संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने भारत से खोरी गांव से लोगों को नहीं हटाने का आह्वान किया

By भाषा | Updated: July 16, 2021 21:44 IST2021-07-16T21:44:43+5:302021-07-16T21:44:43+5:30

UN human rights experts call on India not to remove people from Khori village | संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने भारत से खोरी गांव से लोगों को नहीं हटाने का आह्वान किया

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने भारत से खोरी गांव से लोगों को नहीं हटाने का आह्वान किया

(योषिता सिंह)

संयुक्त राष्ट्र/जिनेवा, 16 जुलाई संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने शुक्रवार को भारत से फरीदाबाद के खोरी गांव में अतिक्रमण अभियान के तहत लगभग 100,000 लोगों को नहीं हटाने का आह्वान करते हुए कहा कि महामारी के दौरान निवासियों को सुरक्षित रखना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है और लोगों को हटाने संबंधी उच्चतम न्यायालय का आदेश ‘‘बेहद चिंताजनक’’ है।

उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने खोरी गांव के पास अरावली वन क्षेत्र में अतिक्रमित करीब 10,000 आवासीय निर्माणों को हटाने के लिए हरियाणा और फरीदाबाद नगर निगम को दिए अपने आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

न्यायालय ने राज्य और फरीदाबाद नगर निगम को निर्देश दिया था कि गांव के पास अरावली वन क्षेत्र में ‘सभी अतिक्रमण हटाया जाए’ और कहा था कि “ जमीन पर कब्जा करनेवाले कानून के शासन की आड़ नहीं ले सकते हैं” और ‘निष्पक्षता’ की बात नहीं कर सकते हैं।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ने फरीदाबाद जिले में लकडपुर खोरी गांव के पास वन भूमि से सभी अतिक्रमण हटाने के बाद राज्य सरकार से छह हफ्ते में अनुपालन रिपोर्ट तलब की थी।

विशेषज्ञों ने एक बयान में कहा, ‘‘हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि वह अपने कानूनों और 2022 तक सभी को घर उपलब्ध कराने के लक्ष्य का सम्मान करे और 100,000 लोगों के घरों को छोड़ दे जो ज्यादातर अल्पसंख्यक और हाशिए पर रखे गये समुदायों से आते हैं। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि निवासियों को महामारी के दौरान सुरक्षित रखा जाए।’’

विशेषज्ञों ने कहा कि लोग पहले से ही कोविड-19 महामारी से परेशान हैं तथा लोगों को हटाने संबंधी आदेश उन्हें और खतरे में डाल देगा व 20 हजार बच्चों और पांच हजार गर्भवती महिलाओं के लिए और भी कठिनाई लाएगा।

उन्होंने कहा, "हमें यह बेहद चिंताजनक लगता है कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय, जिसने अतीत में आवास अधिकारों की सुरक्षा का नेतृत्व किया है, अब लोगों को बेदखल करने संबंधी आदेश दे रहा है जैसा कि खोरी गांव में हुआ है।’’

विशेषज्ञों ने कहा कि महामारी के दौरान लगाए गए लॉकडाउन से बस्ती के निवासियों के लिए जीविकोपार्जन करना मुश्किल हो गया है और वे उन्हें उनके घरों से बेदखल किए जाने के खतरे के परिणामस्वरूप मनोवैज्ञानिक रूप से पीड़ित हैं।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि ‘‘कई सप्ताह पहले पानी और बिजली काट दी गई थी और "मानवाधिकार रक्षकों व विरोध प्रदर्शन करनेवाले निवासियों का कहना है कि पुलिस ने उनकी पिटाई की और मनमाने ढंग से हिरासत में लिया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत से खोरी गांव में लोगों को हटाने संबंधी योजना की तत्काल समीक्षा करने और बस्ती को नियमित करने पर विचार करने का आह्वान करते हैं ताकि कोई भी बेघर न हो। पर्याप्त और समय पर मुआवजे और निवारण के बिना किसी को भी जबरन बेदखल नहीं किया जाना चाहिए।

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Web Title: UN human rights experts call on India not to remove people from Khori village

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