म्यांमा में तख्तापलट के खिलाफ तेज हुआ प्रदर्शन, भीड़ पर सुरक्षाबलों ने छोड़ी पानी की बौछार

By भाषा | Updated: February 8, 2021 17:33 IST2021-02-08T17:33:03+5:302021-02-08T17:33:03+5:30

Protest intensified against the coup in Myanmar, security forces release water shower on the crowd | म्यांमा में तख्तापलट के खिलाफ तेज हुआ प्रदर्शन, भीड़ पर सुरक्षाबलों ने छोड़ी पानी की बौछार

म्यांमा में तख्तापलट के खिलाफ तेज हुआ प्रदर्शन, भीड़ पर सुरक्षाबलों ने छोड़ी पानी की बौछार

यंगून, आठ फरवरी (एपी) म्यांमा की राजधानी में तख्तापलट करने वाली सेना से सत्ता को फिर से चुने हुए प्रतिनिधियों के हाथ में सौंपने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने सोमवार को पानी की बौछार छोड़ी। वहीं, पिछले हफ्ते हुए तख्तापलट के विरोध में देश के अन्य हिस्सों में भी प्रदर्शन तेज होता दिख रहा है।

नेपीता में बीते कुछ दिनों से प्रदर्शन जारी है और यह इस लिहाज से महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां कई नौकरशाह और उनके परिवार के लोग रहते हैं तथा शहर में प्रदर्शनों की कोई परंपरा नहीं रही है। यहां आम दिनों में भी काफी सैन्य जमावड़ा होता है।

देश के सबसे बड़े शहर यंगून के प्रमुख चौराहों पर भी प्रदर्शनकारी काफी संख्या में जुटे। यंगून में सुबह प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए, और प्रतिरोध की प्रतीक तीन उंगलियों से सलामी दी। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने “सैन्य तख्तापलट का बहिष्कार” तथा “म्यांमा के लिए न्याय” लिखी हुई तख्तियां दिखाते हुए विरोध व्यक्त किया।

उत्तर में स्थित कचिन राज्य, दक्षिण पूर्व में मोन राज्य, पूर्वी राज्य शान के सीमावर्ती शहर ताचिलेक, नेपीता और मंडाले में सोमवार को विरोध प्रदर्शन के नए मामले सामने आए हैं। यहां लोगों ने तख्ता पलट के विरोध मार्च और बाइक रैली निकाली।

यंगून में एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हम सैन्य जुंटा नहीं चाहते। हम कभी भी यह जुंटा नहीं चाहते थे। कोई इसे नहीं चाहता। सभी लोग उनसे लड़ने के लिये तैयार हैं।”

सरकारी मीडिया ने सोमवार को पहली बार प्रदर्शनों का जिक्र किया और उनके देश की स्थिरता के लिये खतरा होने का दावा किया।

सरकारी टीवी स्टेशन एमआरटीवी पर पढ़े गए सूचना मंत्रालय के बयान के मुताबिक, “अगर कोई अनुशासन नहीं होगा तो लोकतंत्र बर्बाद हो सकता है।”

इसमें कहा गया, “देश की स्थिरता, लोक सुरक्षा और कानून का उल्लंघन करने वाले कृत्यों को रोकने के लिये हमें विधिक कार्रवाई करनी होगी।”

इस तख्तापलट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर म्यांमा के लिये स्तब्धकारी झटके के तौर पर देखा गया जो पांच दशकों के सैन्य शासन के बाद हाल के वर्षों में लोकतंत्र की दिशा में प्रगति कर रहा था। यह तख्तापलट ऐसे समय हुआ है जब नवंबर में हुए चुनावों के बाद नए सांसदों को संसद में अपनी सीट लेनी थी। सेना के जनरलों का आरोप है कि चुनावों में धांधली हुई है यद्यपि देश के निर्वाचन आयोग ने इन दावों को खारिज किया है।

