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म्यांमा से राजनयिक संबंधों में कटौती एवं प्रतिबंध लगाने वाले देशों की संख्या बढ़ी

By भाषा | Updated: February 11, 2021 18:19 IST

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सियोल, 11 फरवरी (एपी) म्यांमा में लोकतांत्रिक सरकार का तख्तापलट कर सत्ता पर काबिज हुई सेना पर दबाव बढ़ाने के लिए राजनयिक संबंधों में कटौती करने एवं आर्थिक प्रतिबंध लगाने वाले देशों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने बुधवार को कार्यकारी आदेश जारी कर म्यांमा के सैन्य अधिकारियों की अमेरिका में करीब एक अरब डॉलर की संपत्ति तक पहुंच प्रतिबंधित कर दी एवं आगे और कदम उठाने का वादा किया।

बाइडन ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से कहा, ‘‘आज मैं कई कार्रवाइयों की घोषणा कर रहा हूं और तख्तापलट के लिए जिम्मेदार नेताओं पर प्रतिबंध लगाकर इसकी शुरुआत कर रहा हूं। बर्मा सरकार को अमेरिका से मदद के रूप में मिले एक अरब डॉलर के कोष तक वहां के जनरलों की अनुचित तरीके से पहुंच रोकने के लिए अमेरिका सरकार यह कदम उठा रही है।’’

अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने म्यांमा में लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए पूर्व में कई पाबंदी हटा ली थी।

म्यांमा में एक फरवरी को हुए तख्तापलट के विरोध में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं जबकि बड़ी संख्या में लोगों के एकजुट होने पर प्रतिबंध है और रात्रिकालीन कर्फ्यू लगाया गया है। तख्तापलट के बाद आंग सान सू ची समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया।

न्यूजीलैंड ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है और उसने म्यांमा के साथ सभी सैन्य और उच्च स्तरीय राजनीतिक संपर्क तोड़ लिया है। इसके साथ ही मदद भी रोकने का फैसला किया है ताकि सेना और उसके नेताओं को कोई लाभ ना हो।

न्यूजीलैंड की विदेश मंत्री नानाइया महुता ने मंगलवार को कहा था, ‘‘हम सैन्य सरकार को मान्यता नहीं देंगे और सैन्य सरकार से सभी राजनीतिक नेताओं को तुरंत रिहा करने एवं नागरिक शासन बहाल करने की मांग करते हैं।’’

वाशिंगटन में बाइडन ने कहा कि उनके कदम का उद्देश्य म्यांमा के सैन्य नेताओं को लाभ पहुंचाने वाली अमेरिकी परिसंपत्ति को जब्त करने एवं स्वास्थ्य कार्यक्रम, नागरिक समाज एवं अन्य क्षेत्रों में मदद जारी रखने के लिए है। अमेरिका में पहले से ही म्यांमा के कुछ सैन्य नेताओं के खिलाफ अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुस्लिमों की हत्या एवं उत्पीड़न को लेकर प्रतिबंध है।

हालांकि, म्यांमा में अमेरिका के राजनयिक प्रतिनिधित्व में कोई बदलाव नहीं किया गया है जहां थॉमस वाजदा राजूदत की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ (ईयू) की विदेश नीति के प्रमुख जोसफ बोरेल ने कहा कि संघ में शामिल देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक 22 से 27 फरवरी के बीच होगी। इसमें म्यांमा से रिश्तों की समीक्षा करने एवं आर्थिक दबाव बढ़ाने की संभावना पर बातचीत होगी।

उन्होंने कहा कि म्यांमा की सेना के अधीन काम करने वाले व्यक्तियों एवं कारोबार को लक्षित कर प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ विकास मद में दी जाने वाली सहायता में कटौती करने का विकल्प है।

वर्ष 2014 से अब तक तक ईयू ने म्यांमा को 85 करोड़ डॉलर की सहायता दी है।

जिनेवा से संचालित 47 देशों की सदस्यता वाली संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकर परिषद में म्यांमा संकट से मानवाधिकार पर पड़ने वाले असर पर चर्चा के लिए शुक्रवार को विशेष सत्र प्रस्तावित है।

वहीं, मलेशिया एवं इंडोनेशिया के नेताओं ने म्यांमा पर चर्चा करने के लिए दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान) की विशेष बैठक बुलाने की मांग की है। हालांकि, अभी स्पष्ट नहीं है कि संगठन म्यांमा पर फैसले लेने के मुद्दे पर एकजुट होगा या नहीं क्योंकि संगठन की नीति आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने की रही है।

मौजूदा वर्ष में आसियान की अध्यक्षता कर रहे ब्रुनेई ने तख्तापलट के बाद एक बयान जारी कर म्यांमा के लोगों की इच्छा और हितों के अनुरूप वार्ता शुरू करने और हालात सामान्य बनाने का आह्वान किया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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