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सूडान के सैन्य नेताओं ने अपदस्थ प्रधानमंत्री को बहाल किया

By भाषा | Updated: November 21, 2021 22:16 IST

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काहिरा, 21 नवंबर (एपी) सूडान के अपदस्थ प्रधानमंत्री ने रविवार को सेना के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया, जिसमें उन्हें पद पर बहाल करने की बात कही गयी है। करीब एक महीना पहले सैन्य तख्तापलट के बाद उन्हें नजरबंद कर दिया गया था।

कई विरोध प्रदर्शन कर चुके लोकतंत्र समर्थक एक प्रमुख समूह ने इस समझौते को ‘‘एक तरह का विश्वासघात’’ बताते हुए इसे खारिज कर दिया।

देश के शीर्ष जनरल, अब्देल फतह बुरहान ने टेलीविजन पर दिए गए बयानों में कहा कि अब्दुल्ला हमदोक चुनाव होने तक एक स्वतंत्र ‘टेक्नोक्रेटिक कैबिनेट’ के मुखिया होंगे। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार के पास कितनी शक्ति होगी या यह अब भी सेना की निगरानी में कामकाज करेगी।

यह भी स्पष्ट नहीं है कि किसी राजनीतिक दल या लोकतंत्र समर्थक समूहों ने समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं या नहीं। समझौते से उम्मीद है कि सेना 25 अक्टूबर के तख्तापलट के बाद से गिरफ्तार सरकारी अधिकारियों और नेताओं को रिहा कर देगी।

उन्होंने कहा कि इस समझौते को तैयार करने में संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और अन्य ने ‘महत्वपूर्ण भूमिका’ निभाई है। हमदोक ने सरकारी टीवी पर प्रसारित समारोह में कहा, ‘‘समझौते पर हस्ताक्षर संक्रमणकालीन अवधि की सभी चुनौतियों का समाधान करने के पर्याप्त द्वार खोलता है।’’

सैन्य कब्जे के बाद से सूडान की जनता सड़कों पर उतर आई, जिसने देश में लोकतंत्र का आगाज किया।

हमदोक ने सूडान के ‘‘क्षेत्रीय और वैश्विक मित्रों’’ को धन्यवाद दिया जिन्होंने इस समझौते तक पहुंचने में मदद की लेकिन उन्होंने देशों का नाम नहीं लिया। 14-खंड के करार में इस बात पर भी जोर दिया गया कि संक्रमणकालीन अवधि की समाप्ति के बाद एक निर्वाचित असैन्य सरकार को सत्ता सौंपी जानी चाहिए।

बुरहान ने कहा, ‘‘इस घोषणा पर हस्ताक्षर कर हम संक्रमणकालीन अवधि के लिए एक वास्तविक नींव रख सकते हैं।’’

अमेरिकी विदेश विभाग के एक पूर्व अधिकारी और अटलांटिक काउंसिल के अफ्रीका सेंटर के सूडान विशेषज्ञ कैमरन हडसन ने कहा कि यह समझौता जनरलों को बड़े पैमाने पर अपना नियंत्रण बनाए रखने और तख्तापलट और दर्जनों प्रदर्शनकारियों की मौत के लिए जवाबदेही से बचने की अनुमति देता है।

अमेरिका, उसके सहयोगियों और संयुक्त राष्ट्र ने तख्तापलट विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अत्यधिक बल प्रयोग की निंदा की है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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