Israel-Hamas war: इजरायलियों का इलाज करते हुए अरब मूल के पैरामेडिकल कर्मी ने गंवाई जान, आखिरी सांस तक टिके रहे अवद दरावशे, हमास की गोलियों से मारे गए
By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: October 15, 2023 21:43 IST2023-10-15T21:42:02+5:302023-10-15T21:43:31+5:30
पैरामेडिकल कर्मियों ने बताया कि दरावशे को लगा कि एक अरब होने के चलते वह हमलावरों के साथ किसी तरह मध्यस्थता कर सकते हैं। वह लोगों की जान बचाने की कोशिश में अंतिम सांस तक डंटे रहे। अंत में वह भी हमास की गोलियों से मारे गए।

अवद दरावशे, हमास की गोलियों से मारे गए
Israel-Hamas war: हमास ने सात अक्टूबर को दक्षिणी इजराइल में आयोजित एक संगीत समारोह में शामिल हजारों यहूदियों पर जब हमला किया तब अरब मूल के एक इजराइली पैरामेडिकल कर्मी ने लोगों की जान बचाने की कोशिश की और अंतिम सांस तक डंटा रहा। अंत में वह भी हमास की गोलियों से मारा गया। अवद दरावशे (23) अब एक हीरो के रूप में याद किए जा रहे हैं।
अवद दरावशे योसी एम्बुलेंस के लिए काम करते थे। आयोजन स्थल के पास एक तंबू में उत्सव में काम करने के लिए नियुक्त पैरामेडिकल कर्मियों की टीम में से एक थे। दरावशे तब मारे गए जब हमास के आतंकवादी गाजा पट्टी से इजराइल में चुपके से घुस गए और जश्न में शामिल लोगों और आसपास के गांवों, बस्तियों और किबुतजिम में लोगों को निशाना बनाया।
सात अक्टूबर को तड़के रॉकेट से इजराइल के इलाकों को निशाना बनाया गया। साथ ही हर तरफ हथगोले फटने और गोलियों की तड़तड़ाहट की आवाजें आने लगीं। घायल लोग पैरामेडिकल कर्मियों के पास पहुंचे लेकिन जल्द ही अफरा तफरी बढ़ गई। यह पता चलने के बाद कि यह हमला हमास द्वारा किया गया है, पैरामेडिकल स्टेशन के प्रमुख ने वहां तैनात पैरामेडिकल कर्मियों से वहां से निकल जाने को कहा। हालांकि दरावशे ने वहां से जाने से इनकार कर दिया। उनकी उस समय गोली लगने से मौत हो गई जब वह एक घायल की मरहम पट्टी कर रहे थे।
कुछ दिनों बाद, उनके शव की पहचान होने के बाद, जीवित बचे पैरामेडिकल कर्मियों ने दरावशे के परिवार को बताया कि उन्होंने रुकने का विकल्प क्यों चुना। पैरामेडिकल कर्मियों ने बताया कि दरावशे को लगा कि एक अरब होने के चलते वह हमलावरों के साथ किसी तरह मध्यस्थता कर सकते हैं। दरावशे के के चचेरे भाई मोहम्मद दरावशे ने उत्तरी इजराइल स्थित अपने घर से फोन पर कहा, "उसने (अवद दरावशे) ने कहा कि नहीं, मैं नहीं जा रहा हूं। मैं अरबी बोलता हूं, मुझे लगता है कि मैं चीजों को संभाल सकता हूं।"
हालांकि वहां रुकने का दरावशे का निर्णय उसके परिवार के लिए दुखद साबित हुआ क्योंकि उसने उसे को खो दिया। उसके चचेरे भाई ने कहा, "उसने हमें बहुत दर्द दिया, उसने हमें बहुत पीड़ा दी। हमें उसके कार्यों पर बहुत गर्व है। हम उससे यही उम्मीद करते थे और हम अपने परिवार में हर किसी से यही उम्मीद करते हैं - इंसान बनना, इंसान बने रहना और इंसान ही मरना।" दारावशे का अंतिम संस्कार नाजरेथ से दक्षिण पूर्व अरब बहुल गांव इकसल में शुक्रवार को कर दिया गया। उनके जनाजे में हजारों लोग शामिल हुए।