श्रीलंका आर्थिक संकट: आज होने वाले प्रदर्शन से पहले 36 घंटे का कर्फ्यू लगाया गया, सोशल मीडिया पर पूर्ण पाबंदी
By विशाल कुमार | Updated: April 3, 2022 07:14 IST2022-04-03T07:07:26+5:302022-04-03T07:14:44+5:30
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की नाकामी को लेकर द्वीप देश में रविवार को बड़े पैमाने पर प्रदर्शन का आह्वान किया गया है। ऐसे में कर्फ्यू लागू रहने के कारण लोग विरोध-प्रदर्शनों में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।

श्रीलंका आर्थिक संकट: आज होने वाले प्रदर्शन से पहले 36 घंटे का कर्फ्यू लगाया गया, सोशल मीडिया पर पूर्ण पाबंदी
कोलंबो:श्रीलंका सरकार ने देश के इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट को लेकर रविवार को प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शनों से पहले शनिवार को पूरे देश में 36 घंटे का कर्फ्यू लागू कर दिया और सोशल मीडिया पर भी पाबंदी लगा दी।
इससे पहले राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने शुक्रवार देर रात एक विशेष गजट अधिसूचना जारी कर श्रीलंका में एक अप्रैल से तत्काल प्रभाव से सार्वजनिक आपातकाल लागू करने की घोषणा की थी।
सूचना विभाग ने कहा कि देशव्यापी कर्फ्यू शनिवार शाम छह बजे से सोमवार (चार अप्रैल) सुबह छह बजे तक लागू रहेगा। विभाग ने कहा कि राष्ट्रपति ने लोक सुरक्षा अध्यादेश नियमों के अंतर्गत उक्त निर्देश जारी किया है।
इसके साथ ही साइबर सुरक्षा और इंटरनेट के शासन की निगरानी करने वाले एक वॉचडॉग संगठन नेटब्लॉक्स ने स्थानीय समयानुसार रविवार 3 अप्रैल 2022 की मध्यरात्रि के बाद श्रीलंका में फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, वाइबर और यूट्यूब सहित कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के प्रतिबंध की पुष्टि की।
⚠️ Confirmed: Real-time network data show Sri Lanka has imposed a nationwide social media blackout, restricting access to platforms including Twitter, Facebook, WhatsApp, YouTube, and Instagram as emergency is declared amid widespread protests.
— NetBlocks (@netblocks) April 2, 2022
📰 Report: https://t.co/XGvXEFIqompic.twitter.com/KEpzYfGKjV
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की नाकामी को लेकर द्वीप देश में रविवार को बड़े पैमाने पर प्रदर्शन का आह्वान किया गया है। ऐसे में कर्फ्यू लागू रहने के कारण लोग विरोध-प्रदर्शनों में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।
गजट अधिसूचना में राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मेरी राय में श्रीलंका में आपातकाल लागू करना सार्वजनिक सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ समुदायों के लिए जरूरी वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति बनाए रखने के हित में है।’’
सार्वजनिक आपातकाल लागू करने के बाद राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगाने के आदेश के पश्चात एक अन्य नियम में, राजपक्षे ने कहा कि कर्फ्यू के घंटों के दौरान किसी को भी बाहर निकलकर सार्वजनिक स्थानों पर नहीं जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि क्षेत्रों में सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखना आवश्यक है .... निर्देश है कि कोई भी व्यक्ति दो अप्रैल, 2022 की शाम छह बजे से चार अप्रैल 2022 सुबह छह तक किसी लिखित अनुमति के बिना किसी भी सार्वजनिक सड़क, रेलवे, सार्वजनिक पार्क, सार्वजनिक मनोरंजन मैदान या अन्य सार्वजनिक मैदान या समुद्र के किनारे पर नहीं होगा।’’
हालांकि, शनिवार शाम छह बजे कर्फ्यू लागू होने के बाद भी शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन रात तक जारी रहा। कर्फ्यू के आदेश के बावजूद कोलंबो के कई उपनगरों में लोगों को विरोध प्रदर्शन करते देखा गया।
हाल के हफ्तों में, देश के अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट से निपटने के लिए सरकार के खिलाफ जनता का गुस्सा बढ़ा है। स्वतंत्र थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर पॉलिसी ऑल्टरनेटिव्स’ ने आपातकाल पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘प्रतिबंधों से संविधान प्रदत्त कुछ मौलिक अधिकार बाधित हो सकते हैं। इनमें अभिव्यक्ति की आजादी से लेकर सभा करने, आवाजाही, धर्म, संस्कृति और भाषा की स्वतंत्रता शामिल है।’’
अधिवक्ताओं ने बताया कि ये प्रतिबंध पुलिस को गैरकानूनी रूप से एकत्रित होने वाले लोगों को गिरफ्तार करने की असीम शक्ति देते हैं। उन्होंने कहा कि इन प्रतिबंधों पर उनके क्रियान्वयन के हर 30वें दिन संसद की मंजूरी ली जानी चाहिए।
आपातकाल की घोषणा ऐसे समय की गई है, जब अदालत ने राजपक्षे के आवास के सामने प्रदर्शन के लिए गिरफ्तार किए गए प्रदर्शनकारियों के एक समूह को जमानत देने का आदेश दिया है।
अधिवक्ता नुवान बोपागे ने बताया कि गिरफ्तार किए गए 54 प्रदर्शनकारियों में से 21 को जमानत दे दी गई है, जबकि छह को चार अप्रैल तक के लिए रिमांड पर भेजा गया है और बाकी 27 घायल अवस्था में अस्पतालों में भर्ती हैं।
बोपागे कोलंबो उपनगरीय गंगोडाविला मजिस्ट्रेट की अदालत में मुफ्त सलाह देने के लिए जुटे लगभग 500 अधिवक्ताओं में शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक बेहद अहम आदेश था। अदालत ने पुलिस से प्रत्येक प्रदर्शनकारी के हिंसक गतिविधियों में शामिल होने के आरोपों की पुष्टि करने वाले सबूत पेश करने को कहा था। पुलिस ऐसा नहीं कर सकी।’’
सरकार ने राजपक्षे के आवास के बाहर हुए प्रदर्शनों के लिए विपक्षी राजनीतिक दलों से जुड़े एक चरमपंथी समूह को जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने कहा था कि वे किसी राजनीतिक समूह से प्रेरित नहीं हैं और वे जनता द्वारा झेली जा रही परेशानियों का सरकार द्वारा समाधान चाहते हैं।
प्रदर्शन के हिंसक रूप अख्तियार करने के चलते कई वाहनों को आग लगा दी गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे। इस घटना के बाद कई लोगों को गिरफ्तार करने के साथ ही कोलंबो शहर में संक्षिप्त अवधि के लिए कर्फ्यू लगाया गया था।
इस बीच, एक सोशल मीडिया कार्यकर्ता अनुरुद्ध बंडारा के पिता ने शनिवार को आरोप लगाया कि आपातकाल की घोषणा होने के तत्काल बाद उनके बेटे को पुलिस ने अवैध रूप से हिरासत में ले लिया। उल्लेखनीय है कि श्रीलंका वर्तमान में इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। पिछले कई सप्ताह से देश की जनता को ईंधन और रसोई गैस के लिए लंबी कतारों का सामना करने के साथ ही आवश्यक चीजों की किल्लत झेलनी पड़ रही है।