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डब्ल्यूएचओ के दल ने वुहान अनुसंधान प्रयोगशाला का दौरा किया

By भाषा | Updated: February 3, 2021 14:18 IST

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वुहान, तीन फरवरी (एपी) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दल ने बुधवार को चीनी शहर वुहान में उस अनुसंधान केंद्र का दौरा किया जो कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर अटकलों का विषय बना हुआ है।

दल के एक सदस्य ने कहा कि उनका इरादा प्रमुख कर्मचारियों से मुलाकात करने और अहम मुद्दों पर उनसे जानकारी लेना है।

वायरस की उत्पत्ति कहां से हुई और वह कहां से फैला, इस पर आंकड़े जुटाने और खोज के लिए चीन पहुंचे डब्ल्यूएचओ के दल का वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी का दौरा उसके अभियान का मुख्य बिंदु है।

जापानी प्रसारक टीबीएस द्वारा प्रसारित फुटेज के मुताबिक, प्राणीविज्ञानी और दल के सदस्य पीटर दासजक ने कहा, “हम यहां सभी प्रमुख लोगों से मुलाकात करने और उनसे वे महत्वपूर्ण सवाल पूछने की मंशा रखते हैं जिन्हें पूछे जाने की जरूरत है।”

उच्च सुरक्षा वाले केंद्र में दल के सदस्यों के साथ संवाददाता भी गए थे लेकिन जैसा पूर्व में हो चुका है, दल के सदस्यों तक उनकी बेहद कम सीधी पहुंच थी और उन्हें चर्चाओं व इस दौरे के बारे में बेहद सीमित जानकारी उपलब्ध कराई गई।

केंद्र के आगे के प्रवेश द्वार पर वर्दीधारी और सादी वर्दी में सुरक्षाकर्मी तैनात थे लेकिन दल के सदस्यों ने पीपीई किट नहीं पहन रखा था।

वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी चीन की शीर्ष विषाणु अनुसंधान प्रयोगशालाओं में से एक है। वर्ष 2003 में सिवियर एक्यूट रेस्पीरेटोरी सिंड्रोम (सार्स) महामारी के बाद चमगादड़ से फैलने वाले कोरोना वायरस पर आनुवंशिक सूचना के संग्रह के लिए इस संस्थान का निर्माण किया गया।

चीन ने वुहान से कोरोना वायरस के प्रसार की संभावना से न सिर्फ साफ इनकार किया है बल्कि उसका कहना है कि वायरस कहीं और से फैला या बाहर से आयातित प्रशीतित समुद्री उत्पादों के पैकेट से देश में आया है। चीन के इस तर्क को अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों एवं एजेंसियों ने बार-बार खारिज किया है।

संस्थान की उप निदेशक शी झेंगली एक विषाणु विशेषज्ञ हैं। वह 2003 में चीन में महामारी के रूप में फैले सार्स के उद्भव का पता लगाने वाले डब्ल्यूएचओ के दल का भी हिस्सा थीं जिसके सदस्य दासजक भी थे। उन्होंने कई पत्रिकाओं में लेख लिखे हैं और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन तथा अमेरिकी अधिकारियों के सिद्धांतों को खारिज करने का काम किया है कि वायरस का इस्तेमाल जैविक हथियार के रूप में किया गया या फिर संस्थान से यह ‘‘लीक’’ हुआ।

डब्ल्यूएचओ के दल में 10 देशों से विशेषज्ञ शामिल हैं। दल ने दो सप्ताह पृथक-वास में रहने के बाद अस्पतालों, अनुसंधान संस्थानों और मांस की बिक्री के लिए पारंपरिक बाजार का दौरा किया। कोरोना वायरस के कई शुरुआती मामलों से इस बाजार का संबंध है।

कई महीनों की चर्चा और जिरह के बाद चीन ने जांच दल को दौरे की इजाजत दी थी। यह

विषाणु की उत्पत्ति के बारे में पुष्टि को लेकर सालों का वक्त लग सकता है। इसमें व्यापक शोध, जानवरों के नमूने लेने, आनुवंशिक विश्लेषण और महामारी संबंधी अध्ययन जैसे कई जटिल चरण होते हैं। एक संभावना यह भी है कि हो सकता है, कोई वन्यजीव शिकारी इस महामारी का वाहक हो जिसने वुहान में व्यापारियों में इसका प्रसार किया हो।

कोविड-19 के शुरुआती मामले 2019 के अंत में वुहान में मिले थे और इसके बाद सरकार ने एक करोड़ 10 लाख की आबादी वाले इस शहर में 76 दिन का सख्त लॉकडाउन लगा दिया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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