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US-चीन ट्रेड वॉर: 170 देशों में कारोबार करने वाली चीनी कंपनी हुवावे को अमेरिका ने किया ब्लैक लिस्ट, दुनिया की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी है HUAWEI

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 16, 2019 16:11 IST

दिसंबर 2018 में चीन के धुरविरोधी ताइवान ने सुरक्षा चिंताओं के बीच हुवावे और जेडटीई के नेटवर्क उपकरणों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके पहले ब्रिटेन, जापान, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया ऐसा कदम उठा चुके हैं। 

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ठळक मुद्देचीनी दूरसंचार कंपनियों पर अक्सर जासूसी का आरोप लगता रहा है। हुवावे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी है। कंपनी का राजस्व 90 अरब डॉलर है।

अमेरिका ने सुरक्षा चिंताओं के बीच चीनी कंपनी हुवावे और उसकी सहायक कंपनियों को ब्लैक लिस्ट कर दिया है। बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी कंपनियों को विदेश में बने दूरसंचार उपकरण लगाने से रोकने संबंधी कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं। ये उपकरण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। यह 170 देशों में कारोबार करने वाली चीनी दूरसंचार उपकरण कंपनी के लिए बड़ा झटका है।  

अमेरिका का यह कदम चीन के साथ उसका तनाव और बढ़ा सकता है। दिसंबर 2018 में चीन के धुरविरोधी ताइवान ने सुरक्षा चिंताओं के बीच हुवावे और जेडटीई के नेटवर्क उपकरणों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके पहले ब्रिटेन, जापान, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया ऐसा कदम उठा चुके हैं। 

हुवावे पर जासूसी का आरोप

चीनी दूरसंचार कंपनियों पर अक्सर जासूसी का आरोप लगता रहा है। इसके अलावा साइबर हमले में भी कथित तौर पर चीन का नाम सामने आते रहा है। आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस और अंतरिक्ष के क्षेत्र में चीनी की बढ़ती धमक को अमेरिका अपने लिए खतरा मानता है। बता दें कि जेडटीई और हुवावे पर चीन सरकार और उसके नेताओं का नियंत्रण है।

कनाडा में हुई थी हुवावे के CFO की गिरफ्तारी

हुवावे की मुख्य वित्तीय अधिकारी मेंग वानझोऊ पर ईरान के साथ कारोबार पर अमेरिकी प्रतिबंध का उल्लंघन करने का आरोप है। उन्हें दिसंबर 2018 में वैंकूवर में हिरासत में लिया गया था। वानझोऊ पर आरोप है कि उन्होंने हुवावे के जरिये ईरानी कंपनियों को उपकरणों की आपूर्ति करने की कोशिश की, जबकि उन पर अमेरिका में प्रतिबंध लगा है। बता दें कि मेंग हुवावे के संस्थापक रेन झेंगफेई की बेटी हैं।

दिग्गज चीनी कंपनियों के लिए बड़ा झटका

हुवावे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी है। कंपनी का राजस्व 90 अरब डॉलर है। अमेरिका और जापान के पहले ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड भी चीनी कंपनियों को झटका दे चुके हैं। न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने उनके देश में 5जी नेटवर्क खड़ा करने में हुवावे और जेडटीई की भागीदारी पर रोक लगा दी थी। 

अमेरिका में सॉफ्टवेयर की वायरलेस कंपनी स्प्रिंट कॉर्प ने पहले ही हुवावेई और जेडटीई से किनारा कर लिया है। ब्रिटेन के बीटी ग्रुप ने कहा है कि वह अपने 3जी और 4जी नेटवर्क से हुवावेई के उपकरणों को हटा रहा है और 5जी नेटवर्क के विकास में उसका इस्तेमाल नहीं करेगा। 

ब्रिटेन से मिली राहत ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने पिछले महीने ही हुवावेई को 5 जी नेटवर्क के निर्माण में मदद करने की मंजूरी दे दी है। टेरेसा मे ने अपने वरिष्ठ मंत्रियों और अमेरिका की ओर से दी गई सुरक्षा चेतावनी को दरकिनार करते हुए यह कदम उठाया है। 

अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद कंपनी के संस्थापक रेन झेंगफेई परेशान नहीं है। उन्होंने फरवरी, 2019 में दिए एक बयान में कहा था कि अगर अमेरिका यूरोप में नुकसान पहुंचाता को उसकी भरपाई हम पूर्व में कर लेंगे। 

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