वैज्ञानिक सच्चाई के संकेत के लिए प्राचीन कहानियों पर गौर करता है भू-पौराणिक विज्ञान

By भाषा | Updated: August 7, 2021 18:42 IST2021-08-07T18:42:55+5:302021-08-07T18:42:55+5:30

Scientist looks to ancient stories for clues to truth | वैज्ञानिक सच्चाई के संकेत के लिए प्राचीन कहानियों पर गौर करता है भू-पौराणिक विज्ञान

वैज्ञानिक सच्चाई के संकेत के लिए प्राचीन कहानियों पर गौर करता है भू-पौराणिक विज्ञान

(टिमोथी जॉन बरबेरी, मार्शल विश्वविद्यालय)

हंटिंगटन (अमेरिका) , सात अगस्त (द कन्वरसेशन) हर किसी को अच्छी कहानी पसंद आती है, खासकर यदि वह किसी सच्चाई पर आधारित हो।

टाइटेनोमैची की यूनानी किंवदंती पर विचार करें, जिसमें ज़ीउस के नेतृत्व में ओलंपियन देवताओं ने पिछली पीढ़ी के अमर टाइटन्स पर विजय प्राप्त की। जैसा कि यूनानी कवि हेसियोड ने उल्लेखित किया है, यह संघर्ष एक रोमांचक कहानी बनाता है और हो सकता है कि इसमें सत्यता भी हो।

संभव है कि लगभग 1650 ईसा पूर्व थेरा ज्वालामुखी विस्फोट ने हेसियोड की कथा को प्रेरित किया हो। क्राकाटोआ से अधिक शक्तिशाली इस विस्फोट को दक्षिणी ईजियन सागर में इस प्राचीन उथल पथल को विस्फोट के सैकड़ों किलोमीटर के भीतर रहने वाले किसी भी व्यक्ति ने देखा होगा।

विज्ञान के इतिहासकार मॉट ग्रीन का तर्क है कि टाइटेनोमैची के महत्वपूर्ण घटनाओं में ज्वालामुखी विस्फोट शामिल है।

उदाहरण के लिए, हेसियोड ने उल्लेख किया है कि जब सेनाएं आपस में टकराती हैं तो जमीन में जोरदार गड़गड़ाहट होती है। भूकंपविज्ञानी अब जानते हैं कि भूकंप के झटकों के बाद कभी-कभी विस्फोट होते हैं और इससे अक्सर इसी तरह की ध्वनियां उत्पन्न होती हैं। युद्ध के दौरान ‘‘स्वर्ग’’ के हिलने का उल्लेख ज्वालामुखी विस्फोट के कारण हवा में कंपन से प्रेरित हो सकता था। इसलिए, टाइटेनोमैची एक प्राकृतिक घटना की रचनात्मक गलत व्याख्या का प्रतिनिधित्व कर सकता है।

ग्रीन का अनुमान भू-पौराणिक विज्ञान (जियोमिथोलॉजी) का एक उदाहरण है, यह अध्ययन का एक ऐसा क्षेत्र है जो किंवदंतियों और मिथकों से वैज्ञानिक सत्य निकालने का प्रयास करता है। लगभग 50 साल पहले भूविज्ञानी डोरोथी वितालियानो द्वारा निर्मित भू-पौराणिक विज्ञान उन कहानियों पर केंद्रित है जो ज्वालामुखी विस्फोट, सुनामी और भूकंप जैसी घटनाएं और उसके बाद के प्रभाव को दर्ज कर सकती हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि ये घटनाएं, कुछ मामलों में, इतनी दर्दनाक या आश्चर्य-प्रेरक रही हैं कि उन्होंने पहले के लोगों को इन्हें दंतकथाओं के माध्यम से "व्याख्या" करने के लिए प्रेरित किया हो।

मैंने हाल में इस क्षेत्र में पहली पाठ्यपुस्तक प्रकाशित की है, ‘‘जियोमाइथोलॉजी: हाऊ कॉमन स्टोरीज़ रिफ्लेक्ट अर्थ इवेंट्स।’’ जैसा कि पुस्तक दिखाती है, विज्ञान और मानविकी दोनों के शोधकर्ता भू-पौराणिक विज्ञान का अभ्यास करते हैं। वास्तव में, भू-पौराणिक विज्ञान की संकर प्रकृति दो संस्कृतियों के बीच की खाई को पाटने में मदद कर सकती है और अतीत की ओर उन्मुख होने के बावजूद, भू-पौराणिक विज्ञान भविष्य में पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने के लिए शक्तिशाली संसाधन भी प्रदान कर सकता है।

गुजरे हुए किस्से जो दुनिया को समझाते हैं कुछ जियोमिथ अपेक्षाकृत प्रसिद्ध हैं। एक थाईलैंड में मोकेन लोगों से आता है, जो हिंद महासागर में 2004 की सुनामी से बच गए थे जिसमें लगभग 228,000 लोग मारे गए थे। उस भयानक दिन मोकेन ने "लाबून", या "राक्षसी लहर" के बारे में एक पुरानी कहानी पर ध्यान दिया।

दंतकथा के अनुसार, समय-समय पर लोगों का भक्षण करने वाली लहर उठेंगी और जमीन पर बहुत दूर अंतर तक जाएंगी। हालांकि, जो समय पर ऊंचाई वाली भूमि पर भाग गए, वे बच जाएंगे। किंवदंती की सलाह के अनुरूप मोकेन ने अपने जीवन की रक्षा की।

अन्य जियोमिथ प्रागैतिहासिक अवशेषों के स्पष्टीकरण के रूप में शुरू हो सकते हैं जो किसी भी ज्ञात प्राणी पर आसानी से फिट नहीं बैठते।

ओडिसीस और उसके दल को आतंकित करने वाला एक-आंख वाला दैत्य ‘साइक्लोप्स’ यूनान और इटली में प्रागैतिहासिक हाथी की खोपड़ी की खोज से निकला हो सकता है।

1914 में, जीवाश्म विज्ञानी ओथेनियो एबेल ने बताया कि इन जीवाश्मों में चेहरे की बड़ी गुहाएं होती हैं, जहां से सूंड निकली होती। उन प्राचीन यूनानियों के लिए जिन्होंने उन्हें खोदा था, ये खोपड़ियां एक आंख वाले दैत्य के अवशेषों की तरह लग सकती थीं।

भू-पौराणिक विज्ञान कोई विज्ञान नहीं है। पुरानी कहानियां अक्सर भ्रमित या विरोधाभासी होती हैं। हो सकता है कि पहले के कल्पनाशील लोगों ने विभिन्न कहानियां पहले सोची होंगी और उन्हें बाद में पृथ्वी की घटनाओं या खोजों से जोड़ा होगा।

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Web Title: Scientist looks to ancient stories for clues to truth

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