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जंगली सूअर पृथ्वी की सबसे आक्रामक प्रजाति, हर साल 10 लाख कारों के बराबर कार्बन छोड़ते हैं

By भाषा | Updated: July 20, 2021 16:58 IST

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क्रिस्टोफर जे. ओ'ब्रायन, क्वींसलैंड विश्वविद्यालय, ईव मैकडॉनल्ड-मैडेन, क्वींसलैंड विश्वविद्यालय, जिम होन, कैनबरा विश्विवद्यालय, मैथ्यू एच. होल्डन, क्वींसलैंड विश्वविद्यालय, निकोलस आर पैटन, कैंटरबरी विश्वविद्यालय

मेलबर्न, 20 जुलाई। 20 (द कन्वरसेशन) उन्हें दुनियाभर में भले किसी भी नाम से पुकारा जाता हो, जंगली सूअर पृथ्वी पर सबसे हानिकारक आक्रामक प्रजातियों में से एक हैं, और वे कृषि और देशी वन्यजीवों को नुकसान पहुंचाने के लिए कुख्यात हैं।

उनके इतने हानिकारक होने का एक बड़ा कारण यह है कि वे मिट्टी को बड़े पैमाने पर उखाड़ते हैं, जैसे ट्रैक्टर एक खेत की जुताई करते हैं। आज प्रकाशित हमारा नया शोध, इसकी वैश्विक सीमा और कार्बन उत्सर्जन के लिए इसके प्रभावों की गणना करने वाला अपनी तरह का पहला है।

हमारे निष्कर्ष चौंका देने वाले थे। हमने पाया कि जंगली सूअरों द्वारा उखाड़ी गई मिट्टी का संचयी क्षेत्र संभवतः ताइवान के बराबर है। यह हर साल 49 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है - दस लाख कारों के समान। इनमें से अधिकांश उत्सर्जन ओशिनिया में होता है।

पृथ्वी के कार्बन का एक बड़ा हिस्सा मिट्टी में जमा हो जाता है, इसलिए इसका एक छोटा सा अंश भी वातावरण में छोड़ने से जलवायु परिवर्तन पर भारी प्रभाव पड़ सकता है।

जंगली सूअर (सस स्क्रोफा) पूरे यूरोप और एशिया में मूल निवासी हैं, लेकिन आज वे अंटार्कटिका को छोड़कर हर महाद्वीप पर रहते हैं, जिससे वे ग्रह पर सबसे व्यापक आक्रामक स्तनधारियों में से एक बन जाते हैं। अकेले ऑस्ट्रेलिया में अनुमानित तीस लाख जंगली सूअर रहते हैं।

यह अनुमान लगाया गया है कि जंगली सूअर ऑस्ट्रेलिया में हर साल 10 करोड़ ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (सात करोड़ 40 लाख अमेरिकी डॉलर) से अधिक मूल्य की फसलों और चारागाहों को नष्ट कर देते हैं, और अमेरिका में केवल 12 राज्यों में 27 करोड़ अमेरिकी डालर (36 करोड़ 60 लाख ऑस्ट्रेलियाई डॉलर) से अधिक का नुकसान कर देते हैं।

जंगली सूअरों को 54 विभिन्न देशों में 672 जीवों और पौधों की प्रजातियों के लिए सीधे खतरा पाया गया है। इसमें ऑस्ट्रेलियाई जमीन के मेंढक, पेड़ के मेंढक और कई आर्किड प्रजातियां शामिल हैं, क्योंकि सूअर उनके आवासों को नष्ट कर देते हैं और उनका शिकार करते हैं।

आने वाले दशकों में उनकी भौगोलिक सीमा का विस्तार होने की उम्मीद है, जिससे खाद्य सुरक्षा और जैव विविधता के लिए उनके खतरों की आशंका और भी बढ़ जाएगी। लेकिन यहां, आइए वैश्विक उत्सर्जन में उनके योगदान पर ध्यान दें।

पिछले शोध ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में जंगली सूअरों के संभावित योगदान पर प्रकाश डाला है, लेकिन केवल स्थानीय पैमाने पर।

ऐसा ही एक अध्ययन स्विट्जरलैंड के दृढ़ लकड़ी के जंगलों में तीन साल तक किया गया था। शोधकर्ताओं ने पाया कि जंगली सूअरों के कारण मृदा कार्बन उत्सर्जन में प्रति वर्ष लगभग 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

इसी तरह, चीन में जिगोंग माउंटेंस नेशनल नेचर रिजर्व में एक अध्ययन में पाया गया कि जंगली सूअरों से प्रभावित स्थानों में मिट्टी के उत्सर्जन में प्रति वर्ष 70% से अधिक की वृद्धि हुई है।

यह पता लगाने के लिए कि वैश्विक स्तर पर क्या प्रभाव पड़ा, हमने अमेरिका, ओशिनिया, अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों में जंगली सुअर की आबादी के आकार के 10,000 सिमुलेशन या नकली सूअर उनके गैर रिहायशी इलाकों में दौड़ाए।

प्रत्येक सिमुलेशन के लिए, हमने एक अलग अध्ययन से दूसरे मॉडल का उपयोग करके मिट्टी की मात्रा निर्धारित की। अंत में, हमने जंगली सुअर द्वारा संचालित कार्बन उत्सर्जन की न्यूनतम और अधिकतम मात्रा की गणना करने के लिए स्थानीय केस स्टडी का उपयोग किया।

और हम अनुमान लगाते हैं कि दुनिया भर में हर साल जंगली सूअर 36,214 और 123,517 वर्ग किलोमीटर के बीच मिट्टी उखाड़ते हैं, जो ताइवान और इंग्लैंड के आकार के बराबर हैं।

इस मिट्टी की क्षति और संबंधित उत्सर्जन का अधिकांश हिस्सा ओशिनिया में जंगली सूअरों के बड़े फैलाव और इस क्षेत्र में मिट्टी में जमा कार्बन की मात्रा के कारण होता है।

जंगली सूअर अपने सख्त थूथन का उपयोग जड़ों, कवक और अकशेरुकी जैसे पौधों के हिस्सों की तलाश में मिट्टी की खुदाई करने के लिए करते हैं। अपने इस ‘‘जुताई’’ व्यवहार के चलते सूअर आमतौर पर लगभग पांच से 15 सेंटीमीटर की गहराई पर मिट्टी को खोद देता है, जो कि किसानों द्वारा फसल की जुताई के समान गहराई है।

चूंकि जंगली सूअर अत्यधिक सामाजिक होते हैं और अक्सर बड़े समूहों में भोजन करते हैं, वे एक छोटी अवधि में एक छोटे खेत को पूरी तरह से नष्ट कर सकते हैं। यह उन्हें मिट्टी में जमा कार्बनिक कार्बन के लिए एक दुर्जेय दुश्मन बनाता है।

सामान्य तौर पर, मृदा में कार्बनिक पदार्थ इनपुट (जैसे कवक, पशु अपशिष्ट, जड़ वृद्धि और पत्ती कूड़े) बनाम आउटपुट (जैसे अपघटन, श्वसन और क्षरण) के बीच संतुलन बना रहता है। यह संतुलन मृदा स्वास्थ्य का सूचक है।

जब मिट्टी में गड़बड़ी होती है, चाहे खेत की जुताई से या किसी जानवर के दफनाने या उखाड़ने से, कार्बन ग्रीनहाउस गैस के रूप में वायुमंडल में चली जाती है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि मिट्टी को खोदने से यह ऑक्सीजन के संपर्क में आ जाती है, और ऑक्सीजन रोगाणुओं के तेजी से विकास को बढ़ावा देती है। बदले में, ये नए सक्रिय रोगाणु कार्बन युक्त कार्बनिक पदार्थों को तोड़ते हैं।

जंगली सुअर पर नियंत्रण उनके चालाक व्यवहार, तेज प्रजनन दर और समग्र कठिन प्रकृति के कारण अविश्वसनीय रूप से कठिन और महंगा है।

उदाहरण के लिए, अगर जंगली सूअर पहले कभी जाल में फंस चुके हैं तो वह दोबारा जाल में न फंसने के तरीके सीख जाते हैं और वे शिकारियों से बचने के लिए अपने व्यवहार को बदलने में कुशल हैं।

ऑस्ट्रेलिया में, प्रबंधन प्रयासों में जंगली सुअर आबादी के प्रसार को धीमा करने के लिए समन्वित शिकार कार्यक्रम शामिल हैं। अन्य तकनीकों में जंगली सुअर के विस्तार को रोकने के लिए जाल और बाड़ लगाना शामिल है। इसके अलावा हवाई नियंत्रण कार्यक्रमों का भी सहारा लिया जाता है।

इन नियंत्रण विधियों में से कुछ अपने आप में पर्याप्त कार्बन उत्सर्जन का कारण बन सकती हैं, जैसे हवाई नियंत्रण के लिए हेलीकाप्टरों और शिकार के लिए अन्य वाहनों का उपयोग करना। फिर भी, जंगली सुअर की कमी के दीर्घकालिक लाभ इन लागतों से कहीं अधिक हो सकते हैं।

कम वैश्विक उत्सर्जन की दिशा में काम करना कोई सामान्य उपलब्धि नहीं है, और हमारा अध्ययन इन व्यापक आक्रामक प्रजातियों के खतरों का आकलन करने के लिए टूलबॉक्स में एक और उपकरण है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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