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कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होगी वायरल रोधी दवा रेमडेसिविर, एफडीए ने दी मंजूरी, जानें इसकी खासियत

By गुणातीत ओझा | Updated: May 2, 2020 15:08 IST

अमेरिका में एफडीए ने कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के लिए वायरल रोधी दवा के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी है। यह मंजूरी तब दी गई है जब कुछ शोधकर्ताओं ने पाया कि यह दवा संक्रमित लोगों को तेजी से स्वस्थ होने में मदद करती है। शोधकर्ताओं में भारतीय-अमेरिकी डॉक्टर अरुणा सुब्रह्मण्यम भी शामिल हैं।

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ठळक मुद्देअमेरिका में एफडीए ने कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के लिए वायरल रोधी दवा के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी है।यह मंजूरी तब दी गई है जब कुछ शोधकर्ताओं ने पाया कि यह दवा संक्रमित लोगों को तेजी से स्वस्थ होने में मदद करती है।

वाशिंगटन।अमेरिका में एफडीए ने कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के लिए वायरल रोधी दवा के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी है। यह मंजूरी तब दी गई है जब कुछ शोधकर्ताओं ने पाया कि यह दवा संक्रमित लोगों को तेजी से स्वस्थ होने में मदद करती है। शोधकर्ताओं में भारतीय-अमेरिकी डॉक्टर अरुणा सुब्रह्मण्यम भी शामिल हैं। एफडीए ने कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए वायरल रोधी दवा रेमडेसिविर के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। शोधकर्ताओं ने पाया कि रेमडेसिविर कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार लाने में कारगर है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से कहा, ‘‘मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि एफडीए ने रेमडेसिविर के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है।’’

स्वास्थ्य एवं मानव सेवा मंत्री एलेक्स अजार ने बताया कि यह कोविड-19 से लड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इस मंजूरी से रेमडेसिविर को अमेरिका में वितरित किया जा सकेगा और गंभीर रूप से बीमार किशोरों तथा बच्चों के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा। अमेरिका में शुक्रवार तक कोरोना वायरस से 63,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 10 लाख से अधिक लोग संक्रमित पाए गए। ट्रंप ने कहा कि उनका प्रशासन इस पर तेजी से काम करने के लिए एफडीए, राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान और दवा कंपनी जिलीड के साथ मिलकर काम कर रहा है। वहीं, अमेरिका में कई अस्पताल कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में मलेरिया के उपचार में काम आने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल कर रहे हैं। मीडिया में आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी मिली है।

चिकित्सा पत्रिका ‘एमडेज’ में शुक्रवार को प्रकाशित एक खबर के अनुसार, मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) और तोसीलिजुमैब दवा से ‘येल न्यू हेवन हेल्थ सिस्टम’ के अस्पतालों में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज हो रहा है। भारतीय-अमेरिकी हृदय रोग विशेषज्ञ निहार देसाई ने पत्रिका को बताया, ‘‘यह सस्ती दवा है, इसका दशकों से इस्तेमाल किया जाता रहा है और लोग इससे आराम महसूस कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी ओर से भरसक प्रयास कर रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि हमें फिर से कोरोना वायरस वैश्विक महामारी जैसी किसी चीज का सामना कभी न करना पड़े।’’ एफडीए ने कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए सबसे पहले हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस दवा का इस्तेमाल करने की पैरवी करते रहे हैं। खबरों के मुताबिक इस दवा से न्यूयॉर्क तथा कई अन्य स्थानों पर मरीजों का इलाज हुआ है। खबरों के अनुसार मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने की शुरुआती चरण के दौरान प्रभावी पाई गई है लेकिन हृदयरोगियों के लिए यह घातक है।

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