ब्लॉग: यात्रियों को रुला रही है विमान यात्रा

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 5, 2023 10:42 AM2023-12-05T10:42:18+5:302023-12-05T10:42:55+5:30

स्पाइसजेट से दिल्ली से पटना के लिए उड़ान भरने वाला एक अन्य समूह सात घंटे तक दिल्ली हवाई अड्डे पर फंसा रहा क्योंकि उनका विमान नहीं आया।

Air travel is making passengers cry | ब्लॉग: यात्रियों को रुला रही है विमान यात्रा

फाइल फोटो

यात्रियों से भरे हवाईअड्डों पर, चाहे वह व्यवसाय के सिलसिले में कहीं जाने वाले हों या छुट्टियां मनाने, घरेलू एयरलाइनों का एकाधिकार यात्रियों को रुला रहा है। भारत दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता विमानन बाजार है।

इसकी आधा दर्जन एयरलाइंस लगभग 700 विमान संचालित करती हैं, जो प्रतिदिन 3000 उड़ानों में लगभग पांच लाख यात्रियों को ले जाती हैं। लेकिन वे शब्दश: कैटल क्लास में यात्रा करते हैं, जिन्हें दुधारू गाय मानकर टिकट और विमान पर मौजूद हर चीज के लिए भुगतान करने के लिए मजबूर किया जाता है।

तथाकथित बजट एयरलाइंस इतनी संवेदनहीन हो गई हैं कि वे उन यात्रियों को उतार देती हैं जिनके हाथ में सामान सीमा से थोड़ा ही अधिक होता है। हालांकि यात्रा की गति तेज हो गई है लेकिन यात्रियों को घटिया सेवा, ग्राउंड स्टाफ और चालक दल द्वारा अशिष्ट व्यवहार और गुणवत्ता सेवा पर जोर देने पर विमान से उतार दिए जाने की धमकियों का सामना करना पड़ता है।

हाल ही में, भारत के सबसे सफल कॉमेडियनों में शामिल कपिल शर्मा जैसे सेलिब्रिटी को भी एयरपोर्ट बस में इंतजार करना पड़ा। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, ‘‘पहले आपने हमें 50 (मिनट) तक बस में इंतजार कराया, और अब आपकी टीम कह रही है कि पायलट ट्रैफिक में फंस गया है।

क्या सच में? हमें रात 8 बजे तक उड़ान भरनी थी और 9:20 हो चुके हैं, फिर भी कॉकपिट में कोई पायलट नहीं है। क्या आपको लगता है कि ये 180 यात्री दोबारा इंडिगो में उड़ान भरेंगे? कभी नहीं।’’

अगले दिन, स्पाइसजेट से दिल्ली से पटना के लिए उड़ान भरने वाला एक अन्य समूह सात घंटे तक दिल्ली हवाई अड्डे पर फंसा रहा क्योंकि उनका विमान नहीं आया। जब से टाटा ने एयर इंडिया का अधिग्रहण किया है, उसके सहोदर विस्तारा और एयर एशिया ने मार्गों का इस तरह पुनर्गठन कर दिया है कि यात्रियों के लिए विकल्प कम हो गए हैं।

उदाहरण के लिए, एयर इंडिया ने कुछ आकर्षक गंतव्यों के लिए अपनी उड़ानों की संख्या कम कर दी है ताकि विस्तारा अधिक किराया वसूल सके। भारतीय यात्रियों पर दोहरी मार पड़ी है: बढ़ता किराया और गिरती गुणवत्ता भारतीय आसमान एयरलाइंस की मुनाफाखोरी का अड्डा बन गया है, जिस पर सरकार और उसकी नियामक एजेंसियों का कोई नियंत्रण नहीं है।

इस हवाई सफलता को उभरते हुए नए भारत का संकेत माना जा रहा है, लेकिन गुणवत्ता और विश्वसनीयता की कमी रोड़ा बन गए हैं। जेट और गो फर्स्ट जैसी कई एयरलाइंस विनियामक विफलता और वित्तीय धोखाधड़ी के कारण ढह गई हैं। सीट की कमी के कारण यात्रियों को कष्ट लेकिन एयरलाइंस को फायदा हो रहा है।

 तकनीकी कारणों से 100 से अधिक विमान खड़े हैं फिर भी प्रति विमान यात्रियों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। मांग और आपूर्ति के बीच बढ़ते अंतर ने एयरलाइंस को उन यात्रियों को प्रताड़ित करने में सक्षम बना दिया है जो उनकी रोजी-रोटी का जरिया हैं।

भारत में घरेलू हवाई किराए में दुनिया में सबसे ज्यादा उछाल देखा गया है। एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल एशिया-पैसिफिक ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत में हवाई किराए में 41 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है, जिसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (34 प्रतिशत), सिंगापुर (30 प्रतिशत) और ऑस्ट्रेलिया (23 प्रतिशत) का स्थान है।

1994 में एयर कॉर्पोरेशन अधिनियम निरस्त होने के बाद, सरकार ने हवाई किरायों को विनियमित करना बंद कर दिया। एयरलाइंस को लागत के अनुपात में उचित किराया वसूलने की खुली छूट दी गई। तब से, उद्योग में संकट के दौरान भी शोषणकारी मूल्य निर्धारण के माध्यम से एयरलाइंस फली-फूली है।

कोई आश्चर्य नहीं कि इंटरग्लोब एविएशन (इंडिगो) ने 2023-24 की पहली तिमाही के लिए 3,090 करोड़ का अपना उच्चतम शुद्ध लाभ घोषित किया, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में 1,064 करोड़ का घाटा हुआ था। अप्रैल और जून के बीच मुनाफा 236 प्रतिशत तक बढ़ गया। इंडिगो एयरलाइंस कॉकपिट में मजबूती से मौजूद है और अधिकतम हवाई क्षेत्र पर कब्जा कर रही है।

इसके 320 विमानों का बेड़ा 110 से अधिक गंतव्यों को जोड़ने वाली 1900 उड़ानों में प्रतिदिन प्रत्येक दस यात्रियों में से छह को ले जाता है। पिछले एक दशक में इसने 60 प्रतिशत की बाजार हिस्सेदारी हासिल कर ली है। विभिन्न कारणों से इसके लगभग 50 विमान खड़े होने के बावजूद, इसका लोड फैक्टर एक साल में दोगुना हो गया है।

2021-22 में इसने 4.67 करोड़ यात्रियों का परिवहन किया; 2022-23 में यह बढ़कर 8.52 करोड़ हो गया। जाहिर तौर पर, इसने गंतव्यों को पुनर्गठित करके अपने सिकुड़ते बेड़े का दोहन किया है, जिसमें पहली कुछ पंक्तियों, पैरों के लिए अधिक जगह वाली सीटों और प्रत्येक गलियारे और खिड़की की सीटों सहित हर उड़ान की 60 प्रतिशत सीटों के लिए अतिरिक्त शुल्क लिया जा रहा है।

अंतिम क्षण में समय बदलने, बुक किए गए भोजन से इनकार करने और यात्रियों को लंबे समय तक इंतजार कराने के लिए इंडिगो के पास कई शिकायतें दर्ज की गई हैं। हालांकि उसे समय बचाने के लिए यात्रियों द्वारा भुगतान किया जाता है, लेकिन असहाय यात्रियों की मजबूरी का फायदा उठाकर उसने लगभग 500 करोड़ का मुनाफा कमाया फिर भी सबसे बड़े विमान का ऑर्डर देने के बाद इसकी साख आसमान पर है।

टाटा के स्वामित्व वाली विस्तारा 63 विमानों (चार ग्राउंडेड) के साथ खुद को एक लक्जरी एयरलाइन के रूप में बाजार में पेश करती है। जेट एयरवेज के बंद होने के बाद, यह अमीर और प्रसिद्ध लोगों के लिए पसंदीदा विकल्प है। हालांकि इसकी सेवाएं उच्चतम मानकों की हैं, लेकिन इसका ट्रैक रिकॉर्ड अस्पष्ट है।

यह मार्गों को पुनर्गठित करके अपने विशिष्ट एकाधिकार का फायदा उठा रही है, जिसके कारण कम लाभदायक मार्गों पर सीटों की कमी हो गई है. यह 100 मिनट की एकतरफा उड़ान के लिए 45,000 रुपए तक का शुल्क लेती है। इसके आकर्षक ऑफर और फ्रीक्वेंट फ्लायर योजनाएं एक दिखावा है क्योंकि जब भी यात्री इसे भुनाने की कोशिश करते हैं, तो एयरलाइन उन्हें महीनों तक इंतजार कराती है।

63 विमानों (वर्तमान में 32 निष्क्रिय) और 9 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ स्पाइस जेट भले ही पतन के कगार पर हो, फिर भी इसने बड़ा मुनाफा कमाया, जो 2023 की पहली तिमाही में 204.56 करोड़ है, जबकि एक साल पहले 788.83 करोड़ का शुद्ध घाटा हुआ था। कारण क्या है? जून तक इसका घरेलू लोड फैक्टर 90 फीसदी था।

स्पाइस जेट का प्रति सीट प्रति किलोमीटर राजस्व 26 प्रतिशत बढ़ा। चार वर्षों में इसका सबसे अधिक लाभ उड़ानों की संख्या में गिरावट से आया। इसका भविष्य अनिश्चित है और इसके नुकसान से इंडिगो को फायदा होगा।

एयर इंडिया की सरकारी विरासत वर्तमान विमानन दु:स्वप्न के लिए जिम्मेदार है। कभी क्लास और विलासिता का प्रतीक, आकर्षक परिचारिकाओं (कई टाइकून ने उनमें से कुछ से शादी कर ली) के साथ विदेशी व्यंजन परोसते हुए, यह अपने यात्रियों के साथ राजसी व्यवहार करता था।

भ्रष्टाचार और अक्षमता के कारण इसके लड़खड़ाते ही अन्य निजी एयरलाइनों ने इसका स्थान छीन लिया। अब 18 साल पुरानी इंडिगो के पास एयर इंडिया के 128 विमानों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक विमान हैं। टाटा के अधिग्रहण के बाद से एयर इंडिया में सुधार हुआ है और इसका राजस्व आसमान छू गया है। इसने 500 से अधिक नए विमानों का ऑर्डर दिया है। 

लेकिन निकट भविष्य में भारतीय यात्रियों की सहूलियत बढ़ने की संभावना नहीं है क्योंकि आपूर्ति की तुलना में मांग तेजी से बढ़ेगी। बाजार की ताकतों को उत्पात मचाने देने से लंबे समय में बड़े पैमाने पर प्रतिक्रिया होगी। कॉर्पोरेट लालच के रनवे पर फंसे यात्रियों को लगता है कि उन्होंने नरक का एकतरफा टिकट खरीदा है। गुणवत्ता की उम्मीद दिवास्वप्न होने की गारंटी है। 

Web Title: Air travel is making passengers cry

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