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शांति का नोबेल पुरस्कार फिलीपीन और रूस के पत्रकारों को

By भाषा | Updated: October 8, 2021 17:11 IST

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ओस्लो, आठ अक्टूबर (एपी) फिलीपीन की पत्रकार मारिया रसा और रूसी पत्रकार दमित्री मुरातोव को शुक्रवार को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

नॉर्वे की नोबेल समिति ने पुरस्कार देने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए उनके संघर्ष का हवाला दिया है।

समिति के अध्यक्ष बेरिट रीस-एंडर्सन ने कहा, ‘‘स्वतंत्र और तथ्य-आधारित पत्रकारिता सत्ता के दुरुपयोग, झूठ और युद्ध के दुष्प्रचार से बचाने का काम करती है।”

उन्होंने कहा, “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता के बिना, राष्ट्रों के बीच भाईचारे को सफलतापूर्वक बढ़ावा देना, निरस्त्रीकरण और सफल होने के लिए एक बेहतर विश्व व्यवस्था को बढ़ावा देना मुश्किल होगा।”

नोबेल समिति ने कहा कि 2012 में रेसा द्वार सह-संस्थापित समाचार वेबसाइट ‘रैपलर’ ने "(राष्ट्रपति रोड्रिगो) दुतेर्ते शासन के विवादास्पद, जानलेवा नशीली दवाओं के विरूद्ध अभियान पर आलोचनात्मक दृष्टि से ध्यान केंद्रित किया है।”

उन्होंने और रैपर ने "यह भी साबित किया है कि कैसे फर्जी समाचारों के प्रचार, विरोधियों को परेशान करने और सार्वजनिक संवादों में हेरफेर करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग किया जा रहा है।"

खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए रसा ने नॉर्वे टीवी2 चैनल से कहा कि, “सरकार (फिलीपीन की) निश्चित तौर पर खुश नहीं होगी।”

उन्होंने कहा, “मैं थोड़ी हैरान हूं। यह वास्तव में भावुक करने वाला है। लेकिन मैं अपनी टीम की ओर से खुश हूं और हम जो कुछ कर रहे हैं उसे मान्यता देने के लिए नोबेल समिति को धन्यवाद देना चाहती हूं।”

मुरातोव 1993 में स्वतंत्र रूसी समाचार पत्र नोवाया गजेटा के संस्थापकों में से एक थे।

नोबेल समिति ने कहा, “सत्ता के प्रति मौलिक रूप से आलोचनात्मक रवैये के साथ, नोवाया गजेटा आज रूस में सबसे स्वतंत्र समाचार पत्र है।”

इसने कहा, “समाचार पत्र की तथ्य-आधारित पत्रकारिता और पेशेवर सत्यनिष्ठा ने इसे रूसी समाज के निंदात्मक पहलुओं पर जानकारी का एक महत्वपूर्ण स्रोत बना दिया है जिसका उल्लेख शायद ही कभी अन्य मीडिया द्वारा किया जाता है।”

क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेसकोव ने मुरातोव को पुरस्कार जीतने पर बधाई दी और "प्रतिभाशाली तथा बहादुर" व्यक्ति के रूप में उनकी सराहना की।

रीस-एंडर्सन ने बताया कि शांति पुरस्कार अतीत में भी पत्रकारों को दिया गया है, जिसमें इटली के अर्नेस्टो तेओडोरो मोनेटा भी शामिल हैं, जिन्हें 1907 में "प्रेस और शांति बैठकों में उनके काम के लिए" यह पुरस्कार दिया गया था।

1935 में, कार्ल वॉन ओस्सिएट्ज़की को "विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति उनके ज्वलंत प्रेम के लिए" नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने खुलासा किया था कि जर्मनी प्रथम विश्व युद्ध के बाद गुप्त रूप से फिर से सशस्त्र हो रहा है।

रीस-एंडर्सन ने फर्जी समाचारों के प्रसार के कारण आज की दुनिया में स्वतंत्र अभिव्यक्ति के जोखिमों पर भी ध्यान दिया और कहा कि सार्वजनिक बहस में हेरफेर करने में फेसबुक की भूमिका के लिए रसा का रुख आलोचनात्मक रहा है।

प्रतिष्ठित पुरस्कार के साथ एक स्वर्ण पदक और एक करोड़ स्वीडिश क्रोनर (11.4 लाख डॉलर से अधिक) प्रदान किए जाते हैं। पुरस्कार राशि, पुरस्कार के संस्थापक, स्वीडिश आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल द्वारा छोड़ी गई वसीयत से आती है, जिनकी मृत्यु 1895 में हुई थी।

सोमवार को, नोबेल समिति ने अमेरिकियों डेविड जूलियस और आर्डम पातापूशियन को उनकी खोजों के लिए कि मानव शरीर तापमान और स्पर्श को कैसे समझता है, शरीर विज्ञान या चिकित्सा में पुरस्कार से सम्मानित किया।

भौतिकी में नोबेल पुरस्कार मंगलवार को तीन वैज्ञानिकों को प्रदान किया गया, जिनके काम ने प्रकृति की जटिल शक्तियों को समझाने और भविष्यवाणी करने में मदद की, जिसमें जलवायु परिवर्तन की हमारी समझ का विस्तार करना शामिल है।

बेंजामिन लिस्ट और डेविड डब्ल्यू.सी. मैकमिलन को बुधवार को रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार के विजेताओं के रूप में नामित किया गया था जिन्होंने अणुओं के निर्माण के लिए एक आसान और पर्यावरण की दृष्टि से स्वच्छ तरीका खोजने की दिशा में काम किया, जिसका उपयोग दवाओं और कीटनाशकों सहित यौगिकों को बनाने के लिए किया जा सकता है।

साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार बृहस्पतिवार को ब्रिटेन के तंजानिया के लेखक अब्दुल रजाक गुरनाह को दिया गया, जिन्हें "उपनिवेशवाद के प्रभावों और शरणार्थियों की स्थिति" के लिए पहचाना गया था।

आने वाले सोमवार को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कार की घोषणा किए जाने की संभावना है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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