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कोविड-19 के कारण बजट पर पैदा हुए दबाव से शोध प्रभावित होंगे: वैज्ञानिक

By भाषा | Updated: May 30, 2021 13:07 IST

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(अंतरिक्षयात्री वेनेसा मैकब्राइड, इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन ऑफ़िस ऑफ़ एस्ट्रोनॉमी फ़ॉर डेवलपमेंट)

केपटाउन, 30 मई (द कन्वर्सेशन) दुनिया भर की सरकारें कोरोना वायरस संक्रमण के प्रबंधन को लेकर बेहद जटिल मार्ग पर चल रही हैं क्योंकि उनके बीच संक्रमण को फैलने से रोकने और लोगों के रोजगार को बचाने को लेकर कड़ी जद्दोजहद है। अर्थव्यवस्थाओं और देशों के बजट पर भी इसको लेकर काफी दबाव है।

इसका अर्थ है कि बजट में कटौती होगी और जो क्षेत्र इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होगा वह है- शोध। उदाहरण के तौर पर दक्षिण अफ्रीका में 2020 में विज्ञान के लिए राष्ट्रीय बजट में 15 प्रतिशत की कटौती की गई और सरकार ने माना कि यह वैश्विक महामारी के असर के कारण हैं। मई 2021 में इसे बढ़ाया गया लेकिन यह प्रतिशत बेहद कम 1.4 था।

आगामी महीनों और वर्षों में सरकार के खर्च की प्राथमिकता का क्षेत्र बदलेगा, तो इसका ‘ब्लू स्काई साइंस’ (बिना किसी लक्ष्य के उत्सुकता वश किया जाने वाले शोध पर आधारित विज्ञान) पर क्या असर होगा? क्या वह भी कोविड-19 की भेंट चढ़ जाएगा?

‘ब्लू स्काई साइंस’ का अर्थ उस शोध से है, जो उत्सुकतावश किया जाता है। हो सकता है कि समाज को इसकी प्रासंगिकता तत्काल दिखाई नहीं दे। यह शुरू ही इस लिए होता है, क्योंकि वैज्ञानिक एक सामान्य प्रश्न पूछते हैं -क्यों?

उदाहरण के तौर पर ब्लैक होल्स से रेडियो तरंगों के विश्लेषण के लिए 70 के दशक में रेडियो अंतरिक्षविज्ञानियों ने जो तकनीक विकसित की, उससे वाईफाई की शुरुआत हुई। इसी प्रकार से 1932 में न्यूट्रॉन की खोज के साथ ही ऊर्जा निर्माण और अन्य क्षेत्रों में नए रास्ते खुले।

वैश्विक महामारी ने इस बात को रेखांकित किया है कि विश्व को बने रहने के लिए स्पष्ट और तेजी से सोचने की आवश्यकता है और इस आवश्यकता ने ब्लू स्काई साइंस को पहले के मुकाबले और अधिक महत्वपूर्ण एवं उपयोगी बना दिया है, लेकिन इसके लिए सरकारों और दानदाताओं को दूरदर्शी बनना होगा, खासतौर पर उन्हें दशकों तक धन मुहैया कराना होगा और वैज्ञानिकों को ‘‘क्यों’’ का जवाब हासिल करने की दिशा में काम करने की आजादी देनी होगी।

‘‘मुझे अंतरिक्षविज्ञान के क्षेत्र में दो दशक तक शोध करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, जो ‘ब्लू स्काई’ के बारे में ही था। यह ब्लू स्काई साइंस खासतौर पर अंतरिक्ष विज्ञान को ले कर दक्षिण अफ्रीका की प्रतिबद्धता और समर्थन था जो मुझे और मेरे सहयोगियों को इस ओर ले आया। ‘ऑफिस ऑफ एस्ट्रोनॉमी फॉर डेवलप्मेंट’ में मेरी भूमिका के दौरान मुझे यह देखने का अवसर मिला कि कैसे ब्लू स्काई साइंस विज्ञान, प्रौद्योगिकी और डेटा साइंस के क्षेत्र में प्रवेश द्वार की तरह काम करता है।’’

वैज्ञानिक दक्षता

जिस वर्ष कोरोना वायरस पहली बार वैश्विक महामारी के तौर पर सामने आया, तब मैंने और मेरे सहयोगियों ने दक्षिण अफ्रीका में कई मोर्चों पर वैज्ञानिक दक्षता देखी।

इसका एक उदाहरण यह है कि दक्षिण अफ्रीका की रेडियो एस्ट्रोनॉमी वेधशाला ने देश की राष्ट्रीय वेंटिलेटर परियोजना को पूरा करने की कमान संभाली। गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों के लिए वेंटिलेंटर आवश्यक हैं, लेकिन दुनियाभर में इनकी मात्रा सीमित थी। राष्ट्रीय वेंटिलेटर परियोजना का मकसद स्थानीय तौर पर मौजूद सामान और प्रकियाओं के जरिए वेंटिलेटर तैयार करना था।

इसके अलावा वैज्ञानिक दक्षता का उदाहरण व्यक्तिगत स्तर पर भी देखा गया जहां विभिन्न क्षेत्रों के वैज्ञानिकों ने महामारीविदों के साथ काम करने की खुद से पहल की।

इसी प्रकार से ब्लू स्काई साइंस परियोजनाओं में सार्स-सीओवी-2 के प्रोटीन गुणों का मॉडल तैयार करने के वास्ते काम किया गया।

अगला कदम क्या होगा?

ब्लू स्काई साइंस के तहत हमें प्रत्यक्ष से परे देखने की आवश्यकता होती है और इसके लिए लंबे वक्त की जरूरत है। धन को इस क्षेत्र में लगाने से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि शोध का ऐसा माहौल तैयार किया जाए जो अनेक विचारों को समाहित कर सके।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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