ब्रिटेन सरकार में शरणार्थियों के लिए दया भावना नहीं: नोबेल साहित्य विजेता गुरनाह
By भाषा | Updated: October 8, 2021 22:56 IST2021-10-08T22:56:13+5:302021-10-08T22:56:13+5:30

ब्रिटेन सरकार में शरणार्थियों के लिए दया भावना नहीं: नोबेल साहित्य विजेता गुरनाह
लंदन, आठ अक्टूबर (एपी) साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता अब्दुलरजाक गुरनाह ने शुक्रवार को ब्रिटेन समेत उन सरकारों की आलोचना की जो प्रवासियों को खतरा मानते हैं और उनके प्रति दया भावना नहीं रखते हैं।
गुरनाह जांजीबार द्वीप (अब तंजानिया का हिस्सा) में पले-बढ़े और 1960 के दशक में शरणार्थी के रूप में इंग्लैंड पहुंचे थे। उन्होंने ‘मेमोरी ऑफ डिपार्चर’, ‘पिलग्रिम्स वे’, ‘आफ्टरलाइव्स’ और ‘पैराडाइज’ समेत 10 उपन्यासों में अपने अनुभवों को समेटा है।
साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार की घोषणा करते हुए बृहस्पतिवार को स्वीडिश एकेडमी ने कहा कि ‘‘उपनिवेशवाद के प्रभावों को बिना समझौता किये और करुणा के साथ समझने’’ में गुरनाह के योगदान के लिए उन्हें पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है। दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार को जीतने वाले गुरनाह अफ्रीका में पैदा हुए छठे व्यक्ति हैं।
गुरनाह (72) ने कहा कि पलायन ‘‘सिर्फ मेरी कहानी नहीं है... यह हमारे समय की परिघटना है।’’ उपन्यासकार ने कहा कि अपनी मातृभूमि छोड़ने के बाद के दशकों में प्रवासियों की परेशानी कम नहीं होती है।
पुरस्कार जीतने के एक दिन बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ऐसा लग सकता है कि चीजें आगे बढ़ गई हैं, लेकिन एक बार फिर आप प्रवासियों को आते देखते हैं। अखबारों में वही पुरानी कड़वी चीजें, बदसलूकी, सरकार की ओर से करुणा की कमी देखने को मिलती है।’’
गुरनाह ने कहा कि ब्रिटेन दशकों से नस्लवाद के बारे में अधिक जागरूक हो गया है और उसने अपने शाही अतीत की चर्चा ‘‘तेज’’ की है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन संस्थाएं, उतनी ही मतलबी हैं, उतनी ही सत्तावादी हैं जितनी वे (पहले) थीं।’’
ब्रिटिश नागरिकता रखने वाले और हाल में केंट विश्वविद्यालय से साहित्य के प्रोफेसर के रूप में सेवानिवृत्त हुए गुरनाह ने सरकारों से प्रवासियों को समस्या के रूप में देखना बंद करने का आग्रह किया। गुरनाह ने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि वे अनुपयोगी हैं। वे (प्रवासी) युवा हैं, ऊर्जावान हैं और उनमें काफी संभावनाएं हैं।
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