइन पत्र परिषद में जाफर ने सभी आरोपों का सिलसिलेवार जवाब दिया है. हालांकि अब तक राज्य इकाई से रिस्पॉन्स नहीं मिला है.
विवाद बढ़ता देख सचिव ने खुद को दूर रखा है. बीसीसीआई को इस मामले की कड़ी जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. मेरी नजर में इस तरह की यह पहली घटना है. अलग-अलग जाति-धर्म के खिलाड़ी ड्रेसिंग रूम तथा होटल के कमरों में शान से समय बिताते रहे हैं. यह दोस्ताना रिश्ते केवल क्रिकेट तक ही नहीं तो अन्य खेलो में दिखाई देते हैं. उत्तराखंड क्रिकेट में जो हुआ वह पीड़ादायक है.