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जानिए कौन हैं भारत की महान शिक्षाविद् हंसा मेहता, जिनको संयुक्त राष्ट्र ने किया है सम्मानित

By भाषा | Updated: December 8, 2018 03:05 IST

हंसा मेहता भारत की महान समाज सुधारक, शिक्षाविद् और उत्कृष्ट लेखिका थीं। उन्होंने 1947-48 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारतीय प्रतिनिधि के तौर पर इस वैश्विक संगठन के लिए काम किया।

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ठळक मुद्देभारत का संविधान बनाने वाली संविधान समिति की सदस्य भी थीं शिक्षाविद् हंसा जीवराज मेहतासंयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि इस दस्तावेज को आकार देने में महिलाओं ने अग्रणी भूमिका निभाई है।

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतरेस ने भारतीय समाज सुधारक एवं शिक्षाविद् हंसा जीवराज मेहता के मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (यूनिवर्सल डेक्लरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स) वाले ऐतिहासिक दस्तावेज निर्माण में ‘महत्वपूर्ण' योगदान के लिए उनकी सराहना की है। गुतरेस, गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र में आयोजित मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक प्रदर्शनी से संबंधित कार्यक्रम में बोल रहे थे। 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि इस दस्तावेज को आकार देने में महिलाओं ने अग्रणी भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा, 'उदाहरण के तौर पर भारत की हंसा मेहता, जिनके बिना हम लोग केवल पुरुषों के अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा पर बात कर रहे होते, न कि मानवाधिकारों पर।' इस प्रदर्शनी में मेहता सहित दूसरी प्रेरणादायी महिलाओं के योगदान को दर्शाया गया है। 

हंसा मेहता भारत की महान समाज सुधारक, शिक्षाविद् और उत्कृष्ट लेखिका थीं। उन्होंने 1947-48 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारतीय प्रतिनिधि के तौर पर इस वैश्विक संगठन के लिए काम किया। मानवाधिकारों के ऐतिहासिक ऐलान को लैंगिक रूप से अधिक संवदेनशील बनाने में उनका योगदान अविस्मरणीय है।

वह भारत का संविधान बनाने वाली संविधान समिति की सदस्य भी थीं। गुतरेस ने पाकिस्तान की बेगम शाइस्ता इकरामउल्ला, डोमिनिक गणराज्य की मिनर्वा बेरनाडिनो, ब्राजील की बेर्था लुट्ज और उरूग्वे की इसाबेल डी विदेल के योगदान की भी तारीफ की।

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