लाइव न्यूज़ :

मध्यवर्गीय अफगानों पर नौकरियां जाने के साथ गरीबी, भूख की मार

By भाषा | Updated: November 22, 2021 16:57 IST

Open in App

काबुल, 22 नवंबर (एपी) अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से देश के कई लोगों की नौकरियां चली गई हैं। जिंदा रहने के लिए भोजन और नकदी पाने के लिए निराश-हताश अफगान नागरिक संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम में खुद को पंजीकृत कर रहे हैं।

कुछ समय पहले ही, फरिश्ता सालिही और उनका परिवार बहुत अच्छे से अपनी जिंदगी बिता रहा था। उसका पति काम करता था और अच्छा वेतन पाता था। वह अपनी कई बेटियों को निजी स्कूलों में पढ़ने भेज सकती थी। लेकिन अब उसके पति की नौकरी चली गई है। पंजीकरण कराने वाले लोगों में उसका नाम भी शुमार है।

पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सालिही ने कहा, “हमने सब कुछ खो दिया। हमारे दिमाग काम नहीं कर रहे हैं।” अपनी बड़ी बेटी फातिमा को उसे स्कूल से निकालना पड़ा क्योंकि उसके पास उसकी फीस भरने के पैसे नहीं हैं और अब तक तालिबान ने किशोर लड़कियों को सरकारी स्कूलों में जाने की इजाजत नहीं दी है।

अफ़ग़ानिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमराने के कुछ ही महीनों में, सलीही जैसे कई स्थिर, मध्यम वर्गीय परिवार हताशा में डूब गए हैं। इस बात को लेकर अनिश्चित के बादल छाए हुए हैं कि वे अपने अगले भोजन के लिए भुगतान कहां से और कैसे करेंगे।

यह एक कारण है कि संयुक्त राष्ट्र ने भूखमरी के संकट को लेकर आगाह किया है जहां 3.8 करोड़ की 22 फीसदी आबादी पहले से ही अकाल के करीब है और अन्य 36 फीसदी खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि लोग भोजन का खर्च उठाने में अक्षम नहीं हैं।

पिछली, अमेरिका समर्थित सरकार के तहत अर्थव्यवस्था पहले से ही संकट में थी, जो अक्सर अपने कर्मचारियों को भुगतान नहीं कर पाती थी। कोरोना वायरस महामारी और एक भयानक सूखे से स्थिति और खराब हो गई थी जिसने खाद्य कीमतों को बढ़ा दिया था। पहले से ही 2020 में, अफगानिस्तान की लगभग आधी आबादी गरीबी में जी रही थी। फिर तालिबान द्वारा 15 अगस्त को सत्ता हथियाने के बाद अफगानिस्तान को दी जाने वाली फंडिंग को दुनिया के देशों ने बंद कर दिया जिससे देश के छोटे मध्यम वर्ग के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई।

एक बार सरकारी बजट के लिए अंतरराष्ट्रीय निधि का भुगतान किया गया - और इसके बिना, तालिबान मोटे तौर पर वेतन देने या सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने में असमर्थ रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने तालिबान शासन को मान्यता नहीं दी है और चरमपंथियों से एक अधिक समावेशी सरकार बनाने और मानवाधिकारों का सम्मान करने की मांग की है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठPanchang 20 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 20 December 2025: आज ये चार राशि के लोग बेहद भाग्यशाली, चौतरफा प्राप्त होंगी खुशियां

कारोबारखाद्य सब्सिडी बढ़ी, नहीं घटी किसानों की चिंता

भारतलोकसभा, विधानसभा के बाद स्थानीय निकाय चुनावों के बीच नेताओं की आवाजाही?, राजनीति की नई शक्ल बनता दलबदल

भारतअपनी गाड़ी के लिए PUC सर्टिफिकेट कैसे बनाएं? जानिए डाउनलोड करने का आसान तरीका

विश्व अधिक खबरें

विश्वBangladesh Protests: तुम कौन हो, मैं कौन हूं - हादी, हादी, बांग्लादेश में प्रदर्शन तेज, करोड़ों का नुकसान, वीडियो

विश्वयुवा नेता की मौत से फिर सुलग उठा बांग्लादेश, भारतीय दूतावास पर फेंके गए पत्थर; प्रमुख मीडिया कार्यालयों में लगाई आग

विश्व‘ऑर्डर ऑफ ओमान’ सम्मान से नवाजा?, पीएम मोदी को अब तक दूसरे देशों में 28 से अधिक उच्चतम नागरिक सम्मान, देखिए लिस्ट

विश्वभगोड़े मेहुल चोकसी को बेल्जियम कोर्ट से नहीं मिली राहत, सर्वोच्च अदालत ने भारत प्रत्यर्पण दी की मंजूरी

विश्व1 जनवरी 2026 से लागू, 20 और देशों पर यात्रा प्रतिबंध?, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा, देखिए सूची