संयुक्त राष्ट्र के दूत ने लेबनान संकट, बढ़ती गरीबी पर चिंता जताई

By भाषा | Updated: November 13, 2021 09:02 IST2021-11-13T09:02:10+5:302021-11-13T09:02:10+5:30

UN envoy expresses concern over Lebanon crisis, rising poverty | संयुक्त राष्ट्र के दूत ने लेबनान संकट, बढ़ती गरीबी पर चिंता जताई

संयुक्त राष्ट्र के दूत ने लेबनान संकट, बढ़ती गरीबी पर चिंता जताई

बेरूत, 13 नवंबर (एपी) संयुक्त राष्ट्र के एक विशेषज्ञ ने शुक्रवार को लेबनान संकट पर चिंता जताते हुए कहा कि लेबनान एक असफल देश है, उसने अपने लोगों को भी उन संकटों से जूझते हुए छोड़ दिया है जिनके कारण आबादी गरीब हो गयी है तथा अधिकारियों में विश्वास कम हो गया है।

गरीबी पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ओलिवियर डी शूटर ने लेबनान की 12-दिवसीय यात्रा के अंत में यह चिंता जताई। ‘एसोसिएटेड प्रेस’ के साथ साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि लेबनानी राजनेताओं को एहसास हो कि वे विदेशी सहायता और मानवीय सहायता पर अनिश्चित काल तक भरोसा नहीं कर सकते।

डी शूटर ने कहा कि सरकार को 60 लाख की आबादी वाले इस देश में गरीबों की रक्षा में मदद के लिए कदम उठाने में अब भी देर नहीं हुई है। इनमें 10 लाख सीरियाई शरणार्थी शामिल हैं।

लेबनान में आर्थिक संकट को 150 वर्षों में दुनिया में सबसे खराब संकट में से एक के रूप में वर्णित किया गया है। इसने कुछ ही महीनों में आधी से अधिक आबादी को गरीबी में डुबो दिया है, राष्ट्रीय मुद्रा लगातार कमजोर हुई है और मुद्रास्फीति तथा बेरोजगारी बढ़ती गई।

डी शूटर ने आगामी पीढ़ी की ‘‘बर्बादी’’ की ओर इशारा करते हुए कहा कि डॉक्टरों, नर्सों और शिक्षकों ने देश छोड़ दिया है, गंभीर ईंधन संकट के बीच स्कूल फिर से खोलने के लिए संघर्ष की स्थिति बनी हुई है और सबसे गरीब परिवार के लोग अपनी बेटियों की जल्दी शादी करने या अपने बच्चों को मंदी से निपटने के लिए काम पर भेजने के लिए मजबूर हैं।

राजनीतिक संकट के कारण करीब एक साल से अधिक समय तक सरकार नहीं थी, जिसके बाद सितंबर में प्रधानमंत्री नजीब मिकाती के मंत्रिमंडल का गठन किया गया था। लेकिन असहमतियों ने एक बार फिर सरकार को पंगु बना दिया है और हफ्तों से कैबिनेट की बैठक नहीं हो पाई है।

डी शूटर का मिशन पूर्व में मध्यम आय वाले इस देश के तेजी से गरीबी की गर्त में जाने की वजह तलाशने के लिए सरकार की योजनाओं का आकलन करना था। उन्होंने कहा कि सरकार के पास गंवाने के लिए वक्त नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘अक्सर मुझे जो जवाब मिलते थे, वे लेबनान की आबादी को मानवीय सहायता, अंतरराष्ट्रीय दाताओं से सहयोग की आवश्यकता के संदर्भ में होते थे। हालांकि यह एक दीर्घकालिक रणनीति नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि इस सरकार के पास सुधारों को शुरू करने और लागू करने के लिए सीमित समय है।’’

डी शूटर ने यह भी कहा कि विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से वित्त पोषण पर निर्भर सामाजिक सुरक्षा वर्तमान में आबादी का केवल दसवां हिस्सा कवर करती है। उन्होंने कहा कि देश के निराश्रितों की रक्षा के लिए एक राष्ट्रीय योजना होनी चाहिए, जो विदेशी सहायता पर निर्भर न हो।

उन्होंने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र को सुधारों पर सहायता की शर्त, सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करने और सार्वजनिक वित्त का बेहतर उपयोग करने की सलाह देंगे।

डी शूटर ने कहा, ‘‘अगर इन सुधारों को लागू नहीं किया जाता है तो मानवीय सहायता में पैसा लगाने का कोई मतलब नहीं है।’’ सरकार ने कहा है कि एक सुधार योजना के लिए वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ बातचीत को प्राथमिकता दे रही है, लेकिन लेबनान की सरकार एक बार फिर आंतरिक लड़ाई में घिरी है।

सऊदी अरब ने लेबनान के सूचना मंत्री जॉर्ज कोर्डाही के विवादास्पद बयान के बाद बेरूत से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है और लेबनानी दूत को देश छोड़ने के लिए कहा है। इसने लेबनान के आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। बहरीन, संयुक्त अरब अमीरात और कुवैत ने भी अपने शीर्ष राजनयिकों को लेबनान से बुला लिया है, जिससे विवाद गहरा गया है।

कोर्डाही शुक्रवार को अपने पद पर अड़े हुए दिखाई दिए और कहा कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि उनके इस्तीफे से विवाद सुलझ जाएगा। कोर्डाही ने यमन में सऊदी अरब की लड़ाई को ‘‘बेतुका और आक्रामक’’ बताया था, जहां सऊदी अरब ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है।

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Web Title: UN envoy expresses concern over Lebanon crisis, rising poverty

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