नहीं खरीद सकेंगे मारुति सुजुकी की डीजल कार, बाकी कंपनियां भी बंद कर सकती हैं प्रॉडक्शन, ये है बड़ी वजह
By रजनीश | Published: April 26, 2019 05:34 PM2019-04-26T17:34:05+5:302019-04-26T17:34:05+5:30
सरकार के नियमों के मुताबिक अप्रैल 2020 से BS-VI (भारत स्टेज-VI) नियम लागू हो जाएगा। इसके बाद डीजल कार 75 हजार रुपए तक महंगी हो सकती हैं जबकि पेट्रोल कार की कीमतों में केवल 20 हजार रुपए का इजाफा देखने को मिलेगा।
मशीनी दुनिया का डीजल से लगाव धीरे-धीरे कम हो रहा है। खासकर कार निर्माता कंपनियां डीजल की जगह पेट्रोल इंजन वाली कारों के निर्माण पर जोर दे रही हैं। आज से पहले डीजल कारों के प्रति लोगों का लगाव इतना कम कभी नहीं हुआ, इसके पीछे कई कारण हैं। डीजल इंजन के प्रति लोगों के मोहभंग को देखते हुए कंपनियां भी पेट्रोल इंजन पर ही ज्यादा फोकस कर रही हैं। साल 2018 वित्त वर्ष में डीजल से चलने वाली कारों में 23 प्रतिशत की गिरावट आई है। इंडस्ट्री विशेषज्ञों का मानना है कि मार्च 2019 तक इसमें और गिरावट आने की उम्मीद है..
कंपनियों ने क्यों शुरू की डीजल इंजन से दूरी
पेट्रोल कारों की तरफ कंपनियों के झुकाव की एक बड़ी वजह सुप्रीम का एक आदेश है। सुप्रीम कोर्ट ने एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में 2 लीटर से बड़े डीजल इंजन वाली गाड़ियों के राजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दिया था। हालांकि बाद में केंद्र सरकार की अपील के बाद इस नियम में ढील दी गई थी। इस नियम से कंपनियों को इस बात का अंदाजा लग गया कि इस तरह के नियम दोबारा भी लागू किए जा सकते हैं। इसलिए समय रहते ही कार निर्माताओं ने डीजल इंजन वाली कारों और उनके इंजन में किए जाने वाले बदलावों पर गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया।
रजिस्ट्रेशन पर रोक भले ही एनसीआर में लगाई गई थी लेकिन कार निर्माताओं के लिए भारत एक बड़ा बाजार है, इसलिए वो इसकी अनदेखी नहीं कर सकते। इसलिए जल्द ही कंपनियों ने विकल्प पर विचार करना शुरू कर दिया। डीजल इंजन पर रोक लगाए जाने की बड़ी वजह ये है कि ये पेट्रोल से ज्यादा प्रदूषण करते हैं।
लोगों का डीजल कारों से मोहभंग होने की वजह
साल 2014 के बाद से जिस तेजी से डीजल की कीमत बढ़ी है उससे अब पेट्रोल और डीजल के दाम में बहुत ज्यादा अंतर नहीं रह गया है। वर्तमान में पेट्रोल-डीजल के दाम में अधिकतम 7-8 रुपए का अंतर है। जबकि 2012 में पेट्रोल-डीजल के दाम में 30 रुपए का अंतर था।
कीमतों में अंतर होने का फर्क एवरेज पर भी पड़ता था। पेट्रोल कार की तुलना में डीजल कार का एवरेज भी ज्यादा होता था। ऐसे में डीजल सस्ता तो पड़ता ही था साथ ही एवरेज भी ज्यादा मिलता था। फिलहाल कंपनियां हाइब्रिड कारों पर काम कर रही हैं। इससे आने वाले समय में एवरेज में भी ज्यादा अंतर नहीं रह जाएगा। लेकिन अभी हाइब्रिड कारों की कीमत ज्यादा है।
डीजल इंजन की खासियत
हालांकि हाई परफॉर्मेंस सेडान कार और एसयूवी में दिए जाने वाले टर्बोचार्ज इंजन में डीजल, पेट्रोल से ज्यादा बेहतर काम करता है। यही वजह है कि 70-75 परसेंट लग्जरी कारों में डीजल इंजन दिया जाता है। डीजल इंजन का एक फायदा यह भी है कि यह लो आरपीएम पर भी बढ़िया टॉर्क देता है जबकि पेट्रोल इंजन हाई आरपीएम पर स्मूद परफॉर्मेंस देता है।
नए नियम से महंगी हो जाएंगी डीजल कार
चर्चा है कि सरकार के नियमों के मुताबिक अप्रैल 2020 से BS-VI (भारत स्टेज-VI) नियम लागू हो जाएगा। इसके बाद डीजल कार 75 हजार रुपए तक महंगी हो सकती हैं जबकि पेट्रोल कार की कीमतों में केवल 20 हजार रुपए का इजाफा देखने को मिलेगा। अमूमन किसी भी कार का डीजल वर्जन उसके पेट्रोल वर्जन से लगभग 1लाख रुपए महंगा होता है। BS-VI लागू होने के बाद यह अंतर बढ़कर डेढ़ से दो लाख हो जाएगा। डीजल कारों पर ज्यादा टैक्स भी लगाया जाएगा, जिसका कुछ हिस्सा पर्यावरम सेस भी होगा।
कार की बढ़ी हुई कीमत को बराबर करने के लिए वर्तमान में डीजल कार को लगभग 54 हजार किमी चलाना होगा। जबकि 2012 में यह अंतर 30-33हजार किमी के आसपास था। BS-VI (भारत स्टेज-VI) के लागू होने के बाद यह अंतर लगभग 90 हजार किलोमीटर तक बढ़ जाएगा। जो कि छोटे कार खरीदारों के लिए कहीं से भी फायदे का सौदा नहीं होगा। खासकर जो सालभर में 15 हजार किलोमीटर से कम चलते हैं। इस बात को आप ऐसे समझिए....
