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समुद्र में ऑक्सजीन के स्तर में हो रही कमी से समुद्री जीवों पर मंडराया खतरा: रिपोर्ट

By भाषा | Updated: December 7, 2019 19:50 IST

उल्लेखनीय है कि समूह ने इस साल विश्व के प्राकृतिक आवास पर ऐतिहासिक आकलन पेश करते हुए कहा था कि मानवीय गतिविधियों की वजह से करीब दस लाख प्रजातियों पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है। समुद्री जीव गर्म तापमान, अत्याधिक मछली पकड़ने और प्लास्टिक प्रदूषण का सामना कर रहे हैं।

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ठळक मुद्देआईयूसीएन के मुताबिक समुद्र में ऑक्सीजन कम होने की यही गति रही तो वर्ष 2100 में वैश्विक स्तर पर समुद्र में घुली ऑक्सीजन की मात्रा में तीन से चार प्रतिशत से कमी आएगी।ग्रेथल ने कहा कि ऑक्सीजन की मात्रा में कमी से खाद्य श्रृंखला की सभी प्रजातियां प्रभावित हो रही हैं।

जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र में कम होती ऑक्सीजन की मात्रा से समुद्री जीवों, मछुआरों और तटीय समुदायों को गंभीर खतरा है। यह बात वैश्चिक संरक्षण निकाय ने शनिवार को कही। अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) ने बताया कि दुनिया में 700 स्थानों की पहचान की गई है जहां पर ऑक्सीजन की कम मात्रा है जबकि 1960 में ऐसे मात्र 45 स्थान थे।

आईयूसीएन ने बताया कि इसी अवधि में ऐसे स्थानों की संख्या चार गुना हो गई है जहां पर ऑक्सीजन की मात्रा बिल्कुल नहीं है। विश्व निकाय ने कहा कि समुद्र जीवाश्म ईंधन से होने वाले कार्बन उत्सर्जन के एक चौथाई हिस्से को सोख लेते हैं लेकिन दुनिया में ऊर्जा की बढ़ती मांग से यह डर है कि समुद्र अंतत: संतृप्त अवस्था पर पहुंच जाएंगे।

आईयूसीएन के मुताबिक समुद्र में ऑक्सीजन कम होने की यही गति रही तो वर्ष 2100 में वैश्विक स्तर पर समुद्र में घुली ऑक्सीजन की मात्रा में तीन से चार प्रतिशत से कमी आएगी। विश्व निकाय के मुताबिक अधिकतर ऑक्सीजन की कमी समुद्र के सतह से एक हजार मीटर की गहराई तक आएगी जो समुद्री जैव विविधता के सबसे संपन्न हिस्से है। आईयूसीएन के कार्यवाहक निदेशक ग्रेथल एगुइलर ने कहा, ‘‘ इस रिपोर्ट के साथ जलवायु परिवर्तन से समुद्र को होने वाला नुकसान केंद्र में आ गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ गर्म होते समुद्र में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही है और समुद्री जीवों में संतुलन गड़बड़ हो रहा है।’’ ग्रेथल ने कहा कि समुद्र में ऑक्सीजन की मात्रा में हो रही कमी को लेकर किए गए अध्ययन की समीक्षा से पहले ही समुद्र जीवों के संतुलन में अव्यवस्था पैदा हो गई है और उन प्रजातियों के लिए खतरा है जिन्हें अधिक ऑक्सीजन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि टूना, मर्लिन और शार्क जैसी प्रजातियां पहले ही खतरे में हैं और अपने बड़े आकार और अधिक ऊर्जा जरूरत के चलते कम ऑक्सीजन के प्रति संवेदनशील हैं।

ग्रेथल ने कहा कि ऑक्सीजन की मात्रा में कमी से खाद्य श्रृंखला की सभी प्रजातियां प्रभावित हो रही हैं। समुद्री तरंगों से बनी पारिस्थितिकी दुनिया में पकड़ी जाने वाली मछलियों को आश्रय देती है लेकिन कम ऑक्सीजन वाले पानी से यह प्रभावित हो रहा है।

उल्लेखनीय है कि समूह ने इस साल विश्व के प्राकृतिक आवास पर ऐतिहासिक आकलन पेश करते हुए कहा था कि मानवीय गतिविधियों की वजह से करीब दस लाख प्रजातियों पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है। समुद्री जीव गर्म तापमान, अत्याधिक मछली पकड़ने और प्लास्टिक प्रदूषण का सामना कर रहे हैं।

विश्व मौसम संगठन ने इस हफ्ते कहा था कि औद्योगिक क्रांति के शुरू होने से पहले के मुकाबले समुद्र 26 फीसदी अधिक अम्लीय हो गया है। आईयूसीएन के वरिष्ठ समुद्री विज्ञान सलाहकार डैन लाफ्फोले ने कहा, ‘‘समुद्री ऑक्सीजन में कमी समुद्री पारिस्थितिकी के लिए डरानेवाला है जिसपर पहले ही तापमान और अम्लता बढ़ने से खतरा है। 

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