सू ची ने संभावित सैन्य दखल को लेकर किया था सचेत

By भाषा | Updated: February 2, 2021 17:37 IST2021-02-02T17:37:39+5:302021-02-02T17:37:39+5:30

Suu Kyi was conscious about the possible military intervention | सू ची ने संभावित सैन्य दखल को लेकर किया था सचेत

सू ची ने संभावित सैन्य दखल को लेकर किया था सचेत

यांगून (म्यामां), दो फरवरी (एपी) म्यामां में पांच दशकों तक सैन्य शासन के बाद 2016 में देश की नेता बनने वाली नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंग सान सू ची ने कई बार सचेत किया था कि अगर शक्तिशाली सेना बदलावों को स्वीकार करती है तो ही देश में लोकतांत्रिक सुधार सफल होंगे।

सू ची की यह बात सही साबित हुई है। म्यामां में सेना ने सोमवार को तख्तापलट कर दिया और देश की शीर्ष नेता आंग सान सू ची समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया। सेना ने देश में एक साल के आपातकाल की घोषणा की।

सेना के स्वामित्व वाले ‘मयावाडी टीवी’ ने सोमवार सुबह घोषणा की कि सेना प्रमुख जनरल मिन आंग लाइंग ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है। इस घोषणा के दौरान सेना के तैयार किए संविधान के उस हिस्से का हवाला दिया गया, जो राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में देश का नियंत्रण सेना को अपने हाथों लेने की इजाजत देता है।

सू ची ने अपना अधिकांश जीवन सैन्य शासन से लड़ने में बिताया। उनका 19 जून, 1945 को यांगून में जन्म हुआ था। जब वह दो साल की थी, तब उनके पिता एवं स्वतंत्रता के नायक जनरल आंग सान की हत्या कर दी गई थी। म्यामां को उस समय बर्मा के नाम से जाना जाता था। उनके पिता की मौत के छह महीने बाद म्यामां को आजादी मिली। सू ची की मां किन की म्यामां की मंत्री थी और उन्हें 1960 के दशक में भारत का राजदूत बनाया गया था।

सू ची अपनी युवा अवस्था में ज्यादातर समय विदेश में ही रहीं। उन्होंने दर्शन, राजनीति और अर्थशास्त्र में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में डिग्री हासिल की और फिर न्यूयॉर्क और भूटान में संयुक्त राष्ट्र के लिए काम किया। उन्होंने ब्रिटिश अकादमिक माइकल एरिस से शादी की।

उन्होंने जून, 2012 में नार्वे में अपना नोबेल व्याख्यान दिया। उनकी पार्टी ने 2015 में जीत हासिल की लेकिन देश के सर्वोच्च पद पर काबिज होने से उन्हें रोकने के लिए 2008 के संविधान में सेना द्वारा जोड़े गए प्रावधान के कारण वह राष्ट्रपति नहीं बन सकीं। इसके बजाए, वह स्टेट काउंसलर के पद के साथ वास्तविक राष्ट्रीय नेता बन गई।

सू ची ने 2012 में एपी को दिए एक साक्षात्कार में कहा था, ‘‘मैं बदलाव को लेकर सेना में कितना समर्थन है, इस बात को लेकर चिंतित हूं। अंतत: सबसे महत्वपूर्ण यही बात है कि सेना इन सुधारों के साथ सहयोग के लिए कितना तैयार है।’’

मुस्लिम रोहिंग्या अल्पसंख्यकों के खिलाफ सेना द्वारा किए गए उत्पीड़न से निपटने के सरकार के तरीके से उनकी लोकतांत्रिक नेता की छवि धूमिल हुई थी।

म्यामां में सैन्य तख्तापलट की आशंका कई दिनों से बनी हुई थी। सेना ने अनेक बार इन आशंकाओं को खारिज किया था लेकिन देश की नई संसद का सत्र सोमवार को आरंभ होने से पहले ही उसने यह कदम उठा लिया।

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Web Title: Suu Kyi was conscious about the possible military intervention

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