लता मंगेशकर: साथ रही और साथ रहेगी आवाज
By अजय ब्रह्मात्मज | Published: February 7, 2022 12:26 PM2022-02-07T12:26:53+5:302022-02-07T12:26:53+5:30
लता मंगेशकर विनम्रता की प्रतिमूर्ति रहीं. सामान्य बातचीत में भी उनकी मधुरता और तरलता तैरती थी.
मुंबई के कई समारोहों में सफेद साड़ी में लिपटी शांत, स्थिर और भव्य धवल आकृति को कई बार देखने-सुनने का मौका मिला है. यह आकृति स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर की रही है. मुलाकातों के अवसर होने पर भी मैंने कभी उनसे मिलने की कोशिश नहीं की. हमेशा यही लगा कि मैं अकिंचन उनसे क्या बातें करूंगा?
दो-चार बार पास से नमस्कार जरूर किया है. हर बार मैंने पाया और महसूस किया है कि वह नमस्कार कर रहे व्यक्ति को एक नजर देखती थीं और फिर हल्की मुस्कुराहट से अभिनंदन स्वीकार करती थीं. उनके प्रति सभी के बीच श्रद्धा और आदर का भाव देखा है. दिलीप कुमार उन्हें अपनी छोटी बहन कहते थे.
याद करें तो विभाजन के बाद नूरजहां और खुर्शीद के भारत से पाकिस्तान चले जाने के बाद संगीत निर्देशकों और हिंदी फिल्मों को एक ऐसी आवाज की जरूरत थी, जो दोनों की भरपाई कर सके. साथ ही आजादी के बाद के भारत के मनोभाव और जज्बात को सुर दे सके.
इस संक्रांति काल में लता मंगेशकर की आवाज की मधुर गूंज से पूरा भारत चहक उठा. आजादी के बाद के दशक में उन्होंने हर उम्र की नायिकाओं के लिए गीत गाए हैं. किशोरावस्था से लेकर वृद्धावस्था तक उनकी आवाज इन नायिकाओं के किरदारों को सहारा देती रही है. उनकी आवाज की चहक पड़ोसी देशों के साथ विदेशों में भी सुनाई पड़ी.
पाकिस्तान के मशहूर शायर हबीब जालिब को जब तत्कालीन पाकिस्तानी सरकार ने कैद कर लिया था तो उन्होंने एक फरमाइश रखी थी. उन्होंने लता मंगेशकर के गाने मांगे थे. लता मंगेशकर के गीतों को सुनते हुए उन्होंने जेल की तन्हाई काटी और अपने अनुभव पर उन्होंने लता मंगेशकर के लिए एक प्यारी सी नज्म लिखी..
तेरे मधुर गीतों के सहारे
बीते हैं दिन रैन हमारे..
लता मंगेशकर विनम्रता की प्रतिमूर्ति रहीं. सामान्य बातचीत में भी उनकी मधुरता और तरलता तैरती थी. लता मंगेशकर के मानस को समझना है तो उनके ट्विटर पर किए गए पोस्ट से एक बार गुजरिए. उनकी पसंद को आप करीब से समझ पाएंगे. 4 जनवरी को उन्होंने आखिरी ट्वीट में सिंधुताई सपकाल को याद किया था.
उसी दिन हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के पंचम दा (राहुल देव बर्मन) को याद करते हुए उन्होंने लिखा था ‘आज हम सबके प्यारे पंचम की पुण्यतिथि है. उसने जितना भी संगीत बनाया वह श्रवणीय था और आज भी लोकप्रिय है. मैं उसकी याद को विनम्र अभिनंदन करती हूं.’
इसके साथ ही उन्होंने पंचम के संगीतबद्ध ‘मासूम’ के गीत ‘तुझसे नाराज नहीं जिंदगी, हैरान हूं मैं’ का लिंक डाला था. आज पूरा देश हैरान है कि उनकी प्यारी लता दी ने उन्हें छोड़कर इस असार संसार से विदा ले ली.
उन्हें हार्दिक नमन!