मानकर चलिए आप कोई कार खरीदना चाहते हैं। बाजार में उसके दो मॉडल हैं। एक पेट्रोल वर्जन और दूसरा डीजल वर्जन। सीधी बात है कि डीजल वर्जन लगभग लाख रुपए महंगा मिलेगा। जबकि आपने खरीदा इस चाहत में कि डीजल सस्ता मिलेगा और कार एवरेज ज्यादा देगी। ये तो आपने अपने फायदे की बात सोची। लेकिन हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि इस फायदे की भरपाई कब हो पाएगी जब आप अपनी डीजल कार को 54 हजार किलोमीटर तक चला लेंगे तब आपने जो एक लाख रुपए ज्यादा दिए हैं उसकी बराबरी हो पाएगी। ऐसे में अगर आप कार का कभी कभार ही उपयोग करते हैं तो डीजल कार के चक्कर में जो आपने एक्सट्रा पैसे खर्च किए हैं उसकी भरपाई करने में सालों लग जाएंगे।
हाइब्रिड कारें ले सकती हैं डीजल कारों की जगह
एक-एक कर कई बड़ी कंपनियों ने पेट्रोल कार और हाइब्रिड कारों पर ज्यादा फोकस करना शुरू कर दिया है। इससे वो डीजल इंजन वाली खासियत को जल्दी डेवलप कर पाएंगे। ऑडी, बीएमडब्ल्यू, रेंज रोवर, जगुआर, मारूति सुजुकी, टोयटा जैसी कंपनियों का पेट्रोल कारों के निर्माण पर जोर है। कुछ कंपनियों ने हाइब्रिड कार बाजार में लॉन्च भी कर दिया है लेकिन फिलहाल यह थोड़ी महंगी हैं।
हाइब्रिड कारों में बैट्री का भी इस्तेमाल होता है। बैट्रियों की महंगी कीमत की वजह से ही ये कार भी महंगी हो जाती है। जिससे छोटी कार लेने वालों के लिए हाइब्रिड कार खरीदना मुश्किल है। लेकिन सरकार और कंपनियों की बातचीत के बाद जल्द ही बैटरियों के सस्ते होने की उम्मीद है। ऐसा संभव होते ही छोटी हाइब्रिड कार भी जल्द ही दिखना शुरू हो जाएंगी।
मारुति सुजुकी ने लिया डीजल कार बंद करने का फैसला
देश की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) ने घोषणा कर दिया कि अप्रैल 2020 से वह डीजल कारों की बिक्री बंद कर देंगे। मारुति का करीब 51 फीसदी कार मार्केट पर कब्जा है। कंपनी ने 2018-19 में करीब 4 लाख डीजल गाड़ियां (कुल घरेलू बिक्री का 23 फीसदी) बेची हैं। कंपनी डीजल कारें बनाना इसलिए बंद कर रही है क्योंकि अगले साल से लागू होने वाले BS6 एमिशन नॉर्म्स से जुड़ी मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट काफी ज्यादा है। यानी, डीजल इंजन को BS-VI नॉर्म्स के मुताबिक अपग्रेड करने में काफी लागत आती है।
कंपनी के विटारा ब्रेजा और एस-क्रॉस जैसे मॉडल अभी सिर्फ डीजल इंजन के साथ आते हैं। वहीं स्विफ्ट, बलेनो, डिजायर, सिआज और एर्टिगा जैसी कारें डीजल के साथ पेट्रोल इंजन के साथ भी आती हैं।