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रूस के यूक्रेन पर हमले के पीछे क्या कोई धार्मिक वजह है? कौन थे संत व्लादिमीर, जिससे होने लगी है पुतिन की तुलना

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 25, 2022 18:46 IST

व्लादिमीर पुतिन के यूक्रेन पर हमले को लेकर कई तरह की थ्योरी गढ़ी जा रही है। इसमें फिर से सोवियत संघ जैसी स्थिति तैयार करने की भी बात कही जा रही है। वहीं इसका धार्मिक एंगल भी कई लोग निकाल रहे हैं।

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमला कर पूरी दुनिया को चौंका दिया है। यूक्रेन पर रूस की सैन्य कार्रवाई की आशंका काफी पहले से लगाई जा रही थी, पर हाल में ये उम्मीद भी जताई जाने लगी थी कि संभवत: पुतिन इतना बड़ा कदम नहीं उठाएंगे। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ। रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद कई तरह की थ्योरी और बातें होने लगी हैं।

कई लोगों का मामला है कि पुतिन संभवत: ग्रेट रशियन एंपायर या कम से कम सोवियत यूनियन जैसी स्थित एक बार फिर बनाना चाहते हैं। वहीं, एक थ्योरी ये भी है कि पुतिन फिर से रूसी रूढ़िवादी चर्च को फिर से स्थापित करना चाहते हैं।

मौजूदा हालात पर पादरी सहित कई विशेषज्ञ पुतिन की ओर से टैंकों, लड़ाकू विमानों और मिसाइलों के बल पर लगभग 4.5 करोड़ लोगों वाले देश यूक्रेन पर कब्जा करने के प्रयास के पीछे की अहम वजह का आकलन लगाने में जुटे हैं। इन्हीं में से कुछ विशेषज्ञ व्लादिमीर पुतिन और उनके नाम से मिलते-जुलते व्लादिमीर प्रथम के बीच किसी कड़ी की भी बात करने लगे हैं।

व्लादिमीर पुतिन, व्लादिमीर प्रथम और ईसाई कनेक्शन

व्लादिमीर प्रथम एक हजार साल पहले इस दुनिया में रहते थे और उन्होंने पहले रूसी साम्राज्य और रूसी रूढ़िवादी चर्च की भी स्थापना की थी। रूस (रूस और यूक्रेन) के एक मूर्तिपूजक राष्ट्र को ईसाई में बदलने के लिए भी व्लादिमीर प्रथम को संत घोषित किया गया था। वे यूक्रेन की राजधानी कीव से शासन किया करते थे।

व्लादिमीर प्रथम के मूर्तिपूजक से ईसाई धर्म में जाने की भी एक छोटी सी कहानी है। लंदन स्थित ईसाई पादरी और स्तंभकार गाइल्स फ्रेजर लिखते हैं कि वे बीजान्टिन साम्राज्य ( Byzantine Empire) के समृद्ध दिन थे लेकिन इसके सम्राट बेसिल द्वितीय (Basil II) को सैन्य जनरलों के विद्रोह का खतरा था।

बेसिल द्वितीय ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए एक प्रस्ताव के साथ व्लादिमीर प्रथम से संपर्क किया। इस प्रस्ताव के अनुसार अगर व्लादिमीर प्रथम ने बेसिल II को उनका शासन बचाने में मदद की सम्राट उनसे अपनी एक बेटी की शादी करा देगा। इस प्रस्ताव में एक ये भी शर्त थी कि व्लादिमीर प्रथम को ईसाई धर्म को अपनाना था।

रूढिवादी चर्च और 1917 की बोल्शेविक क्रांति 

व्लादिमीर प्रथम ने वादे के अनुसार बेसिल द्वितीय के खिलाफ विद्रोह को खत्म कर दिया। इसके बाद वे सम्राट की बेटी के साथ शादी के बाद वापस कीव आ गए। कीव में वापस व्लादिमीर प्रथम ने 988 में बड़े पैमाने पर नागरिकों को नीपर नदी के तट पर बुलाया। यह रूसी रूढ़िवादी ईसाई धर्म का जन्म था, जिसने 15वीं शताब्दी के मध्य में बीजान्टिन साम्राज्य का पतन के बाद 'पवित्र रूस मातृभूमि' और 'तीसरे रोमन साम्राज्य' की भावनात्मक धार्मिक अवधारणाओं को जन्म दिया। 15 वीं शताब्दी के मध्य में बीजान्टिन साम्राज्य का पतन।

रूसी रूढ़िवादी ईसाइत (Russian Orthodox Christianity) रूसी साम्राज्य का अहम हिस्सा रहा जब तक कि एक अन्य व्लादिमीर (लेनिन) के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने 1917 में रूस में बोल्शेविक क्रांति को जन्म दिया।

पुतिन का इरादा व्लादिमीर द्वितीय बनने का है?

लेनिन के रूस ने रूसी रूढ़िवादी ईसाइयत के हर सिद्धांत को कुचलने का जोरदार प्रयास किया। साल 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया। इसके बाद तमाम राजनीतिक घटनाओं के बीच व्लादिमीर पुतिन रूस की सत्ता के केंद्र में पहुंच गए। अब, ईसाई धर्म-पुनरुद्धार सिद्धांतवादी कह रहे हैं कि व्लादिमीर पुतिन की यूक्रेन पर कब्जा करने के पीछे एक बड़ी महत्वाकांक्षा है। वह सेंट व्लादिमीर II बनना चाहते हैं।

व्लादिमीर पुतिन और ईसाइयत

पुतिन का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जिसने पूर्व रूसी तानाशाह जोसेफ स्टालिन की सेवा की थी। उनके पिता नास्तिक थे और मां के बारे में कहा जाता है कि वे एक धर्मनिष्ठ ईसाई थीं। पुतिन एक क्रॉस पहनते हैं। उनकी कुछ बिना शर्ट की तस्वीरें, विशेष रूप से उनकी साइबेरिया में मछली पकड़ने की यात्रा की तस्वीरें, कुछ साल पहले वायरल हुई थीं।

कहा जाता है कि पुतिन अपनी मां और अपने गृहनगर से गहराई से जुड़े हुए थे, जिसे लेनिनग्रैड के नाम से जाना जाता था। पुतिन का यहीं 1952 में जन्म हुआ सोवियत के पतन के साथ, 1991 में शहर का नाम बदलकर सेंट पीटर्सबर्ग कर दिया गया।

शहर के नाम को बदले जाने को 'रूसी क्रांतिकारी नेता की विरासत को त्यागने' के तौर पर देखा गया। इसका कम्युनिस्टों ने जमकर विरोध किया लेकिन रूढ़िवादी चर्च ने समर्थन किया। कहा जाता है कि वही रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च ईसाई धर्म को फिर से स्थापित करने में पुतिन का समर्थन कर रहे है।

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