बढ़ते विरोध प्रदर्शनों ने दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश में लोकतंत्र के लिये लंबे और खूनी संघर्ष की यादें ताजा कर दीं। रविवार को हजारों प्रदर्शनकारी शहर के सुले पैगोडा में जुटे जो 1988 के विद्रोह और उसके बाद 2007 में बौद्ध भिक्षुओं के नेतृत्व वाले विद्रोह के दौरान सैन्य शासन के खिलाफ प्रदर्शन का प्रमुख केंद्र रहा था।

दोनों ही विद्रोह को कुचलने के लिये सेना ने बेहद सख्त तरीके अपनाए थे। कुछ अधिकारियों को छोड़कर बीते हफ्ते सैनिक सड़कों पर नजर नहीं आए।

नेपीता से सोमवार को आई गतिरोध की तस्वीरों में प्रदर्शनकारी बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों और पुलिस के वाहनों से घिरे दिखे। अधिकारियों ने आंग सान की विशाल प्रतिमा के आगे जुटे प्रदर्शनकारियों की भीड़ पर पानी की बौछार छोड़ी। आंग सान ने 1940 के दशक में ब्रिटेश से देश की आजादी की लड़ाई का नेतृत्व किया था और वह आंग सान सू ची के पिता हैं।

सू ची फिलहाल अपने घर में नजरबंद हैं।

म्यांमा की थाईलैंड से लगने वाली पूर्वी सीमा पर स्थिय मयावडी में रविवार को इस तरह के विरोध प्रदर्शन के दौरान संघर्ष के जोखिम सामने आए थे जब भीड़ को तितर-बितर करने के लिये पुलिस ने हवा में गोलियां चलाई थीं। एक स्वतंत्र निगरानीकर्ता समूह ‘द असिस्टेंस असोसिएशन ऑफ पॉलिटिकल प्रिजनर्स’ ने कहा कि एक महिला को गोली लगी थी हालांकि उसने उसकी स्थिति के बारे में कोई विवरण नहीं दिया।

इस बात के फिलहाल कोई संकेत नहीं है कि प्रदर्शनकारी या सेना में कोई भी इस लड़ाई में पीछे हटेगा कि देश में वैध सरकार किसकी है। हाल में हुए चुनावों में सू ची की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी को भारी बहुमत हासिल हुआ था लेकिन फिलहाल सत्ता पर जुंटा का कब्जा है। सू ची की पार्टी ने लोगों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिये जाने का अनुरोध किया है।

यंगून में रविवार को विभिन्न कार्यकर्ता समूहों द्वारा आम हड़ताल का आह्वान किया गया था लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि ये आह्वान व्यापक जनसमर्थन हासिल कर पाया या फिर अनौपचारिक रूप से आयोजित सविनय अवज्ञा का रूप ले पाएगा।

‘द असिस्टेंस असोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स’ ने कहा कि देश में एक फरवरी को हुए तख्तापलट के बाद से 165 लोगों को हिरासत में लिया गया जिनमें से अधिकतर राजनेता हैं। उसके मुताबिक इनमें से सिर्फ 13 को रिहा किया गया।

एक विदेशी नागरिक को भी अधिकारियों द्वारा हिरासत में लिये जाने की पुष्टि हुई है। आन सान सू ची सरकार के ऑस्ट्रेलियाई सलाहकार सॉन टर्नेल को अस्पष्ट परिस्थितियों में शनिवार को हिरासत में लिया गया।

विदेश मंत्री मरीस पायने के दफ्तर से सोमवार को जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘हमने ऑस्ट्रेलियाई नागरिक प्रोफसर सॉन टर्नेल को तुरंत रिहा करने की मांग की है।’’

विदेश मंत्री पायने ने कहा कि म्यांमा में ऑस्ट्रेलियाई दूतावास ‘‘इस मुश्किल वक्त में टर्नेल को हर संभव मदद कर रहा है।

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