Sanatana Dharma: देश में ’भारत’ और ’इंडिया’ को लेकर चल रहे सियासी बयानबाजी के बीच राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। प्रदेश कार्यालय में मिलन समारोह कार्यक्रम के दौरान उन्होंने देश को गुलाम बनाने के लिए आरएसएस और भाजपा को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने कहा कि टीका लगाकर घूमने वालों ने भारत को गुलाम बनाया। इसके साथ ही उन्होंने कर्पूरी ठाकुर, लालू प्रसाद और राम मनोहर लोहिया का उदाहरण भी दे डाला। जगदानंद सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत गुलाम किसके समय में हुआ? क्या उस समय कर्पूरी ठाकुर, लालू प्रसाद यादव थे, राम मनोहर लोहिया थे?
उन्होंने कहा कि हिंदू- मुसलमान में भारत को बांटने से काम नहीं चलेगा। बना लो मंदिर और तोड़ दो मस्जिद, इससे भारत नहीं चलेगा। जगदानंद सिंह ने 2020 के विधानसभा चुनाव को याद करते हुए कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में तेजस्वी को राज मिल गया था। जनता ने बता दिया था कि बिहार में वहीं राज करेंगे।
हालांकि हो सकता है कि ’तकनीकी’ कारणों से या ’बेइमानी’ से बात नहीं बन पाई। जगदानंद ने कहा कि तेजस्वी के फैसले को और मजबूती से आगे ले जाना है। मुल्क की समस्या और अपनी समस्या में ज्यादा फर्क नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर वो सनातन, जिसमें भेदभाव किया जाता है, अगड़े-पिछड़े की बात की जाती है, लोगों को बांटा जाता है तो, हां मैं फिर मैं वो सनातनी नहीं हूं।
राजद कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में कई लोगों ने राजद की सदस्यता ग्रहण की। पत्रकार नलिन वर्मा लिखित लालू प्रसाद की जीवनी मिलन समारोह में पहुंचे कार्यकर्ताओं के बीच वितरित की गई। कहा जा रहा है कि इस किताब की एक लाख प्रतियां राजद ने मंगवाई है।
इस किताब को वितरित करने का मकसद यह कि लालू यादव के बचपन से लेकर छात्र जीवन और उसके बाद राजनीति में संघर्ष के साथ ही उनके विचार को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सके। काफी संख्या में महिलाओं ने भी राजद की सदस्यता ग्रहण की। जगदानंद सिंह और रणविजय साहु ने सदस्यता रसीद देकर सबको सदस्यता ग्रहण करवाई।
उधर, जगदानंद के बयान पर भाजपा ने पलटवार करते हुए इतिहास पढ़ने की नसीहत दी है। राकेश कुमार ने कहा कि जगदा बाबू को देश का इतिहास पढ़ लेना चाहिए। 1857 के विद्रोह के नायक मंगल पांडेय ही थे, जो टीका लगाने वाले समुदाय से थे। रानी लक्ष्मीबाई, चन्द्रशेखर आजाद भी इसी समाज से आते थे। जगदानंद बाबू समाज में ऊंच-नीच का भेदभाव पैदा कर वोट नहीं लिया जा सकता है।