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श्रीलंकाई अधिकारी जले पोत से तेल का रिसाव रोकने के लिए सभी संसाधनों का प्रयोग कर रहे : अधिकारी

By भाषा | Updated: June 4, 2021 15:25 IST

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कोलंबो, चार जून श्रीलंका के अधिकारी आग लगने के बाद आंशिक रूप से डूबे, सिंगापुर के स्वामित्व वाले पोत से संभावितत तेल रिसाव को रोकने के लिए सभी संसाधनों का इस्तेमाल कर रहे हैँ।

अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि श्रीलंकाई नौसेना, श्रीलंका बंदरगाह प्राधिकरण और भारतीय तटरक्षक जले हुए पोत से तेल के रिसाव का पता लगाने और उसे रोकने के लिए काम कर रहे हैं।

अधिकारियों ने बताया कि पोत ‘एक्स-प्रेस पर्ल’ अब भी पानी में आधा डूबा हुआ है जिसका पिछला हिस्सा 21 मीटर की गहराई में उथले तल में फंस गया है।

श्रीलंकाई नौसेना के प्रवक्ता कैप्टन इंडिका डीसिल्वा ने बुधवार को कहा कि पोत जब नदी तल से टकरा जाए तो उसे कुछ सौ मीटर की दूरी तक खींच कर लाया जा सकता है । जहाज का पिछला हिस्सा नीचे लग गया है जबकि आगे का हिस्सा पानी के ऊपर है।

अभियान टीम ने कहा है कि यह अब भी साफ नहीं है कि पोत में 20 मई को लगी आग के बाद से उसमें रखा गया 300 टन बंकर तेल (पोतों पर इस्तेमाल होने वाला इंधन) प्रभावित हुआ है या नहीं।

मालवाहक पोत, गुजरात के हजीरा से सौंदर्य प्रसाधनों के लिए रसायन एवं कच्चे माल की खेप ले जा रहा था लेकिन 20 मई को कोलंबो बंदरगाह के बाहर श्रीलंकाई जलक्षेत्र में उसमें आग लग गई थी।

पोत के चालक दल के सभी 25 सदस्यों - भारतीय, चीनी, फिलिपीनी और रूसी नागरिकों- को 21 मई को सुरक्षित निकाला गया था।

समुद्री पर्यावरण संरक्षण प्राधिकरण (एमईपीए) की अध्यक्ष दर्शनी लहंदपुरा ने कहा कि सैल्वर (राहत कार्य करने वाले) को वहां किसी भी तरह के रिसाव को रोकने की सलाह दी गई है। उन्हें यह भी कहा गया है कि जब भी संभव हो, तेल को बाहर निकालने की कार्रवाई करें और रिसाव को रोकने के लिए बचाव उपाय भी करें।

उन्होंने कहा कि इस काम में भारतीय तटरक्षक की सहायता की भी जरूरत हैं।

लहंदपुरा ने कहा, “भारतीय तटरक्षक पोत यहां हैं। वे मदद के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उनके पास संसाधन हैं।”

भारत की ओर से आग बुझाने में श्रीलंकाई नौसेना की मदद के लिए 25 मई को आईसीजी वैभव, आईसीजी डॉर्नियर और टग वाटर लिली को भेजा गया था। भारत का विशिष्ट प्रदूषण प्रतिक्रिया पोत समुद्र प्रहरी 29 मई को वहां पहुंचा। भारत ने राहत प्रयासों को ‘ऑपरेशन सागर सुरक्षा दो’ नाम दिया है।

एमईपीए ने तेल रिसाव की आशंका को लेकर स्थिति पर करीब से नजर रखने के लिए हर तीन घंटे में रिपोर्ट देने को कहा है।

अंतरराष्ट्रीय कंपनी, ऑयल स्पिल रिस्पॉन्स लिमिटेड (ओएसआरएल) भी तेल रिसाव को रोकने के प्रयास में शामिल हो गई है।

श्रीलंका बंदरगाह प्राधिकरण के प्रमुख दया रत्नायके ने कहा कि पोत में खतरनाक सामग्री थी - जो पूरी तरह श्रीलंका के लिए नहीं थी .... उसमें नाइट्रिक एसिड है। इसमें रखे गए 81 कंटेनरों के अन्य रसायनों में 25 टन नाइट्रिक एसिड है।

उन्होंने कहा कि तेल रिसाव का अब तक कोई संकेत नहीं मिला है।

पुलिस के प्रवक्ता अजित रोहना ने कहा कि पुलिस का अपराध जांच विभाग मामले में अपनी जांच जारी रखे हुए है। चालक दल के सदस्यों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं।

अधिकारी ने कहा, “पुलिस ने मुख्य अधिकारी से पूछताछ कर पोत के कंटेनर भंडारण योजना की जानकारी ली है। यह पोत में रखे गए नाइट्रिक एसिड के कंटेनरों का पता लगाने के लिए जरूरी है।”

मर्चेंट नेवी कार्यालय ने कहा कि पोत की मालिकाना कंपनी और बीमा कंपनियों ने अब तक के राहत बचाव कार्यों के लिए अंतरिम मुआवाजे का भुगतान करने पर सहमति जताई है।

इस बीच, सिंगापुर के समुद्री एवं बंदरगाह प्राधिकरण ने बुधवार को इस मामले में अपनी खुद की जांच शुरू कर दी है।

श्रीलंकाई पर्यावरणविदों ने इस घटना को देश के इतिहास की सबसे बुरी, पारिस्थितिकी तंत्र की आपदा बताया है और समुद्री जीवन एवं मत्स्य उद्योग को खतरा होने की आशंका के प्रति आगाह किया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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