जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: चुनौतियों के बीच भी देश की वैश्विक साख बढ़ी

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: May 27, 2023 10:58 AM2023-05-27T10:58:23+5:302023-05-27T11:02:07+5:30

इन दिनों प्रकाशित हो रही विभिन्न वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की रिपोर्टों में यह रेखांकित हो रहा है कि वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बीच भी भारत अनुकूल क्रेडिट रेटिंग के साथ दुनिया में आर्थिक प्रतिस्पर्धी देश के रूप में उभरकर आगे बढ़ रहा है.

The country's global credibility increased even amid challenges | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: चुनौतियों के बीच भी देश की वैश्विक साख बढ़ी

(फाइल फोटो)

Highlightsवित्त वर्ष 2025 और वित्त वर्ष 2026 में भारत के लिए 6.9 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया है.निजी क्षेत्र भी बड़े स्तर पर निवेश करने की तैयारी कर रहा है.

इन दिनों प्रकाशित हो रही विभिन्न वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की रिपोर्टों में यह रेखांकित हो रहा है कि वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बीच भी भारत अनुकूल क्रेडिट रेटिंग के साथ दुनिया में आर्थिक प्रतिस्पर्धी देश के रूप में उभरकर आगे बढ़ रहा है. 18 मई को दुनिया की प्रमुख अमेरिका की एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग ने भारत की सॉवरेन रेटिंग स्थिर परिदृश्य के साथ दीर्घावधि के लिए ‘बीबीबी’ और कम अवधि के लिए ‘A-3’ रखी है. 

यह परिदृश्य बताता है कि भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और राजस्व में अच्छी वृद्धि राजकोष को मजबूती प्रदान करेगी. साथ ही एसएंडपी ने उम्मीद जताई है कि भारत की वास्तविक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024 में 6 प्रतिशत रहेगी क्योंकि निवेश और उपभोक्ताओं का रुख वृद्धि में अगले कुछ साल तक मददगार रहेगा. ऐसे में वित्त वर्ष 2025 और वित्त वर्ष 2026 में भारत के लिए 6.9 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया है.

गौरतलब है कि 11 मई को प्रमुख वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष 2023-24 में चुनौतीपूर्ण वैश्विक वित्तीय स्थिति के बावजूद भारत वैश्विक आर्थिक झटकों को इसलिए सरलतापूर्वक झेल जाएगा, क्योंकि भारत के चालू खाते के घाटे (सीएडी) में सुधार हुआ है. चालू खाते का घाटा कम अवधि की प्रमुख विदेशी देनदारी के रूप में पहचाना जाता है. इससे विनिमय दर और विदेशी निवेशकों की धारणा प्रभावित होती है.

यह बात भी महत्वपूर्ण है कि 9 मई को वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत की रेटिंग बीबीबी- बरकरार रखी है. दीर्घ अवधि के ऋण पर भारत का परिदृश्य स्थिर रखा है. रेटिंग निर्धारित करते हुए फिच ने कहा कि भारत में पिछले कुछ वर्षों में सरकार के सहयोग से कंपनियों और बैंकों के बहीखाते में काफी सुधार हुआ है और आधारभूत संरचना के विकास पर भी अधिक ध्यान दिया जा रहा है. 

निजी क्षेत्र भी बड़े स्तर पर निवेश करने की तैयारी कर रहा है. फिच ने कहा कि बढ़ी महंगाई, ऊंची ब्याज दरों और वैश्विक स्तर पर मांग में कमी की बड़ी चुनौतियों के बीच भारत की आंतरिक वित्तीय स्थिति थोड़ी कमजोर जरूर है और प्रति व्यक्ति आय और विश्व बैंक के मानकों पर भी भारत थोड़ा फिसला है. 

लेकिन दूसरे देशों की तुलना में भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं काफी मजबूत हैं और विदेश से आने वाले वित्तीय संसाधन भी संतोषप्रद हैं. निवेश की बेहतर संभावनाओं के बीच वित्त वर्ष 2023-24 में देश की विकास दर 6 फीसदी और वित्त वर्ष 2024-25 तक देश की आर्थिक वृद्धि दर बढ़कर 6.7 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है.

इसी प्रकार एक्यूट क्रेडिट रेटिंग्स एंड रिसर्च ने वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत के चालू खाते के घाटे से संबंधित अपने पूर्वानुमान को संशोधित किया है. इसे 106 अरब डॉलर से घटाकर 68 अरब डॉलर कर दिया है और भुगतान संतुलन घाटा भी पहले के 38 अरब डॉलर से घटाकर 17 अरब डॉलर कर दिया है. कहा गया है कि इस वर्ष कच्चे तेल का आयात बिल कम होने, निर्यात बढ़ने व प्रवासियों से विदेशी मुद्रा की अधिक प्राप्ति से भारत की वैश्विक साख बढ़ी है. 

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में भी कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की बढ़ी हुई अनिश्चितताओं के बीच भारत का मजबूत आर्थिक प्रदर्शन दुनिया में भारत की अहमियत बढ़ा रहा है. वर्ष 2023 में कुल वैश्विक विकास में भारत 15 फीसदी से भी अधिक का योगदान देगा. जहां पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की विकास दर दुनिया में सबसे अधिक रही है, वहीं आगामी वित्त वर्ष 2023-24 में भी भारत की विकास दर 6.1 फीसदी के साथ फिर सर्वोच्च होगी. 

संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक सामयिक मामलों के विभाग के द्वारा प्रस्तुत ‘विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं 2023’ रिपोर्ट में भी भारत को उद्योग-कारोबार और निवेश के मद्देनजर विश्व का प्रमुख निवेश स्थल बताया गया है. यद्यपि दुनियाभर में भारत सबसे तेज अर्थव्यवस्था वाले देश के रूप में रेखांकित हो रहा है और भारत की वैश्विक आर्थिक साख संतोषप्रद है. लेकिन अभी भी वैश्विक क्रेडिट रेटिंग को सुधारने और उसे ऊंचाई देने के लिए कई बातों पर ध्यान देना जरूरी है. 

हमें देश की नई लॉजिस्टिक नीति 2022 और गति शक्ति योजना की अभूतपूर्व रणनीतियों से भारत को आर्थिक प्रतिस्पर्धी देश के रूप में तेजी से आगे बढ़ाकर देश की अर्थव्यवस्था को निर्यात प्रधान अर्थव्यवस्था बनाना होगा. दुनिया के विभिन्न देशों के साथ शीघ्रतापूर्वक मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को आकार देना होगा. भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा डिजिटल रुपए की जो प्रायोगिक शुरुआत हुई है, उसे अब शीघ्रता से विस्तारित करना होगा.

हम उम्मीद करें कि इस वर्ष 2023 में जी-20 की अध्यक्षता की कमान रखते हुए भारत वैश्विक क्रेडिट रेटिंग को और अनुकूल बनाने के लिए मेक इन इंडिया और मेक फॉर ग्लोबल की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगा. इससे संपूर्ण अर्थव्यवस्था और आम आदमी भी लाभान्वित होगा.

Web Title: The country's global credibility increased even amid challenges

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे