तालिबान और अलकायदा में करीबी संबंध, 19 साल की लंबी लड़ाई के बाद अमेरिका ने किया था शांति समझौता, संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट में खुलासा
By भाषा | Updated: June 2, 2020 20:33 IST2020-06-02T20:33:38+5:302020-06-02T20:33:38+5:30
UNO रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अफगानिस्तान में सक्रिय तालिबान और अलकायदा में अभी भी गठजोड़ जारी है। अमेरिका ने शांति समझौता किया था। इसका असर तालिबान पर नहीं हुआ है।

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के खिलाफ लड़ाई में तालिबान के योगदान को रेखांकित किया गया है। (file photo)
इस्लामाबादः अफगानिस्तान में सक्रिय तालिबान ने अमेरिका से किए गए शांति समझौते में आतंकवादी समूहों से लड़ने की प्रतिबद्धता जताई है, लेकिन अलकायदा के आतंकवादी नेटवर्क से उसके अब भी करीबी संबंध हैं।
यह खुलासा संयुक्त राष्ट्र द्वारा मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में हुआ है। कतर में इस साल फरवरी में अमेरिका और तालिबान ने एक समझौता किया जिसमें 19 साल की लंबी लड़ाई के बाद अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी के साथ-साथ देश के राजनीतिक भविष्य तय करने के लिए अफगानिस्तान के विभिन्न गुटों के बीच बातचीत का रास्ता बनाने का प्रावधान है।
समझौते में तालिबान ने अलकायदा सहित आतंकवादी गुटों का मुकाबला करने का वादा किया जिन्हें कभी वह आश्रय देता था। समझौते में अफगानिस्तान की धरती को अमेरिका के खिलाफ हमलों में इस्तेमाल नहीं करने का वादा किया गया है। आतंकवाद के खिलाफ तालिबान की प्रतिबद्धता को कभी सार्वजनिक नहीं किया गया। अमेरिका के शांतिदूत एवं समझौते के शिल्पकार जलमी खलीलजाद ने कहा कि इसे लागू करने के खुफिया ऑपरेशन की रक्षा के लिए गोपनीयता की जरूरत है।
इस रिपोर्ट को तैयार करने वाली संयुक्त राष्ट्र की समिति ने कहा कि अलकायदा के कई बड़े आतंकवादी गत महीनों में मारे गए हैं लेकिन अब भी संगठन के कई प्रमुख आतंकवादी अफगानिस्तान में मौजूद हैं। ओसामा बिन लादेन एक समय अलकायदा का सरगना था। रिपोर्ट के मुताबिक अलकायदा का तालिबान के सहयोगी हक्कानी नेटवर्क से संबंध है और तालिबान के अभियानों में वह (अलकायदा आतंकवादी) अब भी अहम भूमिका निभा रहा है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक जिहाद और साझा इतिहास दोनों आतंकवादी समूहों को जोड़े हुए हैं।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट पर तालिबान की ओर से कोई त्वरित प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन अमेरिका-तालिबान समझौतेके आलोचकों ने इस अस्पष्ट करार पर चिंता जताई है और चेतावनी दी है कि तालिबान लड़ाकों की गतिविधियों की निगरानी मुश्किल हो गई है। वाशिंगटन स्थित विल्सन सेंटर के एशिया कार्यक्रम के उपनिदेशक माइकल कुगेलमैन ने कहा, ‘‘ कई समस्याओं में एक समस्या यह है कि तालिबान से आंतकवाद निरोधक कार्रवाई की मांग बहुत अस्पष्ट है।’’
उन्होंने कहा कि समझौते में अलकायदा का उल्लेख तक नहीं किया गया है। कुगेलमैन ने कहा, ‘‘अमेरिका को कम से कम यह मांग करनी चाहिए थी कि तालिबान अलकायदा के बड़े आतंकवादियों से सभी तरह का संपर्क खत्म करेगा।’’ संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के खिलाफ लड़ाई में तालिबान के योगदान को रेखांकित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि आईएस बहुत आक्रमक हुआ है और अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में कई बड़े हमलों को अंजाम दिया है। माना जा रहा है कि काबुल के प्रसूति अस्पताल पर हुए हमले में आईएस का हाथ है, जिसमें 24 लोग मारे गए थे। मृतकों में अधिकतर युवा प्रसूता और दो नवजात बच्चे शामिल थे।