ब्लॉग: न्यायपालिका की प्रतिष्ठा व केंद्र-राज्य संबंध न लगें दांव पर

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: April 24, 2024 10:39 AM2024-04-24T10:39:29+5:302024-04-24T10:44:21+5:30

कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल के सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में राज्यस्तरीय चयन परीक्षा-2016 (एसएलएसटी) की भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से की गई सभी नियुक्तियों को निरस्त करने का जो आदेश दिया है

The reputation of the judiciary and centre-state relations should not be at stake | ब्लॉग: न्यायपालिका की प्रतिष्ठा व केंद्र-राज्य संबंध न लगें दांव पर

फाइल फोटो

Highlightsपश्चिम बंगाल के करीब 25 हजार शिक्षाकर्मी मुश्किल में आ गए हैंअदालत ने इनसे पिछले सात-आठ साल में मिला वेतन भी ब्याज समेत वापस लेने का आदेश दिया हैपश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला पिछले कई साल से चर्चा में है

कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल के सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में राज्यस्तरीय चयन परीक्षा-2016 (एसएलएसटी) की भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से की गई सभी नियुक्तियों को निरस्त करने का जो आदेश दिया है, उससे पश्चिम बंगाल के करीब 25 हजार शिक्षाकर्मी मुश्किल में आ गए हैं। चूंकि अदालत ने इनसे पिछले सात-आठ साल में मिला वेतन भी ब्याज समेत वापस लेने का आदेश दिया है, इससे समझा जा सकता है कि उनकी मुश्किल कितनी बड़ी है।

पश्चिम बंगाल का शिक्षक भर्ती घोटाला पिछले कई साल से चर्चा में है। वर्ष 2022 में कोलकाता हाईकोर्ट ने कहा था कि ग्रुप सी और ग्रुप डी की भर्ती के मामले में सीबीआई जांच कराई जानी चाहिए और उसी साल ममता सरकार में शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। साथ ही उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को भी गिरफ्तार किया गया था और ईडी ने अर्पिता के घर छापेमारी कर 49 करोड़ कैश भी बरामद किया था। भाजपा जहां इस मामले को बहुत बड़ा घोटाला बताते हुए इसकी जड़ें बहुत गहरी होने का आरोप लगा रही है, वहीं न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली के भाजपा में शामिल होने के बाद से ममता बनर्जी उनके न्यायाधीश रहते हुए दिए गए फैसलों को लेकर सवाल उठा रही हैं।

ममता के निशाने पर कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश गांगुली इसलिए भी हैं क्योंकि उन्होंने ही इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था और अब वे भाजपा के टिकट पर लोकसभा सीट के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। शिक्षक भर्ती मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट का शिक्षकों की नौकरी रद्द कर उनसे वेतन वसूली का फैसला तो अपने आप में बहुत बड़ा है ही, राज्य व केंद्र सरकार के बीच तनातनी और अब न्यायपालिका को भी अपने लपेटे में लेने की कोशिश बेहद गंभीर मामला है।

वर्तमान लोकसभा चुनाव के बीच भाजपा और तृणमूल कांग्रेस, दोनों इस मामले को अपनी-अपनी तरह से अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश में लगी हैं, लेकिन सभी राजनीतिक दलों को ध्यान रखना होगा कि अपने निहित स्वार्थों के चलते वे न्यायपालिका की प्रतिष्ठा और केंद्र-राज्य संबंधों को दांव पर न लगाएं, क्योंकि इसका बहुत दूरगामी परिणाम हो सकता है।

Web Title: The reputation of the judiciary and centre-state relations should not be at stake

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