काबुल: काबुल पर पिछले महीने कब्जे के बाद तालिबान ने इसी हफ्ते मंगलवार को अफगानिस्तान के अंतरिम सरकार की घोषणा कर दी। इसके साथ ही समावेशी सरकार बनाने के तालिबान के वादे की पोल भी खुल गई। खास बात ये भी है कि तालिबान की अंतरिम सरकार के कम से कम 14 सदस्य संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की काली सूची में हैं।
कारी फसीहउद्दीन बना चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ
तालिबान सरकार में कारी फसीहउद्दीन को रक्षा मंत्रालय में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बनाया गया है। दिलचस्प ये है कि कारी को मारने का दावा दो साल पहले अमेरिका और अफगानिस्तान के रक्षा विभाग की ओर से किया गया था। जबकि वह जिंदा है।
अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय की ओर से 6 सितंबर 2019 को उसे मारे जाने का दावा किया गया था। इस बारे में एक ट्वीट भी किया गया था। इसमें कहा गया था रात 2.55 बजे एयरस्ट्राइक में कारी फसीहउद्दीन को मार दिया गया है।
तालिबान के मंत्रिमंडल में इनामी आतंकी भी शामिल
अफगानिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुल्ला हसन अखुंद, उनके दो उपप्रधानमंत्रियों समेत तालिबान की अंतरिम सरकार के कम से कम 14 सदस्य संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की काली सूची में हैं।
वैश्विक आतंकवादी घोषित सिराजुद्दीन हक्कानी को कार्यवाहक गृहमंत्री बनाया गया है वहीं सिराजुद्दीन हक्कानी के चाचा खलील हक्कानी को शरणार्थी मामलों का कार्यवाहक मंत्री नामित किया गया है। सिराजुद्दीन के सिर पर पर एक करोड अमेरिकी डॉलर का इनाम घोषित है।
कार्यवाहक रक्षामंत्री मल्ला याकूब, कार्यवाहक विदेश मंत्री मुल्ला अमीर खान मुत्ताकी, उपविदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनिकजई भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद 1988 प्रतिबंध समिति के तहत सूचीबद्ध है।
मंत्रिमंडल में कोई हजारा सदस्य नहीं है। सारे मंत्री लगभग पहले से ही स्थापित तालिबान नेता हैं जिन्होंने 2001 से अमेरिकी गठबंधन सेना के विरूद्ध लड़ाई लडी है। अंतरिम मंत्रिमंडल में किसी महिला को भी जगह नहीं मिली है।