मजरूह सुल्तानपुरी: एकमात्र शायर जिन्होंने के एल सहगल से लेकर ए आर रहमान तक के साथ काम किया

By असीम | Published: May 24, 2018 04:56 PM2018-05-24T16:56:27+5:302018-05-24T16:56:27+5:30

मजरूह सुल्तानपुरी ने कई संगीतकारों के साथ काम कर उनकी पहली हिट फिल्म दीं थीं।

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मजरूह सुल्तानपुरी: एकमात्र शायर जिन्होंने के एल सहगल से लेकर ए आर रहमान तक के साथ काम किया

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर
लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।

मशहूर शायर और गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी का ज़िक्र हो और ये शेर न हो तो कुछ अजीब सा लगता है। आज से अठारह वर्ष पहले 24 मई, 2000 को मजरूह साहब ने दुनिया के इस कारवां को छोड़ अलविदा कहा था लेकिन वो आज भी हमारे बीच हैं उनके अनगिनत गानों और शेरों की बदौलत।

हिंदी फिल्म के इतिहास में शायद मजरूह सुल्तानपुरी अकेले ऐसे गीतकार होंगे जिन्होंने के एल सहगल से लेकर  ए आर रहमान तक के साथ काम किया है। मजरूह साहब ने ही हिंदी फिल्मों में गाने लिखने के लिये मीटर पद्धति की शुरुआत की।

मजरूह सुल्तानपुरी ने कई संगीतकारों के साथ काम कर उनकी पहली हिट फिल्म दीं थीं। इसमे सबसे पहले हैं लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी जिनके साथ मजरूह साहब ने फ़िल्म दोस्ती के गीत लिखे थे। इस फ़िल्म के गाने आज भी सुने जाते हैं। चाहूँगा मैं तुम्हे साँझ सवेरे के लिए मजरूह को अपना इकलौता फ़िल्मफ़ेअर अवार्ड भी मिला था। आर डी बर्मन को भी पहली हिट फिल्म मजरूह के साथ ही मिली थीऔर कुंवारा बाप के ज़रिये राजेश रोशन ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनायीं थी। नये ज़माने के संगीतकार आनंद-मिलिंद और जतिन ललित को भी उनकी पहली हिट फिल्म मजरूह के साथ ही मिली थी।

उनका ही लिखा हुआ गीत पहला नशा पहला खुमार आज भी नौजवानों में बेहद लोकप्रिय है। साथ ही उनकी लिखी हुई ग़ज़लें जो इस बात का सबूत हैं कि उनकी लिखाई समय की पाबंद नहीं है।

इमरजेंसी के दौरान दो साल जेल में रहने के बाद भी बॉलीवुड पर उनकी पकड़ बनी रही। कम्युनिस्ट विचारधारा के समर्थक होने के कारण उन्हें मुश्किलों का सामना ज़रूर करना पडा लेकिन मजरूह ने कोई समझौता नहीं किया।

आज उनकी पुण्यतिथि पर उनका ही लिखे गीत रहें न रहें हम महका करेंगे कि कुछ पंक्तियाँ उन्हें समर्पित:

जब हम न होंगे तब हमारी
खाक पे तुम रुकोगे चलते चलते
अश्कों से भीगी चांदनी में
इक सदा सी सुनोगे चलते चलते
वहीं पे कहीं, वहीं पे कहीं हम
तुमसे मिलेंगे, बन के कली बन के सबा बाग़े वफ़ा में ...

English summary :
Majrooh Sultanpuri is popular bollwyood lyricist and is still remembered for his amazing range of works which included any kind of song one can think of. He passed away on May 24, 2000 following a lung infection. Known for his support for Leftist movement in the country, Majrooh was jailed during emergency for two years.


Web Title: majrooh-sultanpuri-lyricist-hindi-films

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