तालिबान ने 1990 के दशक के अपने शिया प्रतिद्वंद्वी की प्रतिमा गिराई

By भाषा | Updated: August 18, 2021 16:55 IST2021-08-18T16:55:43+5:302021-08-18T16:55:43+5:30

Taliban demolishes statue of its Shia rival from 1990s | तालिबान ने 1990 के दशक के अपने शिया प्रतिद्वंद्वी की प्रतिमा गिराई

तालिबान ने 1990 के दशक के अपने शिया प्रतिद्वंद्वी की प्रतिमा गिराई

काबुल, 18 अगस्त (एपी) तालिबान ने 1990 के दशक में अफगानिस्तान गृह युद्ध के दौरान उनके खिलाफ लड़ने वाले एक शिया मिलिशिया के नेता की प्रतिमा को गिरा दिया। सोशल मीडिया पर बुधवार को साझा की जा रही तस्वीरों से यह जानकारी मिली है। इसके साथ ही तालिबान के अधिक नरम होने के दावे पर भी शंका पैदा हो रही है। तालिबान द्वारा देश पर तेजी से किए गए कब्जे और उसके बाद के घटनाक्रमों पर करीब से नजर रखी जा रही है। तालिबान दावा कर रहा है कि वह बदल गया है और वह अफगानिस्तान में अपनी पिछली हुकूमत की तरह पाबंदियां नहीं लगाएगा। उसने विरोधियों से बदला नहीं लेने का भी वादा किया है। लेकिन कई अफगान उनके वादे को लेकर सशंकित हैं। तालिबान लड़ाकों ने बुधवार को काबुल के करीब उस इलाके में बंदूकों के साथ गश्त शुरू की जहां पर कई देशों के दूतावास और प्रभावशाली अफगानों की कोठियां हैं। तालिबान ने वादा किया है कि वह सुरक्षा कायम रखेगा लेकिन कई अफगानों को अराजकता का भय है। एक दुलर्भ घटना के तहत, पूर्वी शहर जलालाबाद में दर्जनों प्रदर्शनकारियों ने अफगानिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज के साथ तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन किया। यह जानकारी स्थानीय निवासी सलीम अहमद ने दी। उन्होंने बताया कि तालिबान ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवा में गोलियां चलाई। फिलहाल इसमें हताहत होने वालों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। बात दें कि तालिबान ने कब्जे किए गए इलाकों में अपने झंडे लगाए हैं जो सफेद रंग का है और उस पर इस्लामी आयते हैं। तस्वीरों में दिख रही प्रतिमा अब्दुल अली मजारी की है। इस मिलिशिया नेता की 1996 में तालिबान ने प्रतिद्वंद्वी क्षत्रप से सत्ता हथियाने के बाद हत्या कर दी थी। मजारी अफगानिस्तान के जातीय हजारा अल्पसंख्यक और शियाओं के नेता थे और पूर्व में सुन्नी तालिबान के शासन में इन समुदायों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था। यह प्रतिमा मध्य बामियान प्रांत में थी। यह वही प्रांत है, जहां तालिबान ने 2001 में बुद्ध की दो विशाल 1,500 साल पुरानी प्रतिमाओं को उड़ा दिया था। ये प्रतिमाएं पहा़ड़ को काटकर बनाई हुई थीं। यह घटना अमेरिका नीत बलों द्वारा अफगानिस्तान में तालिबान को सत्ता से बाहर किए जाने के कुछ समय पहले हुई थी। तालिबान ने दावा किया था कि इस्लाम में मूर्ति पूजा निषेध है और इन प्रतिमाओं से उसका उल्लंघन हो रहा था।तालिबान ने यह भी वादा किया है कि वह अफगानिस्तान का इस्तेमाल आतंकवादी हमलों की योजना बनाने के लिए नहीं करने देगा। इसका उल्लेख वर्ष 2020 में तालिबान और अमेरिका के ट्रंप प्रशासन के कार्यकाल में हुए समझौते में भी है जिससे अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी का रास्ता साफ हुआ। पिछली बार जब तालिबान सत्ता में था तो उसने अलकायदा नेता ओसामा बिन लादेन को शरण दी थी जिसने 11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर हुए हमले की साजिश रची थी। अमेरिकी अधिकारियों को आशंका है कि अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता के बाद अलकायदा और अन्य संगठन फिर से सिर उठा सकते हैं। तालिबान ने ‘समावेशी इस्लामिक सरकार’ बनाने का वादा किया है और अफगानिसतान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और अब्दुल्ला-अब्दुल्ला से बात कर रहा है। बुधवार को वायरल हुई तस्वीर में दो लोग अनस हक्कानी से मुलाकात करते दिख रहे हैं, जो तालिबान के वरिष्ठ नेता है। अमेरिका ने वर्ष 2012 में हक्कानी नेटवर्क को आतंकवादी समूह घोषित किया था और भविष्य की सरकार में उसकी भागीदारी से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लग सकते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Taliban demolishes statue of its Shia rival from 1990s

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे