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तहव्वुर राणा को प्रत्यर्पित करने के भारत के अनुरोध पर गौर करे अमेरिकी अदालत: बाइडन प्रशासन

By भाषा | Updated: March 23, 2021 09:33 IST

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(ललित के. झा)

वाशिंगटन, 23 मार्च अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने संघीय अदालत से पाकिस्तानी मूल के कनाडाई कारोबारी तहव्वुर राणा को प्रत्यर्पित करने के भारत के अनुरोध पर गौर करने की अपील की है।

राणा पर मुम्बई में 2008 में हुए आतंकवादी हमलों में संलिप्तत होने का आरोप है।

लॉस एंजिलिस में अमेरिकी संघीय अदालत में प्रतिवेदन दाखिल करते हुए सहायक अमेरिकी अटॉर्नी जॉन जे लुलजियन ने कहा कि मुम्बई आतंकवादी हमले के मामले में राणा (59)को भारत प्रत्यर्पित करने के सभी मानदंड पूरे होते हैं।

राणा ने स्वयं को भारत प्रत्यर्पित किए जाने का चार फरवरी को विरोध करते हुए दलील दी थी कि जिन अपराधों के लिए उसके प्रत्यर्पण की अपील की गई है, उनमें उसे पहले ही बरी किया जा चुका है।

लॉस एंजिलिस में यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की न्यायाधीश जैकलीन शूलजियन ने मामले की सुनवाई के लिए 22 अप्रैल की तारीख तय की है।

लुलजियन ने सोमवार को अदालत में दाखिल किए 61 पृष्ठ के प्रतिवेदन में कहा, ‘‘ अमेरिका सम्मानपूर्वक अनुरोध करता है कि प्रत्सर्पण के मामले पर 22 अप्रैल 2021 की सुनवाई के बाद, अदालत भारत के राणा को प्रत्यर्पित करने के अनुरोध पर गौर करे....’’

लुलजियन ने कहा, ‘‘ भगौड़ा तहव्वुर राणा मुम्बई आतंकवादी हमले के मामले में संलिप्तता के अपराध में सुनवाई के लिए वांछित है, जिसमें 166 लोग मारे गए थे, 239 लोग घायल हुए थे और करीब 1.50 अरब डॉलर की सम्पत्ति का नुकसान हुआ था।’’

भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के अनुसार, भारत सरकार ने राणा को प्रत्यर्पित करने के लिए औपचारिक अनुरोध किया है, और संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस प्रत्यर्पण कार्यवाही को शुरू किया है।

डेविड कोलमेन हेडली के बचपन के दोस्त राणा (59) को 2008 के मुम्बई आतंकवादी हमलों में संलिप्तता के लिये भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध पर 10 जून को लॉस एंजिलिस से दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया था। हमलों में छह अमेरिकी नागरिकों समेत कुल 166 लोगों की मौत हो गई थी। भारत ने उसे भगौड़ा घोषित कर रखा है।

मुम्बई आतंकवादी हमलों की साजिश रचने में लश्कर-ए-तैयबा का पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी कोलमैन हेडली शामिल था। उसे इस मामले में सरकारी गवाह बनाया गया था और वह हमले में अपनी भूमिका के लिये फिलहाल अमेरिका की जेल में 35 साल के कारावास की सजा काट रहा है।

राणा के वकीलों ने पिछले सप्ताह लास एंजिलिस की जिला अदालत में न्यायाधीश जैकलीन केलोनियन के समक्ष प्रत्यर्पण का विरोध करते हुए याचिका दायर की थी।

राणा के वकीलों ने दलील दी कि अमेरिका-भारत प्रत्यर्पण संधि के अनुच्छेद छह के तहत राणा को भारत प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता क्योंकि जिन अपराधों के लिये उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया गया है, उसमें उसे पहले ही बरी किया जा चुका है। साथ ही संधि के अनुच्छेद 9 के तहत भी उसे प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता क्योंकि सरकार ने कथित अपराधों में राणा की संलिप्तता पर विश्वास करने के संभावित कारण नहीं बताए हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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