लाइव न्यूज़ :

चीन में संस्कृत लोकप्रिय बनी हुई है:चीनी प्रोफेसर

By भाषा | Updated: April 11, 2021 19:50 IST

Open in App

(के जेएम वर्मा)

बीजिंग, 11 अप्रैल चीन में संस्कृत भाषा करीब दो हजार साल पहले बौद्ध धर्म के साथ पहुंची थी और इसने चीन के सम्राटों और विद्वानों पर काफी असर डाला था और यह आज भी फल फूल रही है।

चीन में जाने-माने संस्कृत विद्वान और पेकिंग विश्वविद्यालय में चीन-भारत बौद्ध अध्ययन, ओरिएंटल एवं भारतीय अध्ययन संस्थान के निदेशक वांग बैंगवई ने कहा कि संस्कृत जो भारतीय संस्कृति की जड़ है, चीन में लोकप्रिय बनी हुई है और यह आधुनिक भारत में इसकी मामूली प्रगति के विपरीत है।

वांग ने कहा कि पेकिंग विश्वविद्यालय चीन के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है और इस साल विश्वविद्यालय में संस्कृत की पढ़ाई शुरू होने के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं।

वांग ने चीन में संस्कृत का प्रसार करने का श्रेय चौथी सदी ईसा बाद के भारतीय विद्वान कुमारजीव को दिया है।

कुमारजीव ने दो हजार साल पहले चीन में रहने के दौरान बौद्ध धर्म के सूत्रों को चीनी भाषा में अनुवाद करने में मदद की थी और ‘ चीन के राष्ट्रीय शिक्षक’ का शाही खिताब अर्जित किया था।

वह उन अनेक विद्वानों में से एक हैं जिन्होंने दोनों देशों के बीच सभ्यता आधारित संबंधों की मजबूत आधारशीला रखी।

कुमारजीव कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से संबंधित थे और उन्होंने चौथी सदी में चीन में 23 साल बिताए थे। इस दौरान वह जेल में भी रहे थे।

वांग ने यहां शुक्रवार को भारतीय दूतावास में भारतीय राजदूत विक्रम मिस्री के साथ संस्कृत सीखने की ऐप ‘ लिटिल गुरु’ जारी करते हुए कहा कि संस्कृत, उससे संबंधित संस्कृति और उसका विकास फाह्यान और ह्वेनसांग जैसे अनेक चीनी विद्वानों ने जीवित रखा।

वांग ने कहा कि पेकिंग विश्वविद्यालय में एक सदी पहले संस्कृत पढ़ाने का कार्यक्रम शुरू किया गया था लेकिन चीन में संस्कृत शोध और अध्ययन करीब दो हजार साल पहले ही शुरू हो गया था।

उन्होंने कहा कि जब बौद्ध धर्म भारत से चीन पहुंचा तो चीन के बौद्ध भिक्षुओं ने भारतीय ग्रंथों को चीनी भाषा में अनूदित करना शुरू कर दिया।

वांग ने बताया कि नालंदा विश्वविद्यालय में चीन के 100 से अधिक विद्वानों ने पढ़ाई की थी और इसमें 11वीं सदी से गिरावट आई।

उन्होंने कहा, “संस्कृत भारतीय संस्कृति की एक प्रमुख भाषा है। चीन में अधिक से अधिक लोग भारतीय संस्कृति में रुचि रखते हैं और संस्कृत भारतीय संस्कृति के बारे में अधिक जानने का एक अच्छा तरीका है।”

वांग ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि संस्कृत सबसे महत्वपूर्ण भाषा है जिसके माध्यम से चीन के लोगों ने हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, प्राचीन भारतीय चिकित्सा, खगोल विज्ञान और गणित को जाना है।

उन्होंने कहा, “भारत में बौद्ध धर्म में गिरावट आई, जबकि यह चीन में बहुत मजबूत हो गया और चीनी संस्कृति का हिस्सा बन गया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

विश्वबांग्लादेश चुनाव 2026ः एनसीपी के 30 नेताओं का विरोध और 2 ने दिया इस्तीफा, जमात-ए-इस्लामी के साथ गठजोड़ पर विरोध

भारतबिहार से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कुर्सी से बेदखल करने की तैयारी?, रालोमो में बगावत, उपेंद्र कुशवाहा से नाराज 4 में से 3 विधायक, राजद-भाजपा में वार?

कारोबारगौतम अदाणी की जीवन यात्रा बड़े सपने देखने वाले युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत?, पवार ने कहा-मुंबई आए और शून्य से की शुरुआत, आज व्यवसाय 23 राज्यों में फैला

भारतकांग्रेस के 140वें स्थापना दिवसः हमारी शक्ति भले ही कम हुई, हमारा हौसला अब भी बुलंद, मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा-किसी से समझौता नहीं किया

क्राइम अलर्टबिहार में बहाल 2912 शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्र फर्जी?, अब तक 1707 पर FIR, कई दिनों से सरकारी नौकरी का उठा रहे लाभ

विश्व अधिक खबरें

विश्वशरीफ उस्मान हादी की हत्या, बांग्लादेश से फरार 2 मुख्य संदिग्ध फैसल करीम मसूद और आलमगीर शेख?, पुलिस का दावा- भारत के मेघालय में घुसे?

विश्वNepal polls: काठमांडू महानगरपालिका के महापौर बालेंद्र शाह होंगे प्रधानमंत्री पद उम्मीदवार?, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी की ओर से लड़ेंगे चुनाव, 5 मार्च को इलेक्शन

विश्वबांग्लादेश में रॉक गायक जेम्स के संगीत समारोह पर ईंट-पत्थर से हमला, 25 छात्र घायल, वीडियो

विश्वSyria: जुमे की नमाज के दौरान मस्जिद में धमाका, 8 लोगों की मौत; 18 घायल

विश्वBangladesh unrest: सिंगर जेम्स के कॉन्सर्ट में भीड़ का हमला, लोगों पर फेंके गए ईंट-पत्थर; 10 से ज्यादा लोग घायल