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अफगानिस्तान में समझौते के प्रयास को झटका, तालिबान ने कहा-वह अफगानिस्तान में जारी रखेगा अपनी गतिविधियां

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: March 2, 2020 20:22 IST

आंशिक संघर्ष विराम की घोषणा चरमपंथियों और वाशिंगटन के बीच समझौते पर दस्तखत होने से पहले की गई थी। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा, “हिंसा में कटौती...अब खत्म हो गयी है और हमारा अभियान सामान्य रूप से जारी रहेगा।”

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ठळक मुद्देसमझौते (अमेरिका-तालिबान) के मुताबिक, हमारे मुजाहिदीन विदेशी बलों पर हमला नहीं करेंगे।काबुल के प्रशासन वाले बलों के खिलाफ हमारा अभियान जारी रहेगा।

तालिबान ने सोमवार को कहा कि वह आंशिक संघर्ष विराम खत्म करने के साथ ही अफगान सुरक्षा बलों के खिलाफ आक्रामक अभियान फिर शुरू करने जा रहा है।

इस आंशिक संघर्ष विराम की घोषणा चरमपंथियों और वाशिंगटन के बीच समझौते पर दस्तखत होने से पहले की गई थी। यह घोषणा राष्ट्रपति अशरफ गनी के उस बयान के एक दिन बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि वह आंशिक संघर्षविराम को कम से कम तब तक जारी रखेंगे जब तक अफगान अधिकारियों और तालिबान के बीच बातचीत, संभवत: 10 मार्च को शुरू नहीं हो जाती।

यह आंशिक संघर्ष विराम दोहा में शनिवार को ऐतिहासिक समझौते पर दस्तखत से पहले यह करीब एक हफ्ते शुरू हुआ और सप्ताहांत तक जारी रहा। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने एएफपी को बताया, “हिंसा में कटौती...अब खत्म हो गयी है और हमारा अभियान सामान्य रूप से जारी रहेगा।”

उन्होंने कहा, “समझौते (अमेरिका-तालिबान) के मुताबिक, हमारे मुजाहिदीन विदेशी बलों पर हमला नहीं करेंगे लेकिन काबुल के प्रशासन वाले बलों के खिलाफ हमारा अभियान जारी रहेगा।” रक्षा मंत्रालय के लिये उप प्रवक्ता फवाद अमन ने कहा कि सरकार “देख रही है कि क्या यह (संघर्ष विराम) खत्म हो चुका है।”

उन्होंने कहा, “हमें देश में कहीं से अब तक बड़े हमले की जानकारी नहीं मिली है।” समझौते पर शनिवार को हस्ताक्षर के बाद से ही तालिबान सार्वजनिक रूप से अमेरिका पर अपनी “जीत” का जश्न मना रहा है। समझौते की शर्तों के मुताबिक तालिबान की सुरक्षा गारंटी मिलने और अफगान सरकार से विद्रोहियों द्वारा बातचीत किये जाने के संकल्प पर अमल के बाद विदेशी बल 14 महीनों के अंदर अफगानिस्तान से चले जाएंगे। गनी ने सोमवार को विद्रोहियों को चेताया था कि वह दोहा समझौते के उस महत्वपूर्व बिंदु को लेकर प्रतिबद्ध नहीं हैं जिसके तहत हजारों तालिबान कैदियों की रिहाई की बात कही गई है।

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