वाशिंगटन: धरती के ऊपर आने वाले चक्रवात जहां इंसान के लिए संकट थे ही, वहीं अब अंतरिक्ष में भी एक विशाल तूफान नजर आ रहा है. इस तूफान को सैटेलाइट से मिली तस्वीरों में आसानी से देखा जा सकता है. यह तूफान आमतौर पर वातावरण के निचले हिस्से में बनते हैं, जो पृथ्वी के सतह से बेहद करीब होता है.
यह तूफान जहां पानी की बारिश करते हैं, वहीं अंतरिक्ष का यह तूफान सोलर पार्टिकल्स को बरसा रहा है. वैज्ञानिकों ने अब इस बात की पुष्टि की है कि अंतरिक्ष में भी चक्रवाती तूफान आ रहे हैं. पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में इलेक्ट्रॉन्स का यह प्लाज्मा पाया गया है.
यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के प्रोफेसर माइक लॉकवुड का कहना है कि अब तक हम इस बात को लेकर अनिश्चित थे कि स्पेस प्लाज्मा तूफान का अस्तित्व है या नहीं है. इस शानदार विश्लेषण के आधार पर यह साबित करना अपने आप में अविश्वसनीय है. लॉकवुड ने कहा कि चक्रवात ग्रहों और उनके चंद्रमाओं पर आम बात हो सकती है, जहां चुंबकीय क्षेत्र और प्लाज्मा हो।
चीन की शांडांग यूनिवर्सिटी की टीम ने बताया है कि 621 मील चौड़ा प्लाज्मा का मास उत्तरी ध्रुव के ऊपर देखा गया. जैसे धरती पर चक्रवात पानी की बरसात करता है, वैसे ही यह प्लाज्मा इलेक्ट्रॉन बरसा रहा था. यह एंटी-क्लॉकवाइज घूम रहा था और आठ घंटे तक चलता रहा.
उन्होंने बताया है कि ट्रॉपिकल तूफान ऊर्जा से जुड़े हुए होते हैं और ये चक्रवात बहुत ज्यादा और तेज सौर तूफान से निकले वाली ऊर्जा और चार्ज्ड पार्टिकल्स के धरती के ऊपरी वायुमंडल में ट्रांसफर की वजह से बने होंगे. पहले यह पाया गया है कि मंगल, शनि और बृहस्पति पर भी अंतरिक्ष के चक्रवात होते हैं.
स्पेस तूफान धरती पर क्या पड़ेगा असर?
वैज्ञानिकों के दल ने बताया है कि अंतरिक्ष के चक्रवात की वजह से स्पेस से आइओनोस्फीयर और थर्मोसफियर में तेजी से ऊर्जा का ट्रांसफर होता है.
इससे अंतरिक्ष के मौसम का असर समझा जा सकता है- जैसे सैटेलाइट्स के ड्रैग पर, हाई-फ्रीक्वेंसी रेडियो संचार में रुकावट, क्षितिज के ऊपर रेडार लोकेशन में गलितयों, सैटेलाइट नैविगेशन और संचार प्रणाली पर. यह चक्रवात 20 अगस्त 2014 को आया था.