UN में इमरान खान ने कहा- इस्लामोफोबिया का तेजी से बढ़ना चिंताजनक, आतंकवाद का धर्म से कुछ लेना देना नहीं
By रोहित कुमार पोरवाल | Updated: September 27, 2019 21:11 IST2019-09-27T21:03:22+5:302019-09-27T21:11:56+5:30
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के बाद पाकिस्तानी पीएम इमरान खान की बोलने की बारी आई। पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने अपने भाषण की शुरुआत में इस्लामिक आतंकवाद को लेकर सफाई पेश की।

यूएन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के बाद पाकिस्तानी पीएम इमरान खान की बोलने की बारी आई। पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने अपने भाषण की शुरुआत में इस्लामिक आतंकवाद को लेकर सफाई पेश की।
बता दें कि अमेरिका के टेक्सास के ह्यूस्टन शहर में पीएम मोदी के स्वागत में आयोजित भव्य कार्यक्रम 'हाउडी मोदी' में शामिल हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने भाषण में इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने की बात कही थी।
शुक्रवार (27 सितंबर) को सयुंक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए इमरान खान ने कहा कि इस्लामोफोबिया का तेजी से बढ़ना चिंताजनक है और आतंकवाद का किसी भी धर्म के साथ कुछ भी लेना देना नहीं है।
पाक पीएम इमरान खान ने कहा, ''इस्लामोफोबिया का तेजी से बढ़ना चिंता पैदा करता है और यह एक खाई पैदा कर रहा है। आतंकवाद का किसी भी धर्म के साथ कुछ भी लेना देना नहीं है।''
पाक पीएम इमरान खान ने जोर देकर कहा कि हर साल भारी मात्रा में पैसा गरीब देशों से चला जाता है और दुनिया के अमीर देशों तक पहुंचता है जो बदले में अमीर और गरीब के बीच की खाई को चौड़ा कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह विकासशील दुनिया विनाशकारी है। यह और गरीबी और मौतों का कारण बन रहा है।
बता दें कि इमरान खान से पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को दिए अपने जोरदार भाषण में आतंकवाद का प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा, ''भारत जिन विषयों को उठा रहा है, जिन नए वैश्विक मंचों के निर्माण के लिए भारत आगे आया है, उसका आधार वैश्विक चुनौतियां हैं, वैश्विक विषय हैं और गंभीर समस्याओं के समाधान का सामूहिक प्रयास है। यूएन पीस कीपिंग मिशंन में सबसे बड़ा बलिदान अगर किसी देश ने दिया है, तो वो देश भारत है।
हम उस देश के वासी हैं जिसने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिए हैं, शांति का संदेश दिया है। हमारी आवाज में आतंक के खिलाफ दुनिया को सतर्क करने की गंभीरता भी है और आक्रोश भी।
हम मानते हैं कि ये किसी एक देश की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की और मानवता की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। आतंक के नाम पर बटी हुई दुनिया, उन सिद्धांतों को ठेस पहुंचाती है, जिनके आधार पर यूएन का जन्म हुआ है। इसलिए मानवता की खातिर आतंक के खिलाफ पूरे विश्व का एकमत होना, एकजुट होना मैं अनिवार्य समझता हूं।''