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PM Modi Visit in America: आपको पता हैं?, पीएम मोदी ने उपहार में राष्ट्रपति बाइडन को क्या दिया, आखिर क्या है महत्व, यहां जानिए, देखें वीडियो

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 22, 2024 16:19 IST

PM Modi Visit in America: भारतीय रेलवे के लंबे इतिहास और इसके वैश्विक प्रभावों का एक शानदार प्रमाण भी है।

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ठळक मुद्देकलात्मक प्रतिभा और ऐतिहासिक महत्व का मिश्रण है।कलाकृति भाप इंजन चालित रेलगाड़ी के युग को समर्पित है। ‘पापियर माशे’ (कागज की लुगदी) डिब्बे में रखी पश्मीना शॉल भेंट कीं।

PM Modi Visit in America: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को चांदी से बने हस्तनिर्मित प्राचीन रेलगाड़ी का मॉडल उपहार में दिया। यह महाराष्ट्र के कारीगरों द्वारा तैयार की गई एक दुर्लभ और असाधारण कलाकृति है, जो भारतीय धातु शिल्पकला की उत्कृष्टता को दर्शाती है। अधिकारियों ने बताया कि इस प्राचीन कलाकृति में जटिल काम किया गया है और यह 92.5 प्रतिशत चांदी से बनी है। यह कलाकृति भाप इंजन चालित रेलगाड़ी के युग को समर्पित है। यह कलात्मक प्रतिभा और ऐतिहासिक महत्व का मिश्रण है।

उन्होंने बताया कि भारत और अमेरिका के बीच मजबूत संबंधों को दर्शाते हुए इस मॉडल में भारत में यात्री ट्रेन में प्रयुक्त मानक प्रारूप के आधार पर अंग्रेजी और हिंदी में मुख्य डिब्बे के दोनों ओर ‘दिल्ली-डेलावेयर’ और इंजन के दोनों ओर ‘भारतीय रेलवे’ लिखा गया है। यह कलाकृति न केवल कारीगरी के असाधारण कौशल को दर्शाती है, बल्कि भारतीय रेलवे के लंबे इतिहास और इसके वैश्विक प्रभावों का एक शानदार प्रमाण भी है। अधिकारियों ने बताया कि मोदी ने अमेरिका की प्रथम महिला जिल बाइडन को ‘पापियर माशे’ (कागज की लुगदी) डिब्बे में रखी पश्मीना शॉल भेंट कीं।

पश्मीना शॉल जम्मू-कश्मीर की हस्तकला की समृद्ध और बेहतरीन विरासत का नमूना है। उन्होंने बताया कि समकालीन डिजाइनर आधुनिक कला, अधिक गाढ़े रंगों, नए-नए पैटर्न और ‘फ्यूजन’ (दो या अधिक कलाओं के मेल) शैलियों के साथ पश्मीना कारीगरी में प्रयोग कर रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि इससे यह सुनिश्चित होता है कि पश्मीना की विरासत प्रासंगिक बनी रहे और यह विभिन्न पीढ़ियों और संस्कृतियों के दिलों को लुभाती रहे। पश्मीना शॉल पारंपरिक रूप से जम्मू-कश्मीर से ‘पापियर माशे’ डिब्बे में पैक करके दी जाती हैं।

ये डिब्बे अपनी मनमोहक सुंदरता और शिल्प कौशल के लिए प्रसिद्ध हैं। ये कागज की लुगदी, गोंद और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों के मिश्रण का उपयोग करके हाथ से बनाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि यह प्रत्येक डिब्बा कला का एक अनूठा नमूना है, जो कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। अधिकारियों ने कहा कि ये डिब्बे न केवल उपयोगी हैं, बल्कि सजावट में भी काम आते हैं।

अमेरिका ने भारत को 297 कलाकृतियां लौटाईं

नयी दिल्ली, 22 सितंबर (भाषा) अमेरिका ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा के दौरान 297 कलाकृतियां भारत को सौंपी हैं जिन्हें तस्करी कर देश से बाहर ले जाया गया था। एक आधिकारिक बयान में रविवार को यह जानकारी दी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सांस्कृतिक संपत्तियों की तस्करी लंबे समय से एक मुद्दा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘सांस्कृतिक जुड़ाव को गहराते और सांस्कृतिक संपत्तियों की अवैध तस्करी के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करते हुए। मैं भारत को 297 अमूल्य कलाकृतियां लौटाने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन और अमेरिकी सरकार का अत्यधिक आभारी हूं।’’ बयान के अनुसार, मोदी ने इन कलाकृतियों को लौटाने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन को धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा कि ये वस्तुएं न केवल भारत की ऐतिहासिक संस्कृति का हिस्सा हैं बल्कि इसकी सभ्यता और चेतना का आंतरिक आधार भी हैं। अधिकारियों ने बताया कि इसके साथ ही भारत द्वारा 2014 से अब तक बरामद प्राचीन वस्तुओं की कुल संख्या 640 हो गयी हैं। अकेले अमेरिका ने 578 वस्तुएं लौटायी हैं। यह किसी देश द्वारा भारत को लौटायी गयी सबसे अधिक सांस्कृतिक कलाकृतियां हैं।

भारत को लौटायी गयीं कुछ उल्लेखनीय कलाकृतियों में 10-11वीं शताब्दी ईसा पूर्व की मध्य भारत की बलुआ पत्थर से निर्मित एक ‘अप्सरा’, 15-16वीं शताब्दी ईसा पूर्व में कांस्य से निर्मित एक जैन तीर्थंकर, तीसरी-चौथी शताब्दी ईसा पूर्व का पूर्वी भारत का टेराकोटा का एक फूलदान तथा पहली शताब्दी ईसा पूर्व की दक्षिण भारत की पत्थर की एक मूर्ति शामिल हैं।

अन्य प्रमुख कलाकृतियों में 17-18वीं शताब्दी की दक्षिण भारत के कांसे की भगवान गणेश की मूर्ति, 15-16वीं सदी के उत्तर भारत के बलुआ पत्थर की भगवान बुद्ध की प्रतिमा और 17-18वीं सदी के पूर्वी भारत के कांसे की भगवान विष्णु की प्रतिमा शामिल हैं। इससे पहले भी मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान भारत को कलाकृतियां लौटायी गयी हैं।

अधिकारियों ने बताया कि मोदी की 2021 में अमेरिकी यात्रा के दौरान अमेरिकी सरकार ने 157 कलाकृतियां लौटायी थीं जिनमें 12वीं शताब्दी ईसा पूर्व की नटराज की कांसे की प्रतिमा शामिल थी। 2023 में मोदी की अमेरिकी यात्रा के कुछ दिन बाद भारत को 105 कलाकृतियां लौटायी गयी थीं।

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