यूएस फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें 75 बेसिस प्वाइंट्स बढ़ाई, बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए 1994 के बाद सबसे बड़ी वृद्धि
By विनीत कुमार | Published: June 16, 2022 08:59 AM2022-06-16T08:59:55+5:302022-06-16T09:08:24+5:30
यूएस फेडरल रिजर्व ने अमेरिका में बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने के लिए ब्याज दरों में बड़ा इजाफा कर दिया है। यूएस फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें 75 बेसिस प्वाइंट बढ़ा दी है।
वाशिंगटन: अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बुधवार (स्थानीय समय) को बड़ा कदम उठाते हुए ब्याज दरों में 75 बेसिस प्वाइंट (बीपीएस) की वृद्धि करने का ऐलान किया। अमेरिका में ब्याज दरों में यह 1994 के बाद से सबसे बड़ी वृद्धि है। ऐसे में लाखों अमेरिकी लोगों और उनके व्यवसाय सहित अन्य चीजों पर इसका असर नजर आएगा।
घरों, कारों और अन्य लोन के लिए ईएमआई बढ़ जाएगी। अमेरिकी अर्थव्यवस्था भी दुनिया के अन्य देशों की तरह उच्च मुद्रास्फीति का सामना कर रही है और ये 40 साल के उच्च स्तर पर पहुंच रही है। मुद्रास्फीति से निपटने के लिए एक बड़े कदम के तौर पर ये फैसला लिया गया है।
अमेरिका में मौजूदा महंगाई बुरी तरह से वहां की अर्थव्यवस्था और उपभोक्ताओं को परेशान कर रही है। साथ ही इस वजह से जो बाइडन प्रशासन भी लगातार आलोचनाओं के घेरे में है। इस सप्ताह तक अर्थशास्त्रियों और निवेशकों को उम्मीद थी कि फेडरल रिजर्व अपनी ब्याज दर को आधा अंक बढ़ा देगा जो पिछले 22 वर्षों में इस तरह का दूसरा बड़ा कदम होगा। हालांकि, इन संभावनाओं को भी ताजा फैसले ने पीछे छोड़ दिया।
बता दें कि अमेरिका में मुद्रास्फीति मई महीने में चार दशकों के रिकॉर्ड स्तर 8.6 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। गैस, खानपान और अन्य जरूरी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होने से अमेरिका में महंगाई काफी बढ़ गई है। अमेरिकी श्रम विभाग की तरफ से पिछले हफ्ते जारी आंकड़ों के मुताबिक, मई 2022 में उपभोक्ता कीमतें एक साल पहले की तुलना में 8.6 प्रतिशत बढ़ गईं।
इसके एक महीने पहले अप्रैल में उपभोक्ता कीमतें एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 8.3 प्रतिशत बढ़ी थीं। माह-दर-माह आधार पर उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें अप्रैल की तुलना में मई में एक प्रतिशत बढ़ गईं। यह वृद्धि मार्च की तुलना में अप्रैल में हुई 0.3 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में काफी ज्यादा है।
मुद्रास्फीति में इस तीव्र वृद्धि के लिए अमेरिका में विमानों के टिकट से लेकर रेस्तरां के खाने तक के बिल जैसी हरेक उपभोक्ता वस्तुओं के दामों में हुई वृद्धि जिम्मेदार रही है। इसकी वजह से प्रमुख मुद्रास्फीति भी छह प्रतिशत के ऊपर जा पहुंची है। इसके पहले अप्रैल में भी प्रमुख मुद्रास्फीति में 0.6 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया था।