मानवीय हालात के राजनीतिकरण का बढ़ता चलन दुर्भाग्यपूर्ण: भारत

By भाषा | Updated: March 12, 2021 15:49 IST2021-03-12T15:49:27+5:302021-03-12T15:49:27+5:30

Unfortunate increasing trend of politicization of human condition: India | मानवीय हालात के राजनीतिकरण का बढ़ता चलन दुर्भाग्यपूर्ण: भारत

मानवीय हालात के राजनीतिकरण का बढ़ता चलन दुर्भाग्यपूर्ण: भारत

(योषिता सिंह)

संयुक्त राष्ट्र, 12 मार्च संयुक्त राष्ट्र में भारत ने कहा कि मानवीय हालात का राजनीतिकरण करने का बढ़ता चलन दुर्भाग्यपूर्ण है तथा देशों को विकास संबंधी मदद को राजनीतिक प्रक्रिया में प्रगति से जोड़ने का विरोध करना चाहिए क्योंकि इससे संघर्ष वाले हालात में खाद्य असुरक्षा बढ़ेगी।

‘संघर्ष और खाद्य सुरक्षा’ विषय पर बृहस्पतिवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की खुली चर्चा में संरा में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने कहा कि यह बहुत ही आवश्यक है कि दानदाता समुदाय संघर्ष से प्रभावित देशों में सहायता बढ़ाएं और यह सुनिश्चित करें कि लोगों की मूलभूत जरूरतों का राजनीतिकरण करे बगैर मानवीय एजेंसियों को आवश्यक धन मिल सके ताकि वे अपनी योजनाओं का पूरी तरह से क्रियान्वयन कर सकें।

उन्होंने कहा, ‘‘सभी मानवीय कार्रवाई प्राथमिक तौर पर मानवता, निष्पक्षता और स्वतंत्रता के सिद्धांतों से प्रेरित होनी चाहिए लेकिन दुर्भाग्य से हम मानवीय हालात के राजनीतिकरण के बढ़ते चलन को देख रहे हैं। दानदाताओं के इस रूख से संघर्ष के हालात में खाद्य असुरक्षा ही बढ़ेगी।’’

परिषद को संबोधित करते हुए संरा महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि संघर्ष के कारण भूखमरी और अकाल के हालात बनते हैं और इन हालात के कारण संघर्ष होता है।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप लोगों का पेट नहीं भर रहे तो इसका मतलब है कि आप संघर्ष को हवा दे रहे हैं।’’

तिरुमूर्ति ने विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के अनुमानों का जिक्र किया जिनमें कहा गया है कि 2020 के अंत तक खाद्य असुरक्षा से प्रभावित लोगों की संख्या दोगुनी से भी अधिक होकर 27 करोड़ पर पहुंच जाएगी। इसमें कहा गया कि कोविड-19 महामारी हालात को बदतर करेगी।

डब्ल्यूएफपी की ‘ग्लोबल रिपोर्ट ऑन फूड क्राइसिस 2020’ तथा 15 अन्य मानवीय एवं विकास एजेंसियों का अनुमान है कि संघर्ष से प्रभावित देशों में 7.7 करोड़ से अधिक लोग गंभीर खाद्य असुरक्षा से पीड़ित हैं।

तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत का यह मानना है कि सशस्त्र संघर्ष तथा आतंकवाद, इनके अलावा चरम मौसम, फसलों पर कीड़े लगना, भोजन की कीमतों में उछाल, आर्थिक संकट किसी भी कमजोर देश को तबाह कर सकते हैं जिसके परिणामस्वरूप वहां खाद्य असुरक्षा बढ़ सकती है और अकाल का जोखिम भी बढ़ सकता है।

विनाशकारी कोविड-19 संकट से जूझ रही दुनिया में खाद्य सुरक्षा को बुनियादी न्यूनतम आवश्यकता बताते हुए तिरुमूर्ति ने महात्मा गांधी को उद्धत किया और कहा, ‘‘दुनिया में लोग भूख से इतने पीड़ित हैं कि रोटी के अलावा ईश्वर किसी और रूप में उनके सामने नहीं आ सकता।’’

उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान भारत ने हजारों मैट्रिक टन अनाज खाद्य सहायता के रूप में म्यांमा, मालदीव, अफगानिस्तान समेत अनेक देशों को दिया है।

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Web Title: Unfortunate increasing trend of politicization of human condition: India

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