अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की संयुक्त सेना ने शनिवार (14 अप्रैल) तड़के सीरिया पर हवाई हमला कर दिया। अमेरिकी प्रशासन के अनुसार ये हमला सीरिया में पिछले हफ्ते किए गये रासायनिक हमलों के बाद किया जा रहा है। सीरिया में पिछले कुछ सालों से गृह युद्ध चल रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार (13 अप्रैल) देर रात को अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस में सीरिया पर हमले का आदेश दिया। समाचाार एजेंसी रॉयटर्स डोनाल्ड ट्रंप की हमले की घोषणा के कुछ ही देर दमिश्क में बमबारी की आवाजें सुनायी देने लगीं।
डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया पर हमले की वजह बशर अल-असद सरकार को रासायनिक हमले से विमुख करने के लिए ये कदम उठाया है। रॉयटर्स के अनुसार दमिश्क में कम से कम छह धमाकों की आवाज़ नागरिकों ने सुनी। रॉयटर्स के अनुसार दमिश्क के बारज़ाह जिले में स्थानीय नागरिकों ने हमले की पुष्टि की। बारज़ाह में सीरिया का प्रमुख साइंटिफिक रिसर्च सेंटर स्थित है।
डोनाल्ड ट्रंप हमले की घोषणा करते हुए कहा कि, "ये आदमी का काम नहीं है। ये शैतान का अपराध है। हमारी आज रात की कार्रवाई रासायनिक हथियारों के निर्माण और इस्तेमाल से रोकने के लिए है।" अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने असद सरकार के समर्थन के लिए रूस और ईरान की आलोचना की। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, "ईरान और रूस से मैं पूछना चाहूँगा कि वो किस तरह के देश हैं जो पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के नरसंहार करने वाले इंसान का पक्ष ले रहे हैं।"
समाचार एजेंसी एपी के अनुसार सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद ने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की संयुक्त सेना के हमले के बाद कहा कि "अल्लाह की रूह की मर्जी का अपमान नहीं किया जा सकता।"
ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने ब्रिटिश सेना को सीरिया पर संयुक्त कमान में हमला करने के लिए की अनुमति दी। थेरेसा मे ने हमले में शामिल होने की घोषणा करते हुए कहा कि ये हमला "सीमित और लक्ष्य-केंद्रित" होगा। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी युद्ध में फ्रांस के शामिल होने की घोषणा की।