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WHO पर अमेरिका-चीन में वाकयुद्धः कोविड-19 पर झुका विश्व स्वास्थ्य संगठन, 120 देश स्वतंत्र जांच की मांग कर रहे हैं

By भाषा | Updated: May 19, 2020 14:36 IST

आखिरकार डब्ल्यूएचओ 120 देशों के सामने झुक गया। कोरोना वायरस को लेकर कई देश चीन पर आरोप लगा रहे हैं। अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन सहित कई देश चीन पर आरोप लगा रहे हैं कि कोरोना की उत्पति चीन में हुई है।

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ठळक मुद्देवायरस से पूरी दुनिया में 3,00,000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और वैश्विक अर्थव्यस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। अफ्रीकी, यूरोपीय और अन्य देशों के गठबंधन कोविड-19 से निपटने में डब्ल्यूएचओ की भूमिका की स्वतंत्र जांच की मांग कर रहे हैं।

जिनेवाः विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने में संगठन की भूमिका की जांच की ज्यादातर सदस्य देशों की मांग को मान ली।

इस वायरस से पूरी दुनिया में 3,00,000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और वैश्विक अर्थव्यस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। अफ्रीकी, यूरोपीय और अन्य देशों के गठबंधन कोविड-19 से निपटने में डब्ल्यूएचओ की भूमिका की स्वतंत्र जांच की मांग कर रहे हैं।

इसका उद्देश्य वायरस की उत्पत्ति के स्थल जैसे कुछ विवादित मुद्दों को छोड़कर इसकी रोकथाम के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के समन्वय से मिले सबक की समीक्षा करना है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि उनके पास कोरोना वायरस के चीन की एक प्रयोगशाला में उत्पन्न होने का सबूत है, जबकि वैज्ञानिक समुदाय का कहना है कि अभी तक के सभी साक्ष्य यही कहते हैं कि वायरस जानवरों से मनुष्यों में सीधे आया है।

ट्रंप ने सोमवार को डब्ल्यूएचओ पर निराशाजनक काम करने का आरोप लगाया और कहा कि वह संगठन को दिए जाने वाले 45 करोड़ अमेरिकी डॉलर को घटाकर 40 करोड़ अमेरिकी डॉलर करने पर विचार कर रहे हैं। डब्ल्यूएचओ महानिदेशक टेड्रोस अधानोम गेब्रेयसस ने कहा कि वह उचित समय देखकर जल्द से जल्द कोविड-19 से निपटने में डब्ल्यूएचओ की भूमिका की स्वतंत्र जांच शुरू करेंगे।

डब्ल्यूएचओ प्रदर्शित करे की चीन से प्रभावित नहीं हैः ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को आगाह किया है कि वह अगले 30 दिन में यह प्रदर्शित करे कि वह चीन से प्रभावित नहीं हैं। ऐसा नहीं करने पर ट्रंप ने इस संगठन में अमेरिका की सदस्यता के बारे में पुनः विचार करने और संगठन को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को "स्थायी रुप" से रोकने की चेतावनी दी है। ट्रंप ने 14 अप्रैल को डब्ल्यूएचओ को सालाना दी जाने वाली 50 करोड़ डॉलर तक की सहायता रोक दी। उसने डब्ल्यूएचओ पर आरोप लगाया है कि वुहान में पहली बार सामने आने के बाद कोरोना वायरस के प्रसार के उसके प्रबंधन में खामी है और उसके कथित कुप्रबंध और कथित रूप से उसे ढकने में ‘‘संगठन की भूमिका का पता लगाने के लिए समीक्षा की जा रही है।’’

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस को लिखे चार पन्नों के पत्र में ट्रंप ने कहा, "यह साफ है कि आपने और आपके संगठन ने महामारी से निपटने में बार-बार गलत कदम उठाए हैं जो दुनिया को बहुत महंगे पड़े हैं। डब्ल्यूएचओ के सामने सिर्फ यह रास्ता रहता है कि क्या वह असल में दिखा सकता है कि वह चीन से प्रभावित नहीं है।" उन्होंने कहा, “मेरे प्रशासन ने आपसे इस बात पर पहले ही चर्चा शुरू कर दी है कि संगठन में सुधार कैसे हों। लेकिन तेजी से कार्रवाई की जरुरत है। हमारे पास ज़ाया करने के लिए वक्त नहीं है।“

ट्रंप ने यह पत्र सोमवार रात को ट्वीट किया है। उन्होंने कहा, “अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर मेरा फर्ज है कि आपको सूचित करुं कि अगर डब्ल्यूएचओ अगले 30 दिन में बड़े मूल सुधारों के लिए प्रतिबद्ध नहीं होता है तो डब्ल्यूएचओ को स्थायी रूप से रोकी गई अमेरिकी आर्थिक सहायता को मैं स्थायी रूप से रोक दूंगा और संगठन में अमेरिका की सदस्यता के बारे में फिर से सोचूंगा।“ उन्होंने कहा, " मैं अमेरिकी करदाताओं के डॉलर को उस संगठन को देने की इजाजत नहीं दे सकता हूं, जो अपनी मौजूदा स्थिति में साफ तौर पर अमेरिकी हितों की सेवा नहीं कर रहा है।"

ट्रंप ने 18 मई को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि डब्ल्यूएचओ वायरस की उत्पत्ति की स्वतंत्र जांच की अनुमति देने के लिए चीन से सार्वजनिक रूप से अपील करने में नाकाम रहा है, बावजूद इसके कि उसकी अपनी आपात समिति ने इसका समर्थन किया है।

चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने गोपनीयता और छुपाने के आरोपों को सोमवार को खारिज कर दिया और कहा कि हमने पारदर्शिता और जिम्मेदारी से काम किया। हमने समय से डब्ल्यूएचओ और प्रासंगिक देशों को जानकारी दे दी थी।” ट्रंप ने चीन पर बीमारी को छुपाने का आरोप लगाया है जबकि ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ ने चीन से वायरस की उत्पत्ति की स्वतंत्र जांच समेत कोविड-19 को नियंत्रण करने की कोशिशों में पारदर्शिता की मांग की है। 

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