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जलवायु पर भारी पड़ रहा है नौवहन, नवाचारों से उत्सर्जन कम करने में मिल सकती है मदद

By भाषा | Updated: June 13, 2021 16:28 IST

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(जिंग सुन, प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष, नेवल आर्किटेक्चर और समुद्री इंजीनियरिंग, मिशिगन विश्वविद्यालय)

ऐन आर्बर (अमेरिका), 13 जून (द कन्वरसेशन) दुनिया के कुल व्यापार का 80 प्रतिशत से ज्यादा परिवहन जहाजों के जरिये होता है और ये जहाज काफी हद तक पर्यावरण के लिहाज से सबसे कम अनुकूल परिवहन ईंधन पर निर्भर होते हैं।

ऐसा कोई सस्ता, व्यापक रूप से उपलब्ध समाधान नहीं हैं जो नौवहन उद्योग के ग्रह को गर्म करने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम कर सके। वास्तव में नौवहन को पृथ्वी पर मौजून उन सबसे कठिन उद्योगों में से एक माना जाता है जिनसे कार्बन उत्सर्जन कम करना निहायत मुश्किल भरा है। हालांकि अब कुछ रोमांचक नवाचारों का परीक्षण किया जा रहा है।

नेवल आर्किटेक्चर और समुद्री इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के रूप में मैं जहाज प्रणोदन और नियंत्रण प्रणाली पर काम करता हूं जिसमें विद्युतीकरण, बैटरी और ईंधन सेल शामिल हैं। इस सप्ताह ध्यान जलवायु परिवर्तन पर केंद्रित है क्योंकि विश्व के नेता जी-7 शिखर सम्मेलन में मिले हैं और वार्ताकार संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ) की एक बैठक में नौवहन उत्सर्जन पर चर्चा हुई है, आइये इस पर एक नज़र डालते हैं कि क्या संभव है, और कुछ ईंधन और प्रौद्योगिकियों को भी देखते हैं जो संभावित तौर पर उद्योग के भविष्य को परिभाषित कर सकती हैं।

नौवहन की जलवायु समस्या:

नौवहन कच्चे माल और थोक माल को परिवहन करने का सबसे सस्ता तरीका है। इसने इसे एक बहुत बड़ा आर्थिक प्रभाव और एक बड़ा कार्बन उत्सर्जन दोनों दिया है।

आईएमओ के अनुसार उद्योग प्रतिवर्ष लगभग एक अरब मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करता है जो वैश्विक उत्सर्जन का लगभग तीन प्रतिशत। आईएमओ 174 सदस्य देशों की संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो उद्योग के लिए मानक निर्धारित करती है।

यदि नौवहन एक देश होता, तो यह वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में जापान और जर्मनी के बीच छठा सबसे बड़ा योगदानकर्ता होता। इसके अलावा, जहाजों का लगभग 70 प्रतिशत उत्सर्जन जमीन से 400 किलोमीटर की दूरी पर होता है। जिसका अर्थ है कि इसका हवा की गुणवत्ता पर भी प्रभाव पड़ता है, खासकर बंदरगाह शहरों के लिए।

नीतियों के अलावा तकनीकी नवाचार नौवहन के लिए कम कार्बन या शून्य-उत्सर्जन के लिए महत्वपूर्ण होगा। शैक्षणिक अनुसंधान संस्थान, सरकारी प्रयोगशालाएं और कंपनियां अब विद्युतीकरण के साथ प्रयोग कर रही हैं। शून्य या कम कार्बन ईंधन जैसे हाइड्रोजन, प्राकृतिक गैस, अमोनिया और जैव ईंधन और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत जैसे ईंधन सेल और सौर, पवन और तरंग शक्ति। प्रत्येक के अपने लाभ और हानि हैं।

जहाजों का विद्युतीकरण क्यों मायने रखता है:

जैसे भूमि पर होता है वैसे ही विद्युतीकरण उद्योग के उत्सर्जन को स्वच्छ बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। यह जीवाश्म ईंधन पर चलने वाले इंजनों को या तो वैकल्पिक बिजली उत्पादन प्रौद्योगिकियों द्वारा प्रतिस्थापित करने या कम उत्सर्जन के लिए संशोधित करने में मदद करता है। यह जहाजों को बंदरगाह में रहते हुए बिजली से जुड़ने में मदद करता है जिससे उनके उत्सर्जन में कमी आती है।

जहाज का विद्युतीकरण और रूपांतरण वाणिज्यिक और सैन्य जहाजों दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं। एक जहाज को विद्युतीकृत करने का अर्थ है उसकी पारंपरिक यांत्रिक प्रणालियों को विद्युत से संचालित होने वाले यंत्रों में बदलना। कुछ बेड़े पहले संचालक और कार्गो हैंडलिंग का विद्युतीकरण कर चुके हैं। दूसरी ओर, हाइब्रिड पावर सिस्टम अपनी पूरक विशेषताओं का लाभ उठाने के लिए विभिन्न बिजली उत्पादन तंत्र, जैसे इंजन और बैटरी को एकीकृत करते हैं।

मैं हरित नौवहन प्राप्त करने के लिए गहन विद्युतीकरण और व्यापक रूपांतरण को एक मुख्य रणनीति के रूप में देखता हूं।

मौजूदा बेड़े के संचालन में सुधार और ईंधन के उपयोग को कम करने के लिए भी काफी अवसर मौजूद हैं। उन्नत सेंसर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग जहाजों की दक्षता में सुधार और उत्सर्जन को कम करने में मदद कर सकते हैं।

समुद्री यात्राओं के लिए हरित ईंधन:

नौवहन उद्योग को कार्बन मुक्त करने के लिए स्वच्छ और हरित ईंधन स्रोतों की ओर जाना अनिवार्य होगा। आज के जहाजों के अधिकांश बिजली संयंत्र आंतरिक दहन इंजनों पर आधारित हैं जो सस्ते भारी ईंधन तेल का उपयोग करते हैं। समुद्री डीजल और गैस टरबाइन इंजन डिजाइन और एक्जॉस्ट गैस के शोधन में नवाचारों ने हानिकारक उत्सर्जन को कम किया है।

अब ध्यान स्वच्छ ईंधन स्रोतों और अधिक कुशल वैकल्पिक बिजली उत्पादन प्रौद्योगिकियों के विकास पर है। प्राकृतिक गैस, अमोनिया और हाइड्रोजन जैसे कम या शून्य-कार्बन ईंधन के, भविष्य में नौवहन के लिए प्रमुख ऊर्जा स्रोत बनने की संभावना है